मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
' प 'से शुरू होने वाले मुहावरे :
👇 सिर्फ 611 से 613 तक
611. फफोले फोड़ना – (वैर होना) – उसकी मुझसे दुश्मनी है इसलिए मैं उसके हमेशा फफोले फोड़ता रहता हूँ ।
612. फब्तियां कसना – (ताना मारना) – जब सिक्षा कक्षा में फेल हो गई तब उसके पिता ने उस पर खूब फब्तियां कसीं ।
613. फूल झड़ना – (मीठा बोलना) – जब शशि बोलती हैतो ऐसा लगता है जैसे फूल झड़ रहे हो ।
👇614 से 620 तक...
'ब' से शुरू होने वाले मुहावरे :
614. बगलें झाँकना – (बेइज्जत होकर चारों तरफ देखना ) – जब कर्जा न चुकाने की वजह से वह सब जगह बगलें झाँकने लगा ।
615. बट्टा लगाना – (कलंक लगाना) – उसने अपनी परिवार की इज्जत पर बट्टा लगा दिया ।
616. बरस पड़ना – (क्रोध से बातें सुनाना) – शिवानी मुझ पर बिना किसी बात के बरस पड़ी ।
617. बाग बाग होना – (खूब खुश होना) – जब उसे अपने पास होने की बात का पता चला तो वह बाग बाग हो गया है ।
618. बाजी ले जाना – (आगे निकलना) – मिल्खा सिंह ने दौड़ में बाजी ले ली ।
619. बात चलाना – (शुरू करना) -आजकल तो मेरी शादी की बातें चल रही हैं ।
620.बात काटना -( बीच में बोलना) – छोटों को बड़ों की बात काटना उचित नहीं है ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
'ब' से शुरू होने वाले मुहावरे :
621 से 630 तक 👇
' 621. बातों में आना – (धोखा खाना) – तुम लोग सोहन की बातों में आ जाते हो वह तो धोखेबाज है ।
622. बाल बाँका न होना – (हानि न होना) – संजना के प्रेमी ने उससे कहा कि वह उसका बाल भी बाँका नहीं होगा ।
623. बाल की खाल निकलना – (बिना मतलब की बात करना) -बात की खाल निकलने से अच्छा अपने अपने काम में ध्यान दो ।
624. बासी कढ़ी में उबाल आना – (बुढ़ापे में जवानी की आशा करना) – आजकल लोगों में बासी कढ़ी में उबाल आने की बातें होती हैं ।
625. बीड़ा उठाना – (जिम्मेदारी लेना) – सूर्य पुत्र कर्ण ने अंग देश की प्रजा को आजादी दिलाने का बीड़ा उठाया था ।
626. बुखार उतारना – (गुस्सा करना) – सोहन के पिता ने कहा कि वे दो मिनट में मेरा बुखार उतार देंगे ।
627. बेडा पार लगाना – (मुसीबत से निकालना) – अब तो भगवान ही हमारा बेडा पर लगा सकते हैं ।
628.बे सिर पैर की बात करना – (बिन मतलब की बात करना) – तुम लोग बे सिर पैर की बातें करना छोड़ो और अपना अपना काम करो ।
629. बेवक्त की शहनाई बजाना –(अवसर के खिलाफ काम करना) – वे लोग तो उल्टे हैं बेवक्त की शहनाई बजाते रहते हैं ।
630. बोलती बंद करना – (बोलने नहीं देना) – मैंने गलत काम करने के लिए मना किया लेकिन वह नहीं माना तो मैंने उसकी बोलती बंद कर दी ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
'ब' से शुरू होने वाले मुहावरे :
631 से 644 तक 👇
631. बौछार करना – (अधिक देना) – कन्यादान करते समय लडकी के पिता ने पैसे की बौछार कर दी ।
632. बन्दर घुड़की – (बेकार धमकी देना) – तुम बन्दर घुड़की मत दिया करो तुम से कुछ नहीं होगा ।
633. बखिया उधेड़ना – (राज खोलना) – 1921 में महात्मा गाँधी ने अंग्रेजों की बखिया उधेड़ दी ।
634. बछिया का ताऊ – (मूर्ख) – वह तो बछिया का ताऊ है जिस टहनी पर बैठा है उसी को काट रहा है ।
635. बड़े घर की हवा खाना – (जेल जाना) – सतवीर ने शराब का काम किया और फस गया तो उसे बड़े घर की हवा खानी पड़ी ।
