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Sunday, December 12, 2021

PRAVEEN UTTARARDH /रश्मि रथी /RASHMIRATI /व्याख्यान-माला / प्रथम सर्ग I. संदर्भ सहित व्याख्या :      

 

PRAVEEN UTTARARDH 

    रश्मि रथी  RASHMIRATI



EXPECTED QUESTIONS ALL TIME 

         व्याख्यान-माला

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                         प्रथम सर्ग

I. संदर्भ सहित व्याख्या :              

1. 'जय हो' जग में जले...........शक्ति का मूल ।

       संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश दिनकर द्वारा रचित 'रश्मिरथी' के प्रथम सर्ग से लिया गया है। प्रसंग : इस पद्यांश को 'रश्मिरथी' का मंगलाचरण मान सकते हैं। इस पद्य में कवि ने संसार के वीरों और गुणशाली व्यक्तियों के प्रति अपनी श्रद्धा अर्पित की है।

        व्याख्या : कवि कहता है कि संसार में कहीं भी प्रतिभा हो, किसी में भी गुण हो, मैं उसका अभिनन्दन करता हूँ। प्रतिभा कहीं भी हो वह पूजनीय है, गुण किसी भी व्यक्ति में हो वह वन्दनीय है। केवल राजवाटिकाओं में खिले फूल मात्र फूल नहीं कहलाते, कानन कुञ्जों के कुसुम भी फूल ही हैं। कहीं भी, किसी भी डाली पर फूल खिले लेकिन वह सुन्दर अवश्य है। उसमें भी, आह्लादक शक्ति ज़रूर होती है और इसलिए तो सुधीजन गुणों का आदि नहीं देखते। सच्चे ज्ञानी शक्ति के मूल की ओर ध्यान नहीं देते। वे तो गुणों की शक्ति की परख करते हैं। कबीर ने ठीक ही कहा है

      “जाति न पूछो साधु की, पूछ लीजिए ज्ञान ।

        मोल करो तलवार का, पड़ा रहन दो म्यान ।”

          जिस प्रकार म्यान असली वस्तु न होकर तलवार ही असली वस्तु है। उसी प्रक गुण और शक्ति को छोड़कर उनके आदि और मूल के चक्कर में पड़ना तो व्यर्थ ही है । गुण ही मूल है जाति नहीं।

       विशेषता : प्रस्तुत पंक्तियों की भाषा में प्रसाद और ओजगुण का अद्भुत समन्वय हुआ है। भाषा में अपूर्व प्रवाह द्रष्टव्य है। प्रथम पंक्ति में 'ज' व्यंजन-वर्ण की अनेक बार आवृत्ति के कारण वृत्यानुप्रास अलंकार है। कवि ने इस प्रकार जो गुण और शक्ति की वन्दना की है, वह सकारण है। यों कुल या जाति की दृष्टि से कर्ण बड़े न थे, किन्तु गुण और शक्ति में अप्रतिम अवश्य थे।


2. जलद पटल में...........पहली आग।

      संदर्भ : प्रस्तुत पद्य-भाग दिनकर द्वारा विरचित काव्य 'रश्मिरथी' के प्रथम सर्ग से लिया गया है।

      प्रसंग : प्रथम सर्ग में कवि काव्य-नायक कर्ण के तेज प्रताप का परिचय दे रहे हैं।

      व्याख्या : कवि पूछते हैं कि सूर्य कब तक बादलों के पीछे छिपा रह सकता है? जो वास्तव में शूरवीर होता है, वह कब तक अपने समाज की अवहेलना सुनकर चुप रह सकता है? कर्ण ऐसा ही शूर साहसी पुरुष था जिसके लिए आन जान से प्यारी थी। एक दिन समय पाकर उसके यौवन का वीर्य जाग उठा। अर्जुन जैसा धनुर्धर और भीमसेन जैसा मल्ल होते हुए भी कृपाचार्य, द्रोणाचार्य आदि ने उसे सूतपुत्र कहकर अवहेलना की तो कर्ण के पौरुष की आग सबके सामने फूट पड़ी। उसने अपनी धनुर्विद्या से साबित कर दिया कि वह सूतपुत्र नहीं, बल्कि सूर्यपुत्र है।

3. मस्तक ऊँचा..............अंगूठे का दान।

      संदर्भ : यह पद्यांश रामधारी सिंह दिनकर द्वारा रचित 'रश्मिरथी' के प्रथम सर्ग से लिया गया है।

      प्रसंग : कृपाचार्य से धनुर्विद्या सीखने के बाद कौरव-पांडव राजकुमारों की परीक्षा चल रही थी। सभी जन धनुर्विद्या में अर्जुन के अद्भुत कौशल की प्रशंसा कर रहे थे, सूतपुत्र कर्ण ने अर्जुन को ललकारा। इसपर कृपाचार्य ने कर्ण की जाति और गोत्र पूछ लिया। उनका संकेत था कि उच्च वर्ण के वीरों को ही अपनी कला-निपुणता दिखाने की अनुमति है। द्रोणाचार्य ने भी इसका समर्थन किया।

        व्याख्या : आचार्यों ने आपत्ति उठाई तो कर्ण ने विरोध किया। जाति के नाम पर मानव-मानव में भेद करना उसे बुरा लगा। उसने आचार्यों को भी अपने तर्क बाणों से बेधना शुरू कर दिया। कर्ण ने कहा- आप लोग सिर ऊँचा उठाये अपनी जाति और कुलगौरव पर गर्व करते हैं। लेकिन आपका आचरण धर्म सम्मत नहीं है। दूसरों का शोषण करके उनकी मेहनत का फल लूटते हैं और सुख और भोग-विलास में डूबे रहते हैं। निम्न जाति के लोगों को देखकर आपके प्राण थर-थर काँपते हैं। उनमें से यदि कोई आपकी तरह कला-निपुणता दिखाता है तो कपट से उसका अंगूठा काट लेते हैं। कर्ण यहाँ द्रोणाचार्य पर कटाक्ष करता है, जिन्होंने गुरु दक्षिणा के रूप में निम्नजाति के एकलव्य का अंगूठा माँगा था।


4. किया कौन-सा.............प्राण, दो देह ।

     संदर्भ : यह पद्यांश दिनकरजी की कृति 'रश्मिरथी' के प्रथम सर्ग से लिया गया है।

     प्रसंग : जब आचार्यों ने कर्ण की जाति और गोत्र पूछकर उसे अपमानित किया तो सारी सभा मूक साक्षी होकर यह दृश्य देख रही थी। दुर्योधन ने आगे बढ़कर कर्ण को अंगदेश का राजा घोषित कर दिया। कर्ण ने दुर्योधन के इस व्यवहार से गद्गद् होकर आभार व्यक्त किया तो दुर्योधन ने कहा कि उसने कोई बड़ा त्याग नहीं किया है।

       व्याख्या : ओ मेरे मित्र! मैंने आज तुम्हें एक राज्य दे दिया तो यह कौन-सा बड़ा त्याग हुआ। तुम्हारी वीरता के आगे मेरा यह दान कुछ भी नहीं है। मेरे लिए तुम्हारी मित्रता बहुमूल्य है । यदि तुम मुझे मित्र के रूप में स्वीकार करो तो मैं कृतार्थ हो जाऊँगा । दुर्योधन के इन वचनों को सुनकर कर्ण पसीज गया, उसने कहा मुझ अकिंचन पर तुम्हारा इतना स्नेह ? तुम मेरी मित्रता चाहते हो न? मैं कहता हूँ कि आज से हम अभिन्न मित्र बन गये। अर्थात् हम भले ही दो शरीर के है मगर एक प्राण हो जाएँ। तुम्हारे सारे सुख-दुख मेरे हैं। अंत तक मैं तुम्हारी इस कृपा को भूलूँगा नहीं और हर संकट से तुम्हें उबारूँगा। 


5. सोच रहा हूँ................तू भी हे तात!

       संदर्भ : यह पद्यांश दिनकरजी से रचित 'रश्मिरथी' के प्रथम सर्ग से लिया गया है।

      प्रसंग : रंगभूमि में कर्ण के प्रकट होकर अर्जुन को ललकारने से तथा कृपाचार्य द्वारा जाति पूछकर कर्ण का अपमान करने से रंग में भंग हुआ। दुर्योधन ने कर्ण से भीम को मल्लयुद्ध के लिए ललकारने को कहा तो कृपाचार्य ने शिष्यों को घर लौटने का आदेश दिया। तब द्रोण ने चिंतित भाव से अर्जुन से कहा।

      व्याख्या : द्रोणाचार्य आज तक समझते थे कि अर्जुन ही अद्वितीय धनुर्धर है। जब उन्हें संदेह हुआ कि एकलव्य एक दिन अर्जुन का प्रतिद्वंद्वी बन सकता है, उन्होंने उसका अंगूठा काटकर अर्जुन के मार्ग को कंटक-रहित बना दिया। लेकिन आज रंग-भूमि में कर्ण द्वारा अर्जुन को ललकारने से रंग में भंग हो गया। इससे चिंतित होकर द्रोण अर्जुन से कहते हैं--

        वत्स अर्जुन! यह जो वीर आज तुम्हारा प्रतिद्वंद्वी बनकर प्रकट हुआ है, उसे देखकर मेरा चित्त विचलित हो गया। क्योंकि कर्ण के अंदर वीरता और साहस के लक्षण मिलते हैं। मैं सोच रहा हूँ कि इस प्रकाशमान नक्षत्र का तेज किस प्रकार कम किया जा सकता है। लेकिन एक बात निश्चित है। मैं कभी भी कर्ण को अपना शिष्य न बनाऊँगा। यह उत्कट वीर है, इसमें कोई संदेह नहीं। इसलिए हे वत्स, तुम इस प्रतिभट के प्रति हमेशा सावधान रहना।


              द्वितीय सर्ग


I. संदर्भ सहित व्याख्या :

1. आई है वीरता तपोवन.............आया है?

       संदर्भ : प्रस्तुत पद्यांश दिनकर द्वारा रचित 'रश्मिरथी' के द्वितीय सर्ग से लिया गया है।

       प्रसंग : इस पद्यांश में परशुराम की कुटी का परिचय है। परशुराम की कुटी के पास एक ओर कमंडल आदि तप के साधन और दूसरी ओर धनुष-बाण और तीर-बरछे देखकर कवि आश्चर्यजनक ढंग से कहता है कि यह किसकी कुटी हो सकती है? यह तपोभूमि है, या युद्धक्षेत्र! क्या किसी मुनि की कुटी है? नहीं, नहीं! हो सकता है कि मुनि के ही धनुष-कुठार हो! लेकिन मुनि तलवार उठा सकते हैं? नहीं, शायद नहीं ।

      व्याख्या : कवि के मन में तरह-तरह की बातें उठ रही हैं। कवि कहता है कि सम्भव हैं, वीरता तपोवन में पुण्य कमाने आयी है। हो सकता है कि कोई वीर ही युद्ध के भीषण स्थितियों को देखकर वैरागी हो गया हो और पुण्य की प्राप्ति के लिए तप कर रहा हो। ऐसी बात तो नहीं है कि कोई सन्यासी अपनी साधना में शारीरिक शक्ति का भी विकास कर रहा हो? ऐसा तो नहीं कि मन ने शरीर की सिद्धि का उपाय शस्त्रों के रूप में पाया हो? कौन जाने, कोई वीर ही यहाँ योगी से कुछ युक्ति सीखने आया हो ।

         विशेषता : परशुराम के कुटीर के पास एक ओर धनुष और दूसरी ओर कमंडल को देखकर कवि आश्चर्यचकित है । उसे सन्देह हो रहा है कि यह किसी वीर का कुटीर है अथवा किसी सन्यासी का आश्रम! प्रस्तुत पद्यावतरण में उपमेय में उपमानों की सम्भावना के कारण सन्देह अलंकार है। 'सन्यास-साधना' में 'स' की आवृत्ति के कारण वृत्यानुप्रास अलंकार है। भाषा में प्रसाद गुण विद्यमान है।


2. खड्ग बड़ा उद्धत होता............करता है।

        संदर्भ : प्रस्तुत पद्यांश दिनकर द्वारा रचित 'रश्मिरथी' के द्वितीय सर्ग से लिया गया है।

