बुद्धचरितं - महाकाव्य
कथा वस्तु:-
बुद्धचरितं महाकाव्य जो संस्कृत में उपलब्ध प्रथम ग्रन्थ है जिसमे भगवान बुद्ध के जीवन चरित्र एवं सिद्धांतों का वर्णन किया गया है। इसे बौद्धों का रामायण भी माना जाता है।
लेखक:- अश्वघोष
काल:- प्रथम शताब्दी (लगभग ७८ई.)
सर्ग:- २८ सर्ग परन्तु संस्कृत में १४।
कथावस्तु- ललित विस्तार नामक बौद्ध ग्रन्थ।
नायक:- बुद्ध (धीरोदात्त और धीरप्रशांत नायक)
रस:- शान्त रस।
छंद - उपजाति और अनुष्टुप् ।
मुख्य अलंकार:- अनुप्रास, उत्प्रेक्षा, उपमा, रूपक यमक,और अर्थान्तरन्यास।
मुख्य रीति:- शुद्ध वैदर्भी।
मुख्य गुण:- प्रसाद व माधुर्य।
मुख्य पात्र:- शुद्धोदन ,महामाया, गौतम बुद्ध, यशोधरा, छन्दक, बिम्बिसार, कामदेव और श्रवण।
कपिलवस्तु जनपद के राजा शुद्धोदन, रानी महामाया
बुद्धचरित के सर्ग:-
बुद्धचरितम् मूल रूप में अपूर्ण ही उपलब्ध है। 28 सर्गों में विरचित इस महाकाव्य के दूसरे सर्ग से लेकर तेरहवें सर्ग तक पूर्ण रूप से तथा पहला एवं चौदहवाँ सर्ग के कुछ अंश ही मिलते हैं। इस महाकाव्य के शेष सर्ग संस्कृत में उपलब्ध नहीं है। प्रथम चौदह सर्गों के नाम इस प्रकार हैं-
१.भगवत्प्रसूति,
२.अन्तःपुरविहार
३.संवेगोत्पत्तिः
४.स्त्रीविघातन
५.अभिनिष्क्रमण
६.छन्दकनिवर्तनम्
७.तपोवनप्रवेशम्
८.अंत:पुरविलाप
९.कुमारान्वेषणम्
१०.श्रेणभिगमनम्
११कामविगर्हणम्
१२आराडदर्शन
१३मारविजय
१४.बुद्धत्वप्राप्ति।
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