636. बल्लियों उछलना – (बहुत खुश होना) – क्रिकट में जितने पर भारत के खिलाडियों ने बल्लियाँ उछाल दी ।
637. बाएँ हाथ का खेल – (आसान काम) – तुम लोग इसे बाएँ हाथ का खेल मत समझो यह बहुत मुश्किल काम है ।
638. बाँछे खिल जाना – (बहुत खुश होना) – पवन को देखते ही उसके तो बाँछे खिल गये ।
639. बाजार गर्म होना – (धंधा अच्छा चलना) – आजकल तो बाजार बहुत गर्म हो रहा है इसमें बहुत लोगों को बहुत लाभ मिल रहा है ।
640. बात का धनी होना – (वादे का पक्का होना) – कार्तिक तो बात का धनी है जो ख देता है पूरा करता है ।
641. बिल्ली के गले में घंटी बंधना –(खुद को परेशानी में डालना) – जब लोग बिल्ली के गले में घंटी बाँधते रहते हैं ।
642. बेपेंदी का लोटा – (पक्ष बदलने वाला) – अनीता तो दोनों तरफ अपनी बातें सुनती है वह तो बेपेंदी के लोटे की तरह है ।
643. बगुला भगत – (छलने वाला) – भरत की मत पूछो वह उपर से सीधा है लेकिन अंदर से बगुला भगत है ।
644. बहती गंगा में हाथ धोना – (दूसरे के काम से लाभ उठाना) -जब वह अपना काम करवाने गया था तो मैंने भी उसका काम बनता देख अपना भी काम बना लिया यह तो बहती गंगा में हाथ धोने वाली बात है ।
https://amzn.to/2ZX45uGमुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
645 से 657 तक 👇
'भ' से शुरू होने वाले मुहावरे :
645. भंडा फूटना – (राज खुलना) -सब लोगों के सामने ही उसका भंडा फूट गया ।
646. भानुमती का पिटारा – (अलग अलग चीजों का पात्र) – संग्रहालय को भानुमती का पिटारा माना जाता हैक्योंकि वहाँ पर सभी प्रकार की वस्तुएं मिल जाती हैं ।
647. भार उठाना – (उत्तरदायित्व लेना) – वह अपनी बहन का भर उठाकर आजतक उसे पूरा कर रहा है ।
648. भार उतारना – (ऋण से मुक्त होना) – उसने ऋण चूका के अपना भर उतार लिया ।
649. भूत सवार होना – (बहुत क्रोध आना) – वह किसी की भी बात नहीं सुन रहा है उसके सिर पर तो बहुत सवार है ।
650. भौंह चढ़ाना – (गुस्सा आना) – जब उसने विरोधी की बातें सुनी तो उसकी भौंह चढने लगीं ।
651. भाड़ झोंकना – (समय बर्बाद करना) – उस पर भाड झोंकने के अलावा और कोई काम नहीं है ।
652. भाड़े का टट्टू – (पैसे लेकर काम करने वाला) – पैसों से कितने भी भाड़े के टट्टू खरीदे जा सकते हैं ।
653. भीगी बिल्ली बनना – (सहमना) – वह तो दूसरे के सामने भीगी बिल्ली बन जाता है ।
654.भैंस के आगे बिन बजाना – (मूर्ख आदमी को उपदेश देना) – अनपढ़ों को पढ़ाना भैंस के आगे बीन बजाने के बराबर है ।
655. भेड़ियाधसान होना – (देखा -देखी करना) – तुम लोग क्यूँ लोगों के घर जा जाकर भेड़ियाधसान हो रहे हो होना वही है जो किस्मत में लिखा है ।
656. भरी लगना – (असहय होना) – कमजोर व्यक्ति को जरा सा भर भी ज्यादा लगता है ।
657. भनक पड़ना – (खबर लगना) – अगर लूं को हमारे बुरे कामों के बारे में भनक भी पड़ गई तो बहुत बुरा होगा ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
658 से 670 तक 👇
' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :
658. मक्खी की तरह निकाल देना –(किसी को काम से अलग कर देना) – जब लोगों को लगा की अब 6 व्यक्तियों की जरूरत नहीं है तो उसने उसे मक्खी की तरह निकाल क्र फेंक दिया ।
659. मक्खी मारना – (निकम्मा होना) -वह तो बस मक्खी मरता