        प्रसंग : अपने आश्रम से कुछ दूर हटकर एक वृक्ष की छाया में गुरुवर परशुराम कर्ण की जाँघ पर सिर रखकर सोये हैं। कर्ण को अपने आचार्य की बातें याद आ रही हैं। वे गुरु की अपने प्रति अपार ममता देखकर भक्तिभाव में मग्न हुए जाते हैं। कर्ण इन्हीं भाव-तरंगों में बहते हुए यह सोचते हैं कि क्या विचित्र सामाजिक व्यवस्था है कि विद्या और ज्ञान ब्राह्मणों के घर में हैं, वैभव वैश्यों के पास, तो तलवार के धनी निश्चित रूप से क्षत्रिय हैं। किन्तु तलवार उठानेवाले क्षत्रियों के प्रति कर्ण के विचार उदार नहीं हैं।

         व्याख्या : ये तलवार के पनी मंत्रिय राजे-महाराजे विवेकशील नहीं होते। उनका स्वभाव बड़ा ही उम्र होता है। इसीलिए हर समय वे युद्ध ही चाहते हैं। उनकी महत्वाकांक्षाओं की ज्याला कभी बुझ नहीं पाती। वे सदैव अपनी महत्वाकांक्षों के चलते रण बाह्य बजाते दीखते हैं। ऐसी परिस्थिति में ब्राह्मण क्या करे। ब्राह्मणों के पास विद्या है, वे विवेकशील हे अवश्य, किन्तु उनकी सुनता कौन है? ब्राह्मण विवश हैं। शस्त्र-विहिन होने के कारण यह भयभीत है। चूंकि राजा उनको सम्मान देता है अतः वह भी राजा का आदर करते हैं। 

        विशेषता : 'खड्ग बहा उद्धत होता है' लाक्षणिक पद है। उद्धत होना जह वस्तु का स्वभाव नहीं। अतः लक्षणाशक्ति से हम अर्थ ग्रहण करेंगे कि खड्ग पकड़नेवालों (यहाँ क्षत्रिय राजाओं से तात्पर्य है) का स्वभाव उद्धत होता है।


3. नित्य कहा करते...............का बल भी।

       संदर्भ : यह पद्यांश श्री रामधारी सिंह दिनकर से लिखित 'रश्मिरथी के द्वितीय सर्ग से लिया गया है।

        प्रसंग:  कर्ण ब्राह्मण कुमार के वेश में उस युग के सर्वश्रेष्ठ धनुर्धर परशुराम से अस्त्र विद्या सीख रहा है। एक दिन गुरु परशुराम अपने शिष्य कर्ण की जाँघ पर सिर रखे हुए सो रहे थे। कर्ण गुरु के अद्भुत व्यक्तित्व और कथनों के बारे में विचार कर रहा है। प्रसंग उसी समय का है।

         व्याख्या:  कर्ण ब्रह्मतेज की तुलना में क्षात्रतेज से दीप्त अपने गुरु परशुरामजी के व्यक्तित्व और चरित्र के बारे में सोच रहा है। उसे गुरुजी की एक बात याद आती है। वह सोचता है कि उसके गुरु का कहना सही है कि तलवार बहुत ही भयकारी है। वह हर एक के वश में नहीं आती। तलवार यानी खड्ग उठाने का अधिकार हर किसी को नहीं है। जो शुद्धवीर हो तलवार उसीके वश में आती है। वही वीर पुरुष खड़ग उठा सकता है, जिसका हृदय कठोर होने के साथ कोमल भी हो तथा जिसमें धैर्य हो किसके साथ कठोरता बरतनी चाहिए और कब किसके साथ कोमलता का व्यवहार करना चाहिए, इसका विवेक उसमें होना चाहिए। तात्पर्य यह है कि शुद्धवीर वहीं है, जिसमें वीरता और पराक्रम हो, साथ में धैर्य और तपस्या का बल भी।


4. हा, कर्ण तू क्यों..........जहाँ सुजान।

       संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश दिनकर द्वारा रचित 'रश्मिरथी' के द्वितीय सर्ग से लिया गया है।

      प्रसंग: कर्ण की जाँघ पर सिर रखकर गुरुवर परशुराम निद्रामग्न है। इसी बीच कर्ण के मन में तरह-तरह के भाव उठ रहे हैं। कर्ण के माध्यम से विकृत जाति व्यवस्था पर दिनकर ने प्रहार किया है।

       व्याख्या: कर्ण सोचता है हाय, उसका जन्म ही क्यों हुआ? यदि कर्ण जन्मा भी तो वीर क्यों हुआ? कर्ण का शरीर कवच-कुण्डल-भूषित था, किन्तु सूतवंश में, चूंकि उसका लालन-पालन हुआ, अतः नीच जाति के माने गये। कर्ण को जाति विभाजित समाज से बड़ी घृणा-सी हो रही है। इस प्रकार के जाति-वर्ण के विचारों से भरे समाज में गुण की पूजा नहीं की जाती। सभी लोग वीरता या विशेषता की परख नहीं करते, सर्वत्र जाति ही पूछते हैं। कर्ण का हृदय हाहाकार कर उठता है। भला ऐसे देश का, जहाँ जाति की ही पहचान की जाती है, गुण की नहीं, कैसे कल्याण सम्भव है। ऐसे देश की उन्नति की आशा नहीं की जा सकती। ऐसे राष्ट्र का पतन अवश्यंभावी है।

         विशेषता : इन पंक्तियों में तत्कालीन जाति-भेद की रूढ़ियों की कटु आलोचना की गयी है। गुण और शक्ति को कवि आरम्भ से ही जाति से अधिक महत्व देता आया है। 

5. परशुराम ने कहा..............कभी न जायेगा।

       संदर्भ: प्रस्तुत पद्यांश दिनकर द्वारा रचित 'रश्मिरथी' के द्वितीय सर्ग से लिया गया है।

       प्रसंग:  जब परशुराम कर्ण की जाँघों पर सिर रखकर सोए थे, उसी समय एक विष-कीट आया और कर्ण की जाँघों को काटने लगा। लेकिन कर्ण अंगों को हिलाये बिना उसे पकड़ नहीं सकता था। क्योंकि इससे गुरुदेव की नींद टूट जाने की सम्भावना थी। अतएव कर्ण कीड़े के काटने का दर्द सहता रहा। जब परशुराम की निद्रा भंग हुई तो उन्होंने पहले तो कर्ण से कहा कि ऐसी गलती क्यों की; बाद में उन्होंने कहा कि अवश्य ही कर्ण ब्राह्मण नहीं, क्षत्रिय है। क्षत्रिय ही इस तरह पीड़ा सह सकता है।

        जब कर्ण अपनी जाति का रहस्य खोल देता है तो परशुराम की क्रोधाग्नि और भी भड़क उठती है। कर्ण झट-से गुरु के चरणों में झुककर कहता है कि सच है, गुरुदेव! मैंने बहुत भारी भूल की। अब आप दण्ड दीजिए उसे मैं ग्रहण करूंगा। जिन आँखों में मेरे लिए स्नेह का जल था, आज उन्हीं से आग बरसाएँ। जिसमें जलकर मैं छल के पाप से पवित्र हो सकूँ किन्तु परशुराम के सामने बड़ी दुविधा है। परशुराम ने कर्ण को स्नेह से अपनी सारी कलाएँ सिखाई थीं वे कर्ण को अपने पुत्र के समान मानते थे अतः बड़ी ही मार्मिक स्थिति है।

        व्याख्या : परशुराम ने कर्ण से कहा- हे कर्ण, तुम मुझे ऐसे आघात मत पहुँचाओं। तुम मेरे मन की दशा नहीं जानते! कर्ण उनके प्रिय शिष्य थे। उनका हृदय कर्ण को दंडित करना नहीं चाहता था परंतु कर्ण ने जो अपराध किया उसके लिए दंड नहीं दिए बिना भी नहीं रहा जा सकता था। वे क्या करें-कुछ समझ नहीं पड़ता था। लेकिन कर्ण के छल के लिए दण्ड देना भी उचित ही था। परशुराम की क्रोधाग्नि यों ही बुझनेवाली न थी ।

         विशेषता : इन पंक्तियों में कवि ने अभिनयात्मक ढंग से परशुराम के चरित्र पर प्रकाश डाला है। वर्णन में  नाटकीयता और प्रवाह है।










Saturday, March 27, 2021

EPECTED QUESTIONS AUGUST 2021 / PRAVESHIKA


           AKSHARAM AKSHAYAM 

           EXPECTED QUESTIONS 

           FEBRUARY 2021

           PRAVESHIKA

           प्रवेशिका

          Paper-1 

1. किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए :-

    • कवि मैथिलीशरण गुप्त पशु-प्रवृत्ति किसे कहते है ? 1

    • कवि मैथिलीशरण गुप्त किनको उदार मानते हैं ? 1

    • दधीचि ने किसके लिए अपना अस्थिजाल दिया? 1

    •  अनंत की लहरें कहाँ टकराती हैं? 2 ***

    •  कवि उड़ते खगों के पंखों की तुलना किससे करते हैं? 2

    • मनोहर तरुशिखा किसपर नाच रही है ? 2

    •  बादल के जनक कौन और सहोदर कौन-कौन हैं?  3

    • कवयित्री महादेवी वर्मा बादल के श्याम तन का परिधान किसे कहती हैं? -3 

     • धरती के रोम-रोम में कौन समा हुआ है? 3

    • कवि पंत के अनुसार मानव को किसपर निर्भर रहना चाहिए? 4**

    • जग-जीवन के बारे में कवि पंत का विचार क्या है? 4

    • कवि निराला के अनुसार दूसरों का अवगुण कैसे दूर किया जा सकता है? 4

    • 'निराला' क्यों ऐसा है कि उनका अभी न होगा? 5

    •  'निराला' पुष्प-पुष्प से किसे खींच लेंगे? 5

    • 'निराला' कैसा प्रत्यूष जगाएँगे? 5

    • 'बच्चन' किसपर कविता लिखना चाहते थे? 6

    • 'बच्चन' अंत में मौन क्यों हुए? 6

    • 'बच्चन' चिड़िया पर कविता क्यों लिखना चाहते थे? 6

    • दिनकर' के अनुसार विपत्ति किसको दहलाती है ? 7

    • पत्थर कब पानी बनता है? 7

   • 'काँटों में राह बनाना' इसका तात्पर्य क्या है? 7

    • सुभद्राकुमारी चौहान अपने प्रियतम के पास क्यों जाना चाहती हैं? 8

    • 'निश्चित मार्ग' की कवयित्री अपने प्रियतम को किन-किन शब्दों से संबोधित करती हैं? 8

    • सुभद्रा कुमारी चौहान अपने निश्चित मार्ग पर कैसे अड़ी है? 8

    • 'वह देश कौन-सा है?' - इसका उत्तर क्या है? 9

    • पंछी के पुलकित पंख किनसे टकराकर....10

    • पंछी को कलक-कटोरी को मैदा पसंद है या कटुक.....10

    • पंछी के अरमान कैसे थे? 10

    • बालकृष्ण राव किसे साँप कहते हैं? 11

    • पीले पत्तों ने अपने को कैसे पाला था? 12

    • कवि समुतींद्र के अनुसार पुराने कैसे होते हैं? 12

    • पं. नारायण देव हमें मन में क्या सोचने को कहते हैं? 13

    • हमें किससे बचकर चलने का आदेश 'अमृत पुत्र' ....13

    • पं. नारायण देव नेता लोगों के लक्षणों के बारे में ....13

    •  अमन की दुनिया कैसी होती है? 15

2. किसी एक कवि का परिचय दीजिए :-

     •  मैथिलीशरण गुप्त 1*     • जयशंकर प्रसाद 2   

      • महादेवी वर्मा **  •निराला 5  • सुमित्रानंदन पंत 4

     • हरिवंशराय 'बच्चन  6     • रामधारी सिंह 'दिनकर 7 ***

3. किसी एक कविता का सारांश लिखिए :-

      • मनुष्यता 1*   • मधुमय देश हमारा 2***   

       • श्यामल बादल 3 • चिरंतन जीवन चक्र 4* • अनंत द्वार 5 

       • प्यार 6 

4. किन्हीं दो पद्यांशों का संदर्भ सहित भाव समझाइए :-

       • विचार लो कि मर्त्य हो न मृत्यु से डरो कभी,........1****

       • क्षुषार्थ रतिदेव........1 

       • हेम कुंभ ले उषा सवेरे भरती ढुलकाती........2

       • तृषित धरा ने.....3

       • हम बादल कहते सरिता-सर,...3

       • बन शांत, धीर, क्षमतामय,..... 4

       • निश्चल आत्मा.......4**

       • हरे हरे वे पात ........5

       • "तब तुम मुझपर.....6

       • सच है विपत्ति ......7

       • गुण बड़े एक से एक प्रखर........7

       • मनमोहिनी प्रकृति की जो गोद में बसा है। .....9

       • पृथ्वी निवासियों को.......9

       • स्वर्ण-शृंखला.......10

       • नीड़ न दो, चाहे टहनी.......10      

5. किन्हीं दो पद्यांशों का संदर्भ सहित भाव समझाइए :

      • 'आमिना' और 'देवकी' ने जो पिलाया था कभी।........16***

      • सारे जहाँ ... ... 17

      •  हुब्बे वतन समाये आँखों में नूर होकर,.........17**

      •  समुंदर में फना होते हैं करते......18*

      • कर चले हम........19 ***

      • राह कुर्बानियों की ....19****

   .  • हंसा बगुला एकसा, मानसरोवर...... 20

      • दुख में सुमिरन सब करे,.........20

      • तुलसी तरु फूलत फलत, जेहि विधि कालहिं............21

      • नरपति नसे कुमंत्र सो, साधु......22

     • सरल वचन है औषधी,...... .22

6. कंठस्थ दोहों को ज्यों का त्यों लिखिए :

     • बिगरी बात.......

     • तरुवर फल नहिं ...... **

     • एकै साधे.......**

     •  जो रहीम......**

     • रहिमन याचकता.....

     • बड़े बड़ाई ......**

     • रहिमन जिह्वा .....

     • जब लगि वित्त .....    

7. किन्हीं तीन प्रश्नों के उत्तर पाँच-पाँच वाक्यों में लिखिए :- 

   • किसान सामान्यतः भारत माता का क्या अर्थ लेते थे? 1

   • भारत माता के प्रति नेहरू जी के क्या विचार थे? 1 ***

   • लेखक ने टार्च बेचनेवाली कंपनी का नाम 'सूरज छाप' क्यों रखा? 2

    पाँच साल बाद दोनों दोस्तों की मुलाकात किस परिस्थिति में हुई ? 2

   • टार्च बेचनेवाला अब कंपनी बदल रहा है- इसका आशय क्या है? वह क्या करनेवाला है? 2 

   • प्रेमचन्द की रचनाओं की विषय- वस्तु कौन-सी है? 3

   • प्रेमचन्द के साहित्यिक जीवन बारे में लिखिए । ...3*

   • दुनिया के महान आश्चर्यों में ताजमहल की गणना क्यों की जाती है? 4**

   • माखनलाल चतुर्वेदी व्यक्तित्व किस वस्तु को कहते हैं? 5*

   • व्यक्तित्व के अभाव में व्यक्ति का हाल क्या होता? 5***

   • अच्छी आदतों से बाहरी और भीतरी जीवन का मेल मनुष्य के जीवन में कैसा असर डालता है? 5 

   •  प्रसाद जी की दिनचर्या के बारे में लिखिए। 7

   •  प्रसाद के उपन्यासों के बारे में पाँच वाक्य लिखिए। 7**

   • प्रसाद की कहानियों और उनकी भाषा के बारे में अपना विचार व्यक्त कीजिए। 7*

   • महावीरप्रसाद द्विवेदी के संबंध में बनारसी दास का विचार कौन-सा था? 8

   • पत्रिका क्षेत्र के संबंध में द्विवेदी जी का दृष्टिकोण क्या था?8

   • चुनाव के समय नेताओं के वोट माँगने का तरीका बताइए। 9*

   • चुनाव के समय का वातावरण प्रस्तुत कीजिए।  9

   • लोभ को क्यों रोग कहा जाता है ? 10

   • धनी आदमीयों अपनी आत्मा को वश में नहीं कर सकता?10

   • बालगंगाधर तिलक के बचपन का वर्णन कीजिए। 11

   • तिलक को किसके कारण कारावास भोगना पड़ा?11

8. किन्हीं दो पर टिप्पणियाँ लिखिए :

    • भारत माता 1*   • अंधकार और प्रकाश-2****

    • "प्रेमचंद के साहित्य पर आर्थिक समस्याओं का प्रभुत्व।"**

    • प्रेम ईश्वरीय सृष्टि की सबसे बड़ी विभूति है 4 **

    •  व्यक्तित्व की रक्षा 5   • प्रसादजी के नाटक 7

    • चुनाव का मौसम 9  • लोभ एक तरह की बीमारी है। 10

    • धन पर धर्म की जीत 14

9. किसी एक पाठ का सारांश लिखिए : -

  • भारत माता 1 •  • मेरी तीर्थ यात्रा 8  •  लोभ 10 

  • नमक का दारोगा 14

10. किन्हीं तीन की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :-

   •  में उन्हें सोवियत यूनियन में .........1

    • हिंदुस्तान के नदी और पहाड़, जंगल .........1****

    • तुम शायद संन्यास ले रहे हो। जिसकी आत्मा .......2***

    • "साले, फिलासफ़ी मत बघार, यह बता कि.....2 **

    • उस युग के आदर्शवाद ने जिसका.....3

    • सामाजिक और आर्थिक आवरण के.....3

    • उनकी प्रतिभा कई अंशों में.......3

    • प्रेम की पवित्रता एवं तल्लीनता का में ..........4

    • 'प्रिय ! अगर मेरी मृत्यु के पश्चात् ........4**

    • कला कुछ व्यक्तियों का ही नहीं, कुछ जातियों तक...5

    • अच्छी आदर्ता से व्यक्ति........5

    • "जो कुछ समाज के भय से छिपकर किया जाता है,.... 7

    • प्रकृति अपने नियमों की अवहेलना को सहन नहीं कर...8

    • बरसात के मेंढक की तरह, ........9

    • "भूख लगने पर भोजन कर लेने से ........10

    •  मासिक वेतन तो पूर्णमासी का चाँद है, ...........14

    • मैं शस्त्र की धार से नहीं..... .15

    

                 **************


Paper-2 


1. किन्ही दो पर टिप्पणियों लिखिए :

      •   माँ-बाप और जन्म****   • लड़कपन***  • हाई स्कूल में   

      •  मांसाहार को मुल्नवी** • अहिंसा का पदार्थ पाठ** 

      • धर्मों के प्रति समभाव 

2. किसी एक का सारांश लिखिए :-

      • माँ-बाप और जन्म  • लड़कपन  • हाई स्कूल में***  

•     • विवाह और मांस-भक्षण** • तीन प्रतिज्ञाएँ ***  

3. किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए :-

   • हरिश्चंद्र कहाँ का राजा था? *****

   • विश्वामित्र ने कौन-सी प्रतिज्ञा की थी?**

   • विश्वामित्र के आश्रम में किसका उपद्रव बहुत बढ़ गया था?

   • नक्षत्रक किसका शिष्य था?*****

   • हरिश्चंद्र ने जंगल में सिंह को मारकर किसको बचाया? 

   • मनुष्य का सबसे बड़ा महत्वपूर्ण कर्तव्य क्या है?*****

   • किसने तपोवन को जंगल बना दिया था ?****

   • भगवान शंकर ने स्वप्न में दर्शन देकर चन्द्रमती से  क्या कहा ?***

   • चन्द्रमती के कथन के अनर पत्नी का परम कर्तव्य क्या है?**

   • हरिश्चन्द्र किसके हाथ में बिक गया ?

   • चन्द्रमती को काशी में किसने दासी के रूप में खरीदा?**

   • चण्डी किसकी पत्नी थी?****

   • रोहित जंगल में क्यों गया?

   • केशव और माधव कौन थे?**

   • हरिश्चंद्र ने चंद्रमती से दहन-शुल्क कितना माँगा?

   • चंद्रमती को किस अपराध पर मृत्यु-दंड दिया गया ?

   • वशिष्ठ को किस बात की प्रसन्नता थी ?*****

   • 'सत्यमेव जयते' का मतलब क्या है?***

  

4. किसी एक पर टिप्पणी लिखिए :

    • सत्यपाल***** • सुन्दरी****  • काल - कौशिक****

5. किसी एक पात्र का चरित्र-चित्रण कीजिए :-

    • हरिश्चंद्र***** • वशिष्ठ*****  • विश्वामित्र ****  • चन्द्रमती

6. वचन बदलिए 

     विद्यार्थी   सड़क  समस्या   बहू   छुट्टी  रुपया  काका  तरकारी 

     तोता   दादा  पशु   किताब  बीमारी  रुपया  मेला  मंदिर  पुस्तक

     बादशाह  लड़की   कलम    चिड़िया  बालक  आदमी   कमरा

     बात   लता  दिन  सड़क   मकान  दीवार  मोती   विद्या  टोकरा  

    रचना   वधू    चोर   तरकारी   बगीचा   भाई  सभ्यता

7. लिंग बदलिए :

     पुत्र  ऊँट  छात्र   विद्वान   गाय  बालक  बूढ़ा  आदमी  शेर

     बालक   सखा  बच्चा  भाई  पोता  नौकर  माँ   पंडित  

     धोबी  हाथी  कौआ  स्त्री  अध्यक्ष   मालिक   कवि  बाघ  

     मोर   अभिनेता  नर   जेठ   सम्राट    मालिक   नाना 

     देवर  बिल्ली  सेवक  देवर  चोर

8. किन्हीं तीन की संदर्भ सहित व्याख्या कीजिए :-

    • अनजान में भी मुंह से निकले वचन का वे पालन .........1**

'   • प्रजा को सत्य मार्ग पर........2 

'   • सांसारिक झंझटों में.......3 

    • कामिनी और कंचन ........4 ***

    • मैं उस शुभ दिन की......5**

    • 'हरिश्चंद्र यदि.......7 ***

    • शास्त्र चर्चा और नियम-निर्धारण करना........8

    • 'सत्यनिष्ठा मेरा.......9***

    • जो राष्ट्र-वृक्ष अब तक आपके ........10

    • शासक तो पहले......11

    • ये ऋषि सर्प है। सर्प से यह कहा जाए .......12

    • भगवान रक्षा......16 *****

    • 'पति के कार्य.......17 **

    • जब गाय को खरीद लिया तो बछड़ा .......20**

    • गुरु के कार्यों का......21 **   

    • नियम सबके लिए एक ही होता है देवी।........23**

  

9. किन्हीं पाँच प्रश्नों के उत्तर एक या दो वाक्यों में लिखिए:- 

    • भाषा किसे कहते है?**

    • व्याकरण किसे कहते हैं?***

    • शब्द किसे कहते हैं? किन-किन दृष्टियों से शब्दों का वर्गीकरण किया जाता है?***

    • संज्ञा की परिभाषा दीजिए।*****

    • लिंग की परिभाषा दीजिए। उसके कितने प्रकार है?

    • वचन किसे कहते हैं? उसके प्रकार क्या-क्या है?***

    • कारक किसे कहते हैं?

    • सर्वनाम की परिभाषा दीजिए।

    • सर्वनाम के कितने भेद हैं और वे क्या-क्या हैं? 

    • विशेषण किसे कहते हैं?

    • निर्देशक सर्वनाम का दूसरा नाम क्या है?

    • कर्म की दृष्टि से क्रिया के भेद क्या-क्या हैं? *

    • नाम धातु किसे कहते हैं?

    • प्रमुख रूप से काल के कितने भेद हैं? वे क्या-क्या हैं? 

    • 'यह तस्वीर पिताजी ने खींची' - यह वाक्य कर्तृवाच्य है या कर्मवाच्य?

    • 'कोई' और 'कुछ' निश्चयवाचक सर्वनाम है या अनिश्चयवाचक सर्वनाम है ?

    • संबंधबोधक की परिभाषा दीजिए।

    • समुच्चयबोधक का काम क्या है?

    • विस्मयादिबोधक शब्द विकारी हैं या अविकारी?

    • प्रत्यय का दूसरा नाम क्या है?

    • तत्सम उपसर्ग किसे कहते हैं?

    • 'ने' का प्रयोग किस काल में किया जाता है?**

    • वाक्य को निषेधात्मक या नकारात्मक रूप देने के लिए किस शब्द का प्रयोग किया जाता है? 

10. किन्हीं चार प्रश्नों के उत्तर सविस्तार लिखिए :-

     • भाषा की परिभाषा देते हुए उसके प्रकारों पर प्रकाश डालिए।***

     • व्युत्पत्ति की दृष्टि से शब्द के कितने भेद है? सोदाहरण व्याख्या कीजिए।**

     • रचना की दृष्टि से शब्द के भेदों पर उदाहरण सहित प्रकाश डालिए।

     • संज्ञा किसे कहते हैं और उसके कितने प्रकार है- समझाइए।

     • लिंग की परिभाषा देते हुए सोदाहरण लिखिए कि लिंग के कितने ये क्या-क्या हैं?***

    • कारक की परिभाषा क्या है, उसके कितने प्रकार हैं, सोदाहरण समझाइए।**

     • सर्वनाम किसे कहते हैं? उसका उपयोग बताकर उसके भेदों पर प्रकाश डालिए।**

     • विशेषण की परिभाषा देते हुए उसके भेदों को सोदाहरण समझाइए।**

    • क्रिया की परिभाषा देकर कर्म की दृष्टि से क्रिया के भेदों को सोदाहरण समझाइए।

    • भूतकाल किसे कहते हैं? भूतकाल के कितने प्रकार हैं और वे क्या-क्या हैं? उदाहरण सहित समझाइए| 

    • वर्तमानकाल की परिभाषा देते हुए उसके प्रकारों पर प्रकाश डालिए।

     • समास की परिभाषा देकर उसके भेदों को उदाहरण सहित समझाइए। 

     •  न, नहीं और मत का प्रयोग उदाहरण के साथ समझाइए।**

     • कर्तृवाच्य को कर्मवाच्य या भाववाच्य में बदलने के नियम क्या है?

       उदाहरण देकर स्पष्ट कीजिए।

    •  समुच्चयबोधक की परिभाषा देते हुए उसके भेदों पर प्रकाश डालिए।

    • उपसर्ग किसे कहते हैं? उदाहरण देकर उसके भेदों को समझाइए । 

    • उपसर्ग और प्रत्यय का अंतर उदाहरण सहित समझाइए।

    •  समास की परिभाषा देते हुए द्वंद्व समास और बहुव्रीहि समास का

       अंतर सोदाहरण समझाइए।

    • न, नहीं और मत का प्रयोग प्रदाहरण के साथ समझाइए। 

  


                ***************


         Paper-3

           भाग -1

1. किसी एक विषय पर निबंध लिखिए :-

    • परिश्रम का महत्व*** • अनुशासन ***

    • भारत के नवनिर्माण में युवकों का योग्दान** 

    • परोपकार • भारत की भावात्मक एकता**

    •  नागरिकों के कर्तव्य और अधिकार** •  भारत में भ्रष्टाचार**

    • दूरदर्शन  • भारत में कम्प्यूटर* • दीपावली  • महात्मा गाँधी

   • जवाहरलाल नेहरू 

2. • प्रधान सचिव, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई को नौकरी की मांग करते हुए एक प्रार्थना-पत्र  लिखिए।***2

     • नौकरी की मांग करते हुए प्रधान सचिव, दक्षिण भारत हिंदी प्रचार सभा, चेन्नई को एक प्रार्थना-पत्र लिखिए।***2

     • व्यवस्थापक, कमल भारती प्रकाशन, इलाहाबाद को कुछ पुस्तकों का आदेश देते हुए एक पत्र लिखिए। **3

     • मुख्य सचित, शिक्षा मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से  शिक्षा संचालक, उत्तर प्रदेश राज्य को एक सामान्य सरकारी पत्र लिखिए कि राज्य को दी समाज सजी धजीकृत गम्यायो की जांच की जाए ओर रिपोर्ट मंत्रालय को यथाशीघ्र भेजी जाए। ** 5 


                            (या)

     • गृह मंत्रालय, भारत सरकार की ओर से अन्य सभी मंत्रालयों को एक कार्यालय ज्ञापन तैयार कीजिए कि सभी मंत्रालयों के कर्मचारियों को हिंदी प्रशिक्षण योजना में सम्मिलित होने का प्रोत्साहन और सुविधा दी जाए। 7

     • सचिव, समाज कल्याण मंत्रालय की ओर से सचिव, गृह मंत्रालय को एक अर्ध सरकारी पत्र तैयार करें कि श्री विनय प्रकाश को 31 जनवरी, 2012 से एक वर्ष और भारत सरकार की सेवा में रहने दिया जाए। 8


3. निम्नलिखित गद्यांश को संक्षेप में लिखिए :

     • पर प्रेम का सहायक परमात्मा है।..   1

     • रविवार का दिन था। श्रीमती स्टो गिरिजाघर गयी हुई थीं और ............****2

     • हमने आज़ादी हासिल की, किस तरह.........7

     • "उस मैना को क्या हो गया है, यही सोचता हूँ। ...8

4. अपनी प्रांतीय भाषा में अनुवाद कीजिए :-

     • यदि ईश्वर कहे कि ले मैं तुम्हें आज़ाद....1

     • समय जाते देर नहीं लगती। पन्द्रह वर्ष बीत चुके, पर जान पड़ता.......2

     • मनुष्य मृत्यु को असुन्दर ही नहीं, अपवित्र भी मानता है।.....4

     • बौद्ध काल में सबसे बड़ा विश्वविद्यालय नालंदा....6

     • स्वतंत्रता प्राप्ति से पूर्व हिन्दी के ही माध्यम से भारत के....11

5. हिन्दी में अनुवाद कीजिए :-

    • வாருங்கள். நாம் கவலை மற்றும் சத்தேக......1

    • என்னுடைய சட்டைப்பையில் கடிகாரம்*****2

    • வயதான ஷாஜஹான் இவ்வுலக வாழ்க்கையை....3

    • மாணவ விடுதியில் அதிகாலையில்.......4

    • தற்சமயம் உலகத்தில் எத்தனை பல்கலைக்.......5

   


             भाग -2

1. ஏதேனும் ஒன்றனுக்கு 

    இடஞ்சுட்டிப் பொருள் விளக்கம் தருக

       (அ) & (ஆ) 

       • "முகம்நக நட்பது நட்பன்று நெஞ்சத்து அகம்நக நட்பது நட்பு.."***

       • 'நகுதற் பொருட்டன்று நட்டல் மிகுதிக்கண் 

          மேற்சென்று இடித்தற் பொருட்டு**

       • உடுக்கை இழந்தவன் கைபோல ஆங்கே

          இடுக்கண் களைவதாம் நட்பு**

       • சாதிக் கொடுமைகள் வேண்டாம் அன்பு 

         தன்னில் செழித்திடும் வையம்

         ஆதரவுற்றிங்கு வாழ்வோம் தொழில்

         ஆயிரம் மாண்புறச் செய்வோம் 

       • பட்டினி யாக இறந்திடினும் - நாங்கள் பாவம் பழிசெய்ய மாட்டோம்-அம்மா!**

        • மனிதா மனிதனாக வேண்டுமா மரத்திடம் வா 

           ஒவ்வொரு மரமும் போதி மரம்

        • கன்று பசுவை மறந்திடினும் - செய்த

           கருமங்கள் உம்மை விடுமோ ஐயா?

        • "என்ன குறை? எங்கு வந்தீர்?" என்னக் கேட்கும் இன்முகமாய்க் குலவுகின்ற எளிமை வேண்டும்.

       • நண்பனாய் மந்திரியாய் நல்லா சிரியனுமாய் பண்பிலே தெய்வமாய்ப் பார்வையிலே சேவகனாய் எங்கிருந்தோ வந்தான் இடைச்சாதி என்று சொன்னான் இங்கிவனை யான்பெறவே என்னதவம் செய்துவிட்டேன்!

        • நிறைநீர நீரவர் கேண்மை பிறைமதிப் பின்னீர பேதையார் நட்பு.

        • வலிமை உடையது தெய்வம் - நம்மை வாழ்ந்திடச் செய்வது தெய்வம்.



2. ஏதேனும் ஒரு வினாவிற்கு விடை தருக:

     (அ) , (ஆ) &  (இ)

     • புறநானூறு துணை கொண்டு கபிலரும் பாரியும்  பற்றி விவரிக்க**

    • முக்கூடற் பள்ளில் மூத்த பள்ளிக்கும் இளைய பள்ளிக்கும் இடையே நடந்த உரையாடலை விளக்குக.**

     • உத்தமர் காந்தியடிகளின் வாழ்க்கை நமக்கு ஒரு படிப்பினை என்பதை நாமக்கல் கவிஞர் எங்ஙனம் வலியுறுத்துகின்றார்***

     • நட்பைப்பற்றி திருவள்ளுவர் கூறும் கருத்துகளைத் தொகுத்து எழுதுக.****

    • நட்பாராய்தல் பற்றி திருவள்ளுவர் கூறும் கருத்துகளைத் தொகுத்து**

     •  கண்ணன் என் சேவகன் என்று சுப்பிரமணிய பாரதியார் கூறும் கருத்துகளைத் தொகுத்து எழுதுக

     • நாமக்கல்லாரின் படிப்பினை யாவை ? 

     • முரசு மூலம் பாரதியார் விடுக்கும் செய்திகள் பற்றி தொகுத்து எழுதுக***

     • செல்வச் சிறுமியரின் களிப்பை கவிமணி தேசிக  விநாயகம் பிள்ளை எங்ஙனம் வர்ணிக்கின்றார்?**

     • காந்தியும், வள்ளுவரும் என்றதலைப்பில் தமிழ்க்கடல் ராய. சொக்கலிங்கம் கூறுவதை எழுதுக.***

     • மரங்களின் மாண்புகள் பற்றி கவிஞர் வைரமுத்துவின் கருத்துகள் யாவை?

     • 'புத்தக சாலை' என்றதலைப்பில் புரட்சிக் கவிஞர் பாரதிதாசன் கூறும் கருத்துகளைத் தொகுத்து வரைக.**

     • 'பத்திரிகை' என்ற தலைப்பில் புரட்சிக் கவிஞர் பாரதிதாசன் கூறும் கருத்துகளைத் தொகுத்து வரைக.

      • மெய்பொருள் நாயனாரின் பக்தியினைத் தொகுத்து எழுதுக.**

3. ஏதேனும் ஒன்றுக்கு இடஞ்சுட்டிப் பொருள் 

    விளக்கம் தருக 

    (அ) & (ஆ)

    • "மதியாதார் முற்றம் மதித்து ஒருகால் சென்று மிதியாமை கோடியுறும்."**

    • "பூரண பொற்குடம் வைத்துப் புறமெங்கும்.

       தோரணம் நாட்டக் கனாக் கண்டேன் தோழி! நான்.”**

    • "பாரகம் அடங்கலும் பசிப்பிணி அறுக."***

    • "மானம் இழந்தபின் வாழாமை முன் இனிது.**

    •  "சுயராஜ்யம் எனது பிறப்புரிமை; 

        அதனை நான் அடைந்தே தீருவேன்."****

    • அவள் கைகளால் முதலில் உணவினை உன் பாத்திரத்தில் ஏற்றால் உணவு மேலும் பெருகும்.

    • ''வேளாளன் என்பான் விருந்திருக்க உண்ணாதான்.

    • “குழவி தளர் நடை காண்டல் இனிது அவர் மழலை கேட்டல் அமிழ்தின் இனிது.”

   • "இன்பக் கதைகளெல்லாம் கண்ணம்மா உன்னைப்போல் ஏடுகள் சொல்வதுண்டோ.'**

    • இறைவனது அழகிய திருவடிகளைத் துதிக்கும் சிவபூஜைக் கணங்களில் நானும் ஒன்றானேன்."

    •  இந்தஉத்தி யோகம் என்ன பெரிதா - நெஞ்சே! இதுபோனால் நாம்பிழைப்பது அரிதா?'"

4. ஏதேனும் ஒரு வினாவிற்கு விடை தருக :-

(அ) , (ஆ) & (இ)

     • உத்தம நண்பர் பற்றி ஆசிரியர் கூறும் கருத்துகள் யாவை?**

     •  கரிகால வளவனின் சிறப்புகளை தொகுத்து எழுதுக.**

     • 'தமிழ்த்தாத்தா உ.வே. சாமிநாதய்யர்' பற்றி 

        ஒரு கட்டுரை வரைக.***

     • தென்னாட்டுத் திலகர் வ.உ சிதம்பரனார் பற்றி ஒரு கட்டுரை வரைக ****

     • குமர குருபரர் குறித்து கட்டுரை வரைக.***

     •  புலமைப் பெண்டிருள் எவரேனும் ஒருவரைப் பற்றி  நீவிர் அறிந்ததை எழுதுக

     • புலமைப் பெண்டிரைப் பற்றி ஒரு கட்டுரை வரைக.****

     • சூடிக் கொடுத்த சுடர்க்கொடி' ஆண்டாளின் அருஞ்சிறப்புக் குறித்து ஒரு கட்டுரை

     •  இனியவை நாற்பது" கூறும் கருத்துகள்  யாவை ?****

     • 'மேதை வேதநாயகர் பற்றி ஒரு கட்டுரை வரைக.**

      • அமுதசுரபியும், ஆபுத்திரனும்' என்ற தலைப்பின்கீழ் பாடநூல் கூறப்பட்டுள்ளவை யாவை? **

      • ஆதிரையின் குணநலன்களை தொகுத்துரைக்க.**




                  *******************


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Wednesday, August 5, 2020

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

' प 'से शुरू होने वाले मुहावरे :

👇 सिर्फ 611 से 613 तक

611. फफोले फोड़ना – (वैर होना) – उसकी मुझसे दुश्मनी है इसलिए मैं उसके हमेशा फफोले फोड़ता रहता हूँ ।

612. फब्तियां कसना – (ताना मारना) – जब सिक्षा कक्षा में फेल हो गई तब उसके पिता ने उस पर खूब फब्तियां कसीं ।

613. फूल झड़ना – (मीठा बोलना) – जब शशि बोलती हैतो ऐसा लगता है जैसे फूल झड़ रहे हो ।

👇614 से 620 तक...

'ब' से शुरू होने वाले मुहावरे :

614. बगलें झाँकना – (बेइज्जत होकर चारों तरफ देखना ) – जब कर्जा न चुकाने की वजह से वह सब जगह बगलें झाँकने लगा ।

615. बट्टा लगाना – (कलंक लगाना) – उसने अपनी परिवार की इज्जत पर बट्टा लगा दिया ।

616. बरस पड़ना – (क्रोध से बातें सुनाना) – शिवानी मुझ पर बिना किसी बात के बरस पड़ी ।

617. बाग बाग होना – (खूब खुश होना) – जब उसे अपने पास होने की बात का पता चला तो वह बाग बाग हो गया है ।

618. बाजी ले जाना – (आगे निकलना) – मिल्खा सिंह ने दौड़ में बाजी ले ली ।

619. बात चलाना – (शुरू करना) -आजकल तो मेरी शादी की बातें चल रही हैं ।

620.बात काटना -( बीच में बोलना) – छोटों को बड़ों की बात काटना उचित नहीं है ।




   मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

 'ब' से शुरू होने वाले मुहावरे :

621 से 630 तक 👇

' 621. बातों में आना – (धोखा खाना) – तुम लोग सोहन की बातों में आ जाते हो वह तो धोखेबाज है ।

622. बाल बाँका न होना – (हानि न होना) – संजना के प्रेमी ने उससे कहा कि वह उसका बाल भी बाँका नहीं होगा ।

623. बाल की खाल निकलना – (बिना मतलब की बात करना) -बात की खाल निकलने से अच्छा अपने अपने काम में ध्यान दो ।

624. बासी कढ़ी में उबाल आना – (बुढ़ापे में जवानी की आशा करना) – आजकल लोगों में बासी कढ़ी में उबाल आने की बातें होती हैं ।

625. बीड़ा उठाना – (जिम्मेदारी लेना) – सूर्य पुत्र कर्ण ने अंग देश की प्रजा को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया था ।

626. बुखार उतारना – (गुस्सा करना) – सोहन के पिता ने कहा कि वे दो मिनट में मेरा बुखार उतार देंगे ।

627. बेडा पार लगाना – (मुसीबत से निकालना) – अब तो भगवान ही हमारा बेडा पर लगा सकते हैं ।

628.बे सिर पैर की बात करना – (बिन मतलब की बात करना) – तुम लोग बे सिर पैर की बातें करना छोड़ो और अपना अपना काम करो ।

629. बेवक्त की शहनाई बजाना –(अवसर के खिलाफ काम करना) – वे लोग तो उल्टे हैं बेवक्त की शहनाई बजाते रहते हैं ।

630. बोलती बंद करना – (बोलने नहीं देना) – मैंने गलत काम करने के लिए मना किया लेकिन वह नहीं माना तो मैंने उसकी बोलती बंद कर दी ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

 'ब' से शुरू होने वाले मुहावरे :

631 से 644 तक 👇

631. बौछार करना – (अधिक देना) – कन्यादान करते समय लडकी के पिता ने पैसे की बौछार कर दी ।

632. बन्दर घुड़की – (बेकार धमकी देना) – तुम बन्दर घुड़की मत दिया करो तुम से कुछ नहीं होगा ।

633. बखिया उधेड़ना – (राज खोलना) – 1921 में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों की बखिया उधेड़ दी ।

634. बछिया का ताऊ – (मूर्ख) – वह तो बछिया का ताऊ है जिस टहनी पर बैठा है उसी को काट रहा है ।

635. बड़े घर की हवा खाना – (जेल जाना) – सतवीर ने शराब का काम किया और फस गया तो उसे बड़े घर की हवा खानी पड़ी ।

636. बल्लियों उछलना – (बहुत खुश होना) – क्रिकट में जितने पर भारत के खिलाडियों ने बल्लियाँ उछाल दी ।

637. बाएँ हाथ का खेल – (आसान काम) – तुम लोग इसे बाएँ हाथ का खेल मत समझो यह बहुत मुश्किल काम है ।

638. बाँछे खिल जाना – (बहुत खुश होना) – पवन को देखते ही उसके तो बाँछे खिल गये ।

639. बाजार गर्म होना – (धंधा अच्छा चलना) – आजकल तो बाजार बहुत गर्म हो रहा है इसमें बहुत लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है ।

640. बात का धनी होना – (वादे का पक्का होना) – कार्तिक तो बात का धनी है जो ख देता है पूरा करता है ।

641. बिल्ली के गले में घंटी बंधना –(खुद को परेशानी में डालना) – जब लोग बिल्ली के गले में घंटी बाँधते रहते हैं ।

642. बेपेंदी का लोटा – (पक्ष बदलने वाला) – अनीता तो दोनों तरफ अपनी बातें सुनती है वह तो बेपेंदी के लोटे की तरह है ।

643. बगुला भगत – (छलने वाला) – भरत की मत पूछो वह उपर से सीधा है लेकिन अंदर से बगुला भगत है ।

644. बहती गंगा में हाथ धोना – (दूसरे के काम से लाभ उठाना) -जब वह अपना काम करवाने गया था तो मैंने भी उसका काम बनता देख अपना भी काम बना लिया यह तो बहती गंगा में हाथ धोने वाली बात है ।
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मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

645 से 657 तक 👇

'भ' से शुरू होने वाले मुहावरे :

645. भंडा फूटना – (राज खुलना) -सब लोगों के सामने ही उसका भंडा फूट गया ।

646. भानुमती का पिटारा – (अलग अलग चीजों का पात्र) – संग्रहालय को भानुमती का पिटारा माना जाता हैक्योंकि वहाँ पर सभी प्रकार की वस्तुएं मिल जाती हैं ।

647. भार उठाना – (उत्तरदायित्व लेना) – वह अपनी बहन का भर उठाकर आजतक उसे पूरा कर रहा है ।

648. भार उतारना – (ऋण से मुक्त होना) – उसने ऋण चूका के अपना भर उतार लिया ।

649. भूत सवार होना – (बहुत क्रोध आना) – वह किसी की भी बात नहीं सुन रहा है उसके सिर पर तो बहुत सवार है ।

650. भौंह चढ़ाना – (गुस्सा आना) – जब उसने विरोधी की बातें सुनी तो उसकी भौंह चढने लगीं ।

651. भाड़ झोंकना – (समय बर्बाद करना) – उस पर भाड झोंकने के अलावा और कोई काम नहीं है ।

652. भाड़े का टट्टू – (पैसे लेकर काम करने वाला) – पैसों से कितने भी भाड़े के टट्टू खरीदे जा सकते हैं ।

653. भीगी बिल्ली बनना – (सहमना) – वह तो दूसरे के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है ।

654.भैंस के आगे बिन बजाना – (मूर्ख आदमी को उपदेश देना) – अनपढ़ों को पढ़ाना भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है ।

655. भेड़ियाधसान होना – (देखा -देखी करना) – तुम लोग क्यूँ लोगों के घर जा जाकर भेड़ियाधसान हो रहे हो होना वही है जो किस्मत में लिखा है ।

656. भरी लगना – (असहय होना) – कमजोर व्यक्ति को जरा सा भर भी ज्यादा लगता है ।

657. भनक पड़ना – (खबर लगना) – अगर लूं को हमारे बुरे कामों के बारे में भनक भी पड़ गई तो बहुत बुरा होगा ।




मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

658 से 670 तक 👇

' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :

658. मक्खी की तरह निकाल देना –(किसी को काम से अलग कर देना) – जब लोगों को लगा की अब 6 व्यक्तियों की जरूरत नहीं है तो उसने उसे मक्खी की तरह निकाल क्र फेंक दिया ।

659. मक्खी मारना – (निकम्मा होना) -वह तो बस मक्खी मरता फिरता है उसे कोई और काम आता ही नहीं ।

660. मगज खाना – (परेशान करना) – उसने सवाल पूंछ पूंछ क्र मेरा तो मगज ही खा लिया ।

661. मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना -आजकल कोई भी काम बिना मुट्ठी गर्म किये नहीं होता ।

662. मुँह में पानी भर आना – (जी ललचाना)- आइसक्रीम देखकर नीता के मुंह में पानी भर आया।

663.मजा किरकिरा होना – (रंग में भंग डलना) – जब पुलिस शराब खाने में आ गई तो शराबियों का मजा किरकिरा हो गया।

664. मन की मन में रहना – (इच्छा अधूरी रहना) – उसके बेटे की शादी पर उसकी मन में मन रह गई।

665. मन में लड्डू खाना – (व्यर्थ खुश होना) – जब उसे अपनी शादी का पता चला तो उसके मन में लड्डू फूटने लगे।

666. मन मैला करना – (अप्रसन्न होना) – जब भी कोई शुभ काम होता है तो न जाने क्यूँ कमल का मन मैला हो जाता है ।

667. मशाल लेकर ढूँढना – (अच्छे से ढूँढना) – विराट कोहली जैसा खिलाडी हमें मशाल लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा ।

668. माथे पर बल पड़ना – (चहरे पर गुस्सा होना) – कोई भी गलत बात को सुनकर माथे पर बल ले ही आएगा ।

669. मारा मारा फिरना – (बुरी तरह घूमना) – जब अर्जुन की नौकरी चली गई तो वह मारा मारा फिरने लगा ।

670. मिटटी के मोल बिकना –(सस्ता होना) – सदर बाजार में वस्तुएं मिटटी के मोल बिकती हैं ।

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

671 से 680 तक 👇

' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :

671. मिटटी पलीद करना – (बुरी धस करना) – मेरे बने बनाए काम की तुमने मिटटी पलीद कर दी ।

672. मुंह की खाना – (लज्जित होना) – दुर्योधन जब हार गया तो उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी ।

673. मुंह काला करना – (बदनामी होना) – दुष्कर्मों की वजह से समाज ने लक्ष्मी का मुंह काला कर दिया ।

674. मुंहतोड़ जवाब देना – (सबक सिखाना) – युद्ध में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था ।

675. मुंहदेखी कहना – (तारीफ करना) – वह किसी की सच्चाई नहीं जनता बस मुंहदेखी कहता रहता है ।

676. मुंहमांगी मुराद पाना – (मन चाहा मिलना) – मुंहमांगी मुराद पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है ।

677. मुंह में पानी भर आना – (लालच आना) – जब लोग मरीज के सामने मसालेदार खाने की बात क्र रहे थे तो मरीज के मुंह में पानी भर आया ।

678. मुंह में लगाम न होना – (ज्यादा बोलना) – बबिता के मुंह मेलागम नहीं है वह बहुत ज्यादा बोलती है और फिर रूकती भी नहीं है ।

679. मुंह मोड़ना – (विमुख होना) – लोगों की बातों पर विश्वास करके उसने अपने सच्चे दोस्त से मुंह मोड़ लिया ।

680. मुठ्ठी गरम करना – (घूस देना) – आजकल के ओफिसर बस अपनी मुठ्ठी गरम करने में लगे रहते हैं ।

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

681 से 690 तक 👇

' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :

681. मैदान साफ होना – (बाधा न होना) – मैदान साफ होने की वजह से वे खेल आसानी से जीत गये ।

682. मैदान मारना – (जीत जाना) – उसने प्र्त्योगिता में सभी राज्यों से मैदान मार लिया ।

683. मौत का सिर पर खेलना – (मरने वाला) – रमेश के सिर पर मौत खेल रही है पता नहीं अगले दो पल में क्या हो जाये ।

684. मेढकी को जुकाम होना – (अनहोनी होना) – पर्वत को उठाना मेंढकी को जुकाम होने के बराबर समझा जाता है ।

685.मक्खन लगाना – (चापलूसी करना) – मुन्सी मक्खन लगाकर मालिक सी अपनाकाम निकलवा लेता है ।

686. मिटटी का माधो – (बिलकुल मूर्ख) – वह दुनिया को बिलकुल नहीं जानता वह तो मिटटी का माधो है ।

687. मिटटी खराब करना – (बुरी हालत करना) – पहलवानी में लुट्टन ने शेर कहाँ की मिटटी खराब क्र दी ।

688. मुंह खून लगना – (घूस लेने की आदत पड़ना) – अगर शेर के मुंह खून लग जाये तो वह खतरनाक हो जाता है ।

689. मुंह छिपाना – (बेइज्जत होना) – कुकर्म करने की वजह से उसे अपना मुंह छिपाना पद रहा है ।

690. मुंह रखना – (मान रखना) – रिश्तेदारों ने अपने लोगों की बात का मान रख लिया ।

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

691 से 701 तक 👇

' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :

691. मुंह पर कालिख पोतना – (कलंक लगना) – झूठी बातों की वजह से निर्दोष लोगों के मुंह पर कालिख पुत गई ।

692. मुंह उतरना – (दुखी होना) – शादी के टूटने की खबर से उसका मुंह उतर गया ।

693. मुंह ताकना – (दूसरों पर निर्भर) – हमे कभी भी किसी का मुंह नहीं ताकना चाहए हमें स्वंय के पैरों पर खड़ा होना चाहिए ।

694. मोहर लगा देना – (पुष्टि करना) – आजकल सब लोग बातों पर मोहर लगा दिया करते हैं ।

695. मर मिटना – (नष्ट होना) – पहले लोग एक दूसरे के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे लेकिन आज एक दूसरे से बोलते भी नहीं हैं ।

696. मांस नोचना – (परेशान करना) – उसने पीछे डोल डोल क्र मेरा तो मास ही नोच लिया है ।

697. मोम हो जाना – (नर्म बनना) -लोगों को आजकल कोई नहीं समझ सकता कभी बहुत गुस्सा करते हैं और कभी मोम बन जाते हैं ।

698. मन फट जाना – (फीका पड़ना) – लोगों को साथ देखकर कुछ लोगों के मन फट जाते हैं ।

699. मीन मेख करना – (बेकार तर्क) – तुम लोग मीन मेख करना बंद करो और जल्द से जल्द काम को पूरा करो ।

700. मोटा आसामी – (अमीर आदमी) – सुनार तो आज के समय में मोटे आसामी हो गये हैं क्योंकि आजकल सब सोना बहुत खरीदते हैं ।

701. मुठभेड़ होना – (मुकाबला होना) – जब लुट्टन की शेर खां से मुठभेड़ हुई थी तो शेर खां को मुंह की खानी पड़ी ।

    
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

702 से 708 तक 👇

' य' से शुरू होने वाले मुहावरे :

702. यश कमाना – (नाम कमाना) – लोगों को यश कमाने में बहुत साल लग जाते हैं लेकिन गवाने में एक पल नहीं लगता ।

703. यश मिलना – (सम्मान मिलना) – युधिष्ठिर को उनकी बुद्धि की वजह से यश मिली थी ।

704. यश गाना – (तारीफ करना) – गुरु द्रोणाचार्य जी अर्जुन का यश गाते रहते है ।

705. यश मानना – (कृतज्ञ होना) – पंचाल ने यज्ञ करते समय यश मानने की गलती की थी ।

706. युग-युग – (दिनों तक) – महाभारत का युद्ध युग युग तक चला था ।

707. युग धर्म – (समय से चलना) – युग धर्म ही इस प्रकृति की पहचान मानी जाती है ।

708. युगांतर उपस्थित करना – (नई प्रथा चलाना) – श्रवण ने मोहनजोदड़ो में युगांतर उपस्थित किया था ।

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

719 से 727 तक 👇

'र' से शुरू होने वाले मुहावरे :

719. रोटी के लाले पड़ना – (खाने को तरसना) – अन्न जल उठने से उसको रोटी के लाले पड़ गये हैं ।

720. रोड़ा अटकना – (बाधा पड़ना) – अच्छे काम में हमेशा रोड़ा अटकता है ।

721. रौनक जाना – (चमक खत्म होना) – बच्चों के चले जाने से घर की रौनक भी चली जाती है ।

722.रंगा सियार होना – (धोखा देने वाला) – कुछ लोगों का कोई भरोसा नहीं होता वे रंगा सियार जैसे होते हैं ।

723. रोम रोम खिलना – (बहुत खुश होना) – अपने परिवार से फिर मिलकर उसका तो रोम रोम खिल उठा ।

724. रसातल चला जाना – (बिलकुल खत्म होना) – आग लगने से लाक्षाग्रह का रसातल चला जाता है ।

725. रीढ़ टूटना – (आधार खत्म होना) – बेटे के मरने से उसका तो मानो रीढ़ ही टूट गया हो ।

726. रोटियां तोडना – (बैठकर खाना) – वह बेरोजगार है उसे रोटियां तोड़ने के सिवा कोई और काम नहीं है ।

727. रोना-रोना – (दुःख सुनाना) – जब कभी भी हम दूसरों के घर जाते हैं तो उनका रोना रोना ही लगा रहता है

     मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

728 से 740 तक 👇

'ल' से शुरू होने वाले मुहावरे :

728. लाल पीला होना – क्रोधित होना – अधिक लाल पीला होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।

729. लोहे के चने चबाना – अत्यधिक कठिन कार्य – पढना आसन नहीं वरन लोहे के चने चबाना है ।

730. लंबी तानना – (सोना) – कुंभकर्ण लम्बी तान कर सोया कर्ता था उसे जगाना बहुत मुश्किल हो जाता था ।

731. लकीर का फकीर होना – (अन्धविश्वासी होना) – जो भगवान की जगह ढोंगियों पर विश्वास करता है वह लकीर का फकीर हो जाता है ।

732. लपेट में आ जाना – (घिरना) – पांडवों को मारने वाले आग की लपेट में आ गये थे ।

733.लंबी चौड़ी हाँकना – (डींगें हाँकना) – बात तो छोटी थी लेकिन कुशल ने उसे लम्बी चौड़ी हंकनी शुरू कर दी ।

734. लल्लो चप्पो करना – (खुशामद करना) – कभी भी बच्चों के पीछे लल्लो चप्पो नहीं करना चाहिए वे बिगड़ जाते हैं ।

735. लड़ाई में काम आना – (लड़ते हुए मरना) – बहुत से सैनिक युद्ध में काम आये लेकिन फिर भी युद्ध को जीता नहीं जा सका ।

736. लहू का प्यासा होना – (मरने पर उतरना) – वह तो लहू का प्यासा हो गया है किसी भी तरह से शांत नहीं हो रहा है ।

737. लुटिया डुबोना – (नष्ट करना) – पवन ने बने बनये काम की लुटिया डुबो दी ।

738. लोहा मानना – (हारना) – महात्मा गाँधी ने विदेशियों से लोहा मनवा लिया था ।

739. लोहा नहीं मानना – (हार न मानना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना से अभी तक लोहा नही माना है ।

740. लेने के देने पड़ना – (नुकसान होना) – पिताजी ने काम शुरू किया लेकिन काम में लेने के देने पड़ गये ।

       

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

आज 741 से 750 तक 👇

'ल' से शुरू होने वाले मुहावरे :

741. लंगोटी में फाक खेलना – (कम साधन होते हुए भी विलासी होना) – घर में वस्तु न होते हुए भी लंगोटी में फाक खेलने से कोई फायदा नहीं है ।

742. लाख से लाख होना – (सब कुछ नष्ट होना) – लाक्षाग्रह में आग लगने की वजह से सब लाख से लाख हो गया था ।

743. लाले पड़ना – (मुहताज होना) – उसके लिए दाने दाने के लाले पड़ रहे है वह पता नहीं अपना पेट कैसे भरता होगा ।

744. लंगोटिया यार – (बचपन का दोस्त) – स्याम और घनस्याम दोनों लंगोटिया यार हैं एक दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं ।

745. लहू होना – (मुग्ध होना) – वह तो हर किसी की बातों पर लहू हो जाता है ।

746. लग्गी से घास डालना – (दूसरों पर गेरना) – जब लोगों ने सुधा को नशा करते देखा तो उसने लग्गी से घास डालना शुरू कर दिया ।

747. लट्टू होना – (मोहित होना) – वह उसके रूप को देखकर उस पर लट्टू हो गया ।

748. ललाट में लिखा होना – (भाग्य में होना) – जो कुछ हुआ वो हमारी ललाट में लिखा हुआ था अब रोने से कोई फायदा नहीं ।

749. लातों के भूत बातों से नहीं मानते – (शरारती समझाने से नहीं समझते) – आजकल के बच्चे तो इस तरह के हैं की लातों के भूत बातों से नहीं मानते ।

750. लहू पसीना एक करना – (बहुत मेहनत करना) – अपने बेटे को पढ़ाने के लिए उसने लहू पसीना एक कर दिया था ।

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

आज 751 से 756 तक 👇

' व' से शुरू होने वाले मुहावरे :

751. वक्त पर काम आना – (कष्ट में साथ देना) – जो लोग वक्त पर काम आते हैं वही सच्चे मित्र होते हैं ।

752. वचन देना – (वादा करना) – दशरथ ने कैकयी से वादा किया था कि तुम मुझसे कोई भी तीन वचन मांग सकती हो ।

753. वार खाली जाना – (योजना असफल होना) – जब दुर्योधन का वार खली चला गया तो वह बहुत ही दुखी हो गया था ।

754. वीरगति को प्राप्त होना – (युद्ध में मरना) – युद्ध में कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे ।

755. वचन हारना – (जबान हारना) – कुछ लोग झूठा वचन देते हैं लेकिन वचन बहुत जल्दी हार जाते हैं ।

756. विष उगलना – (कडवी बातें करना) – सुमन बातें नहीं करती वह तो विष उगलती है ।


मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

आज 751 से 756 तक 👇

' व' से शुरू होने वाले मुहावरे :

751. वक्त पर काम आना – (कष्ट में साथ देना) – जो लोग वक्त पर काम आते हैं वही सच्चे मित्र होते हैं ।

752. वचन देना – (वादा करना) – दशरथ ने कैकयी से वादा किया था कि तुम मुझसे कोई भी तीन वचन मांग सकती हो ।

753. वार खाली जाना – (योजना असफल होना) – जब दुर्योधन का वार खली चला गया तो वह बहुत ही दुखी हो गया था ।

754. वीरगति को प्राप्त होना – (युद्ध में मरना) – युद्ध में कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे ।

755. वचन हारना – (जबान हारना) – कुछ लोग झूठा वचन देते हैं लेकिन वचन बहुत जल्दी हार जाते हैं ।

756. विष उगलना – (कडवी बातें करना) – सुमन बातें नहीं करती वह तो विष उगलती है ।

मुहावरे के अर्थ और वाक्य :

'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }

आज 757 से 765 तक 👇

' स' से शुरू होने वाले मुहावरे :

757. सनक सवार होना – (धुन लगना) -उसे तो पुलिस बनने की सनक सवार हो गई है ।

758. सन्नाटे में आना – (बिलकुल शांत हो जाना) – जब कक्षा में साँप आ गया तो आवाजें सन्नाटे में बदल गयीं ।

759. सन रह जाना – (सदमा लगना) – जब बच्चों को उनके सहपाठी की मौत का पता लगा तो बच्चे सन्न रह गये ।

760. सबको एक डंडे से हाँकना – (सबको एक जैसा समझना) – सबको एक डंडे से हाँकना तो सुषमा कीआदत है वह लोगों को पहचानती नहीं है ।

761. सब्जबाग दिखाना – (झूठा भरोसा देना) – एक धोखेबाज ने सब्जबाग दिखाकर मुझे लुट लिया ।

762. साँप छुछुदर की दशा – (सोच में डालना) – हम लोगों ने सिनेमा जाने का निर्णय लिया था लेकिन पिताजी ने स्कूल जाने की कहकर उसे साँप छुछुदर की दशा में डाल दिया ।

763. सिट्टी पिट्टी गुल होना – (होश उड़ जाना) – गलत काम करने वाले पुलिस को देखते ही उनकी सिट्टी पिट्टी गुल हो जाती है ।

764.सिर आँखों पर रखना – (सम्मान करना) – मेहमान भगवान होता है इसलिए उन्हें सिर आँखों पर रखा जाता है ।

765. सिर उठाना – (विरुद्ध होना) – तुम राजा के हर फैसले पर सिर मत उठाया करो ।










     

 

     


 








   


Thursday, July 30, 2020

क्रिया /praveshika/visharadh poorvardh

                                                                 
                                                                           क्रिया
                  क्रिया- जिस शब्द अथवा शब्द-समूह के द्वारा किसी कार्य के होने अथवा करने का बोध हो उसे क्रिया कहते हैं। जैसे-
      (1) गीता नाच रही है।
      (2) बच्चा दूध पी रहा है।
      (3) राकेश कॉलेज जा रहा है।
      (4) गौरव बुद्धिमान है।
      (5) शिवाजी बहुत वीर थे।
        इनमें ‘नाच रही है’, ‘पी रहा है’, ‘जा रहा है’ शब्द कार्य-व्यापार का बोध करा रहे हैं। जबकि ‘है’, ‘थे’ शब्द होने का। इन सभी से किसी कार्य के करने अथवा होने का बोध हो रहा है। अतः ये क्रियाएँ हैं।धातु  क्रिया का मूल रूप धातु कहलाता है। जैसे-लिख, पढ़, जा, खा, गा, रो, पा आदि। इन्हीं धातुओं से लिखता, पढ़ता, आदि क्रियाएँ बनती हैं।
     क्रिया के भेद- क्रिया के दो भेद हैं-
       (1) अकर्मक क्रिया।
       (2) सकर्मक क्रिया।
      1. अकर्मक क्रिया
         जिन क्रियाओं का फल सीधा कर्ता पर ही पड़े वे अकर्मक क्रिया कहलाती हैं। ऐसी अकर्मक क्रियाओं को कर्म की आवश्यकता नहीं होती। अकर्मक क्रियाओं के अन्य उदाहरण हैं-
      (1) गौरव रोता है।
      (2) साँप रेंगता है।
      (3) रेलगाड़ी चलती है।
         कुछ अकर्मक क्रियाएँ- लजाना, होना, बढ़ना, सोना, खेलना, अकड़ना, डरना, बैठना, हँसना, उगना, जीना, दौड़ना, रोना, ठहरना, चमकना, डोलना, मरना, घटना, फाँदना, जागना, बरसना, उछलना, कूदना आदि।
       2. सकर्मक क्रिया
जिन क्रियाओं का फल (कर्ता को छोड़कर) कर्म पर पड़ता है वे सकर्मक क्रिया कहलाती हैं। इन क्रियाओं में कर्म का होना आवश्यक हैं, सकर्मक क्रियाओं के अन्य उदाहरण हैं-
      (1) मैं लेख लिखता हूँ। 
      (2) रमेश मिठाई खाता है।
      (3) सविता फल लाती है। 
      (4) भँवरा फूलों का रस पीता है।
3.द्विकर्मक क्रिया- जिन क्रियाओं के दो कर्म होते हैं, वे द्विकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं। द्विकर्मक क्रियाओं के उदाहरण हैं-
     (1) मैंने श्याम को पुस्तक दी।
     (2) सीता ने राधा को रुपये दिए।
ऊपर के वाक्यों में ‘देना’ क्रिया के दो कर्म हैं। अतः देना द्विकर्मक क्रिया हैं।  




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                                                    प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के भेद



प्रयोग की दृष्टि से क्रिया के निम्नलिखित पाँच भेद हैं-
      1.सामान्य क्रिया- जहाँ केवल एक क्रिया का प्रयोग होता है वह सामान्य क्रिया कहलाती है। जैसे-
         1. आप आए। 
         2.वह नहाया आदि।
     2.संयुक्त क्रिया- जहाँ दो अथवा अधिक क्रियाओं का साथ-साथ प्रयोग हो वे संयुक्त क्रिया कहलाती हैं। जैसे-
        1.सविता महाभारत पढ़ने लगी। 
        2.वह खा चुका।
     3.नामधातु क्रिया- संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण शब्दों से बने क्रियापद नामधातु क्रिया कहलाते हैं। जैसे-हथियाना, शरमाना, अपनाना, लजाना, चिकनाना, झुठलाना आदि।
     4.प्रेरणार्थक क्रिया- जिस क्रिया से पता चले कि कर्ता स्वयं कार्य को न करके किसी अन्य को उस कार्य को करने की प्रेरणा देता है वह प्रेरणार्थक क्रिया कहलाती है। ऐसी क्रियाओं के दो कर्ता होते हैं- (1) प्रेरक कर्ता- प्रेरणा प्रदान करने वाला। (2) प्रेरित कर्ता-प्रेरणा लेने वाला। जैसे-श्यामा राधा से पत्र लिखवाती है। इसमें वास्तव में पत्र तो राधा लिखती है, किन्तु उसको लिखने की प्रेरणा देती है श्यामा। अतः ‘लिखवाना’ क्रिया प्रेरणार्थक क्रिया है। इस वाक्य में श्यामा प्रेरक कर्ता है और राधा प्रेरित कर्ता।
    5.पूर्वकालिक क्रिया- किसी क्रिया से पूर्व यदि कोई दूसरी क्रिया प्रयुक्त हो तो वह पूर्वकालिक क्रिया कहलाती है। जैसे- मैं अभी सोकर उठा हूँ। इसमें ‘उठा हूँ’ क्रिया से पूर्व ‘सोकर’ क्रिया का प्रयोग हुआ है। अतः ‘सोकर’ पूर्वकालिक क्रिया है।
      विशेष- पूर्वकालिक क्रिया या तो क्रिया के सामान्य रूप में प्रयुक्त होती है अथवा धातु के अंत में ‘कर’ अथवा ‘करके’ लगा देने से पूर्वकालिक क्रिया बन जाती है। जैसे-
      (1) बच्चा दूध पीते ही सो गया। 
      (2) लड़कियाँ पुस्तकें पढ़कर जाएँगी।
    अपूर्ण क्रिया
        कई बार वाक्य में क्रिया के होते हुए भी उसका अर्थ स्पष्ट नहीं हो पाता। ऐसी क्रियाएँ अपूर्ण क्रिया कहलाती हैं। जैसे-गाँधीजी थे। तुम हो। ये क्रियाएँ अपूर्ण क्रियाएँ है। अब इन्हीं वाक्यों को फिर से पढ़िए-
गांधीजी राष्ट्रपिता थे। तुम बुद्धिमान हो।
       इन वाक्यों में क्रमशः ‘राष्ट्रपिता’ और ‘बुद्धिमान’ शब्दों के प्रयोग से स्पष्टता आ गई। ये सभी शब्द ‘पूरक’   हैं। अपूर्ण क्रिया के अर्थ को पूरा करने के लिए जिन शब्दों का प्रयोग किया जाता है उन्हें पूरक कहते हैं।

विशेषण பெயர் உரிச் சொல்* *Adjective*

**विशेषण பெயர் உரிச் சொல்* *Adjective*
संज्ञा या सर्वनाम की बिशेषता बतानेवाले शब्द बिशेषण कहलाता है ।
(गुण , दोष , संख्या , परिमाण आदा का बोध)
उदा :- बडा , छोटा , मीठा , एक ,  आदि
 *बिशेषण चार प्रकार है -* १)गुणवाचक विशेषण பண்பு பெயர் உரிச்செல்
 २)परिमाणवाचक विशेषण அளவைக் குறிக்கும் பெயர் உரிச்சொல்
३)संख्या वाचक विशेषण எண்ணிக்கையைக் குறிக்கும் பெயர் உரிச் சொல்
 ४) सार्वनामिक विशेषण  சுட்டிகாட்டும் பெயர்உரிச்சொல்




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 *गुणवाचक विशेषण** பண்புப்பெயர் உரிச் சொற்கள்
Denoting Quality

संज्ञा , सर्वनाम , आदि के गुण , दोष , रंग , दशा , आकार आदि को जो शब्द बदलाते हैं , उन्हें गुणवाचक विशेषण कहते हैं। क
 *गुणवाचक विशेषण कई प्रकार है :-* 
 *गुणवाचक विशेशण* : குணத்தைக் குறிக்கும் பெயரடை
 जो संज्ञा , सर्वनाम आदि के गुण ,  दोष ,  रंग , दशा आकार आदि को प्रकट करता है ।
 *उदा* अच्छा , बुरा
 *दोषवाचक विशेषण* : குற்றத்தைக் குறிக்கும் பெயரடை
जो विशेषण दोष को प्रकट करता है वे दोषवाचक विशेषण है। *उदा* 
 *स्थित वाचक विशेषण* : நிலையைக் குறிக்கும் பெயரடை
जो विशेषण स्थिति को प्रकट करता है वे *स्थित वाचक विशेषण* है। *उदा* दुर्बला , मोटा , गरीब , गीला 
 **रूपवाचक विशेषण:-* வடிவத்தைக் குறிக்கும் பெயரடை
* जो विशेषण रूप को प्रकट करता है वे रूपवाचक विशेषण होता है। गोल , ठिगाना , नुकिला , चोकोर 
 *स्थान वाचक विशेषण* : இடத்தைக் குறிக்கும் பெயரடை
जो विशेषण   
 स्थान को प्रकट करता है वे स्थान वाचक विशेषण होता है । *उदा* भीतरी, ऊपरी , गहरा
 *समयवाचक विशेषण* : காலம் -நேரத்தைக் குறிக்கும் பெயரடை
जो विशेषण समय को प्रकट करता है  वे समयवाचक विशेषण होता है । *उदा* वर्तमान , भूत , भविषय
 *दिशावाचक विशेषण* : திசையைக் குறிக்கும் பெயரடை 
जो विशेषण दिशा को प्रकट करता है वे 
दिशावाचक विशेषण होता है। *उदा*  पूर्वी,  उत्तरी , पश्चमी , दायाँ , बायाँ
 *रसवाचक विशेषण :* சுவையைக் குறிக்கும் பெயர்உரிச்சொல் जो विशेषण स्वाद को प्रकट करता है वे रसवाचक विशेषण होता है। *उदा*  खारा , कडुआ , मीठा , चटपटा
 *भाव वाचक विशेषण* *या உணர்வைக் குறிக்கும் பெயர் உரிச்சொல் स्पर्शवाचक* *विशेषण* जो  विशेशण स्पर्श को प्रकट करता है वे स्पर्शात्नक विशेषण होता है। *उदा*  कठोर , नरम , खरदरा , कोमल
 *महकसूचक विशेषण*  வாசனையைக் குறிக்கும் பெயர் உரிச்செல்जो विशेषण महक का बोध करता है वे महकसूचक विशेषण होता है । *उदा* सुगंधित , बदंबूदार , सोंधा

 *परिणामवाचक* அளவு Quantity

दिस विशेषण से पदार्थों की मात्रा , नाप , वजन , का बोध हो उसे परिणाम वाचक कहते हैं
 *इस का दो प्रकार हैं :-* 
 *१)निश्चित परिणामवाचक विशेषण* 
 *२)अनिश्चित परिणाम विशेषण* 
 *_१)निश्चित परिणामवाचक_ _विशेषण**_ :-इस से निश्चित नापतौल का ज्ञान हो ।
 *उदा:-* 
 *एक लिटर दूध ।* 
 *चार किलो आलू ।* 
 *पन्द्रह छात्र* 
 *दो हजार रुपया* 
 *२ अनिश्चित परिणाम विशेषण*:-
 *उदा* 
 *वहुत दूध* 
 *थोडा पानी* 
 *कुछ लोग* 
 *कई लोग* 
 *ज्यादा पानी* 

 *३)संख्यावाचक सर्वनाम* *विशेषण* எண்ணிக்கை உரிச்சொல் Numeral Adjectives


 जिस विशेषण से संज्ञा , सरंवनाम , आदि की संख्या , कम और समुह आदि का ज्ञान हो  उसे संख्यावाचक सर्वनाम  विशेषण कहते हैं।
 *इस में दो प्रकार हैं* 
 *२)निश्चित  संख्यावाचक विशेषण* 
 *२)अनिश्चित  संख्यावाचक विशेषण*
*निश्चय संख्सावाचक विशेषण :-* 
जिस संज्ञा या सर्वनाम से निश्चित संख्या का बोध होता है उसे निश्चित  संख्या वाचक विशेषण कहते हैं।
 *इस के चार भेद है :-* 
१) गणनावाचक
२) आवृत्तिवाचक* *
३)क्रमवाचक 
४)समूहवाचक* 
 *१) गणनावाचक*:-எண்ணிக்கை
 *उदा*:-
      *एक , दो , तीन , चार , पाँच*
 *२) आवृत्तिवाचक** மடங்கு
जिस शब्द से संख्या की आवृत्ति का बोध हो , उसे आवृत्ति वाचक कहते हैं ।
 *उदा:-* 
 *दुगुना , तिगुना , चौगुना* , .....
 *३)क्रमवाचक* :- வரிசை
जिस शब्द से संख्या के क्रम का बोध हो उसे क्रमवाचक विशेषण कहते हैं।
 *उदा :-* 
    *पहला , गूसरा , तीसरा चौथा ....* 
 *४)समूहवाचक*:-குழு
      दोनों , तीनों , चारों , पांचों  ...... 
 *अनिश्चय संख्यावाचक* நிச்சயமற்ற எண்ணிக்கையை குறிப்பது
संज्ञा , सर्वनाम की अनिश्चय को बोध करानेवाले विशेषण अनिश्चय संख्यावाचक* विशेषण कहते हैं।
 *उदा:-* 
    कुछ आम , कई पशु ,  कुछ जींचें , थोडा लोग , जरा ।
 *प्रत्येक बोधक संख्या वाचक* இனம் பிரிக்கும் பெயர் உரிச்சொல் Distributive numerals:-
प्रेत्यक ஒவ்வொருவரும் -everyone
दो-दो இரண்டிரண்டு -two -two
हर एक ஒவ்வொருவரும்  everyone 
सार्वनामिक विशेषण சுட்டு பெயர்சொல் Demonstrative
   जो सर्वनाम  शब्द संज्ञाओं से पूर्व प्रयुक्त होकर विशेषण का कार्य करते हैं उन्हें सार्वनामिक विशेषण कहते हैं ।
यह இந்த this
ये இவைகள் these
वह  அந்த that
वे அவைகள் those

Friday, May 8, 2020

प्रत्यय

प्रत्यय  :

परिभाषा– वह शब्दांश जो किसी शब्द के अंत में जुडकर नये शब्द का का निर्माण करता है ,उसे प्रत्यय कहते है |जैसे-
समाज + इक = सामाजिक
सुगन्ध + इत = सुगन्धित
भूलना + अक्कड़ = भुलक्कड़
मीठा + आस = मिठास
भला + आई = भलाई
इसी प्रकार इन शब्दों में इक,इत ,अक्कड़ ,आस ,आई यह प्रत्यय शब्द होते है




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प्रत्यय के प्रकार
प्रत्यय के दो प्रकार है
1. कृत प्रत्यय
2. तद्धित प्रत्यय







1. कृत प्रत्यय:-
        जो प्रत्यय क्रिया धातु रूप के बाद लगकर नए शब्दों की रचना करते हैं ,उन्हें ‘कृत प्रत्यय’ कहते है |कृत प्रत्यय के योग से बने शब्दों को (कृत+अंत) कृदंत कहते हैं। जैसे –
लिख्+अक = लेखक
राखन+हारा = राखनहारा
घट+इया = घटिया
लिख+आवट = लिखावट
ये प्रत्यय क्रिया या धातु को नया अर्थ देते है। कृत् प्रत्यय के योग से संज्ञा और विशेषण बनते है|

कृदन्त या कृत प्रत्यय 5 प्रकार के होते हैं
(I)कर्त्तुवाचक कृदंत
(Ii)कर्मवाचक कृदंत
(Iii)करणवाचक कृदंत
(Iv)भाववाचक कृदंत
(V)क्रियावाचक कृदंत
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(I) कर्त्तुवाचक कृदंत:-  
            जिस प्रत्यय से बने शब्द से कार्य करने वाले अर्थात कर्ता का पता चलता हो, वह कर्तृवाचक कृदंत कहलाता है
अक = लेखक, नायक, गायक,पाठक
अक्कड़ = भुलक्कड़, घुमक्कड़, पियक्कड़, कुदक्कड़
आक = तैराक
आलू = झगड़ाल
आकू = लड़ाक,कृपालु ,दयालु
आड़ी = खिलाड़ी ,अगाड़ी, अनाड़ी
इअल = अडि़यल, मरियल,सड़ियल
एरा = लुटेरा, बसेरा
ऐया = गवैया,नचैया ,खिवैया
ओड़ा = भगोड़ा
वाला = पढ़नेवाला, लिखनेवाला,रखवाला
हार = होनहार ,राखनहार, चाखनहार,पालनहार

(II) कर्मवाचक कृदंत:-  
         जिस प्रत्यय से बने शब्द से किसी कर्म का पता चलता हो वह कर्मवाचक कृदंत कहलाता है। 
    जैसे-
    औना = खिलौना ,बिछौना
    ना = सूँघना ,ओढ़ना, पढ़ना,खाना
    नी = सूँघनी,छलनी
    गा = गाना

"(III) करणवाचक कृदंत:-  
       जिस प्रत्यय शब्द से क्रिया के साधन अर्थात कारण को बताते हैं वह करणवाचक कृदंत कहलाता है। 
   जैसे-
   आ = झूला ,भटका, भूला,
   ऊ = झाडू
   न = बेलन ,झाड़न, बंधन
  नी = धौंकनी ,करतनी, सुमिरनी ,चलनी ,फूंकनी
   ई = फाँसी ,धुलाई ,रेती,भारी

(IV) भाववाचक कृदंत:-  
       वे प्रत्यय जो क्रिया से भाववाचक संज्ञा का निर्माण करते हैं।
     जैसे –
      अ = मार, लूट, तोल
      ना = लिखना ,पढ़ना
     आई = पढ़ाई ,लिखाई ,लड़ाई, कटाई, चढ़ाई, सिलाई
     आन = उड़ान ,मिलान, चढान, उठान,पहचान
     आप = मिलाप, विलाप
     आव = चढ़ाव, घुमाव, कटाव
     आवा = बुलावा,छलावा, दिखावा, बहाव, चढ़ाव
     आवट = सजावट, लिखावट, मिलावट, रुकावट
     आहट = घबराहट, चिल्लाहट
     ई = बोली, हँसी
     औती = कटौती ,मनौती, फिरौती, चुनौती

(V) क्रियावाचक कृदंत:-  
         जिस प्रत्यय से बने शब्द से क्रिया के होने का भाव प्रकट हो, वह क्रियावाचक कृदंत कहलाता है। 
   जैसे-     हुआ = चलता हुआ, पढ़ता हुआ, भागता हुआ ,लिखता हुआ

2. तद्धित प्रत्यय :- 
       जो प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम अथवा विशेषण के पीछे जुड़कर नए शब्द बनाते हैं ,वह तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं। इनके योग से बने शब्दों को ‘तद्धितांत’ अथवा तद्धित शब्द कहते हैं|
जैसे –
     मानव + ता = मानवता
     अच्छा + आई = अच्छाई
     अपना + पन = अपनापन
     एक + ता = एकता
     ड़का + पन = लडकपन
     मम + ता = ममता
    अपना + त्व = अपनत्व
    कृत-प्रत्यय क्रिया या धातु के अन्त में लगता है, जबकि तद्धित प्रत्यय संज्ञा, सर्वनाम और विशेषण के 
    अन्त में लगता है

तद्धित-प्रत्यय के आठ प्रकार हैं-
1. कर्तृवाचक तद्धित
2. भाववाचक तद्धित
3. संबंधवाचक तद्धित
4. गणनावाचक तद्धित
5. गुणवाचक तद्धति
6. स्थानवाचक तद्धति
7. सादृश्यवाचक तद्धित
8.ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
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1. कर्तृवाचक तद्धित-  
        वे प्रत्यय जो किसी संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण शब्द के साथ जुड़कर कार्य करने कर्त्तुवाचक शब्द का निर्माण करते हैं या जिससे किसी के कार्य करने का पता चलता हो ,उसे कर्तृवाचक तद्धित कहते है |
संज्ञा के अन्त में आर, इया, ई, एरा, हारा, इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर कर्तृवाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। जैसे-
    आर = लुहार, सुनार,कहार
    इया = रसिया,सुविधा, दुखिया, आढ़तिया
    ई = तेली
    एरा = घसेरा,कसेरा
    हारा = लकड़हारा, पनिहारा, मनिहार

2. भाववाचक तद्धित
        भाव के बारे में बताने वाले प्रत्यय को भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं|अर्थात वे प्रत्यय जो संज्ञा, सर्वनाम या विशेषण के साथ जुड़कर भाव को बताते है ,वह भाववाचक तद्धित प्रत्यय कहलाते हैं|
संज्ञा के अन्त में आ, आयँध, आई, आन, आयत, आरा, आवट, आस, आहट, ई, एरा, औती,ता , पन, पा, स 
 इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर भाववाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। 
जैसे-
  आ = बुलावा, सर्राफा
  आई = भलाई, बुराई, ढिठाई,कठिनाई ,चुतराई
  आपा = बुढ़ापा,मोटापा
  आस = खटास, मिठास,भड़ास
  आहट = कड़वाहट,घबराहट ,झल्लाहट
  इमा = लालिमा, महिमा, अरुणिमा
  ई = गर्मी,खेती ,सर्दी
  ता = सुन्दरता, मूर्खता, मनुष्यता,
  त्व = मनुष्यत्व, पशुत्व
  पन = बचपन, लड़कपन, छुटपन
 


3. संबंधवाचक तद्धित- जिस प्रत्यय शब्द से संबंध का पता चलता हो ,उसे संबंधवाचक तद्धित कहते है।

    संज्ञा के अन्त में आलू, आल, ए, एरा, एल, औती, जा इत्यादि तद्धित-प्रत्यय लगाकर सम्बन्धवाचक तद्धितान्त संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।  
जैसे-
   एरा = चचेरा, ममेरा ,फुफेरा
  इक = शारीरिक ,नैतिक, धार्मिक, आर्थिक
  आलु = दयालु, श्रद्धालु
  आल = ससुराल, ननिहाल
  इत = फलित
  ईला = रसीला, रंगीला ,जहरीला
  ईय = भारतीय
  ऐला = विषैला
  तर = कठिनतर
  मान = बुद्धिमान
  वत् = पुत्रवत, मातृवत्
  हरा = इकहरा
  जा = भतीजा, भानजा
  ओई = ननदोई

4. गणनावाचक तद्धित प्रत्यय-  
       जिस प्रत्यय शब्द से संख्या का पता चलता हो ,उसे गणनावाचक तद्धित प्रत्यय कहते है |
संज्ञा-पदों के अंत में ला, रा, था, वाँ, हरा इत्यादि प्रत्यय लगाकर गणनावाचक तद्धितान्त संज्ञाए बनती है।
  ला = पहला
  रा = दूसरा, तीसरा
  हरा = इकहरा, दुहरा, तिहरा
  चौथा = चौथा
  वाँ = पाचवाँ

5. गुणवाचक तद्धति-  
       जिस प्रत्यय शब्द से किसी गुण का पता चलता हो ,उसे गुणवाचक तद्धति कहते है |
संज्ञा के अन्त में आ, इत, ई, ईय, ईला, वान,लू इन प्रत्ययों को लगाकर गुणवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। 
जैसे-
  आ = भूखा, प्यासा, ठंडा,मीठा
  वान = लुभावन ,डरावना ,सुहावना ,गुणवान, धनवान, रूपवान
  ईला = चमकीला, भड़कीला, रंगीला
  ई = धनी, लोभी, क्रोधी
  इत = पुष्पित, आनंदित, क्रोधित
  ईय = वांछनीय, अनुकरणीय
  लू = कृपालु ,दयालु ,शंकालु

6. स्थानवाचक तद्धति-  
       जिस प्रत्यय शब्द से किसी स्थान का पता चलता है ,उसे स्थानवाचक तद्धति कहते है |
संज्ञा के अन्त में ई, वाला, इया, तिया इन प्रत्ययों को लगाकर स्थानवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। 
  जैसे-
   वाला = डेरेवाला, दिल्लीवाला , बनारसवाला, सूरतवाला,चायवाला
   इया = मुंबइया, जयपुरिया, नागपुरिया
   तिया = कलकतिया, तिरहुतिया
   ई = पंजाबी, बंगाली, गुजराती

7. सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय -  
     जिस शब्द से समता या समानता का पता चले उसे ,सादृश्यवाचक तद्धित प्रत्यय कहते है
संज्ञा के अन्त में सा हरा इत्यादि इन प्रत्ययों को लगाकर सादृश्यवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं। 
     जैसे-
     हरा = सुनहरा, रुपहरा
     सा = पीला-सा, नीला-सा, काला-सा

8. ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय
          जिस प्रत्यय शब्द से लघुता ,प्रियता, हीनता इत्यादि का पता चले ,उसे ऊनवाचक तद्धित प्रत्यय कहते है |
संज्ञा के अन्त में आ, इया, ई, ओला, क, की, टा, टी, ड़ा, ड़ी, री, ली, वा, सा इन प्रत्ययों को लगाकर ऊनवाचक संज्ञाएँ बनायी जाती हैं।  
 जैसे-
   इया = लुटिया, डिबिया, खटिया
   टी ,टा = लँगोटी, कछौटी,कलूटा
   ई = कोठरी, टोकनी, ढोलकी
   ड़ी, ड़ा = पगड़ी, टुकड़ी, बछड़ा

       धन्यवाद!!!

एकांकी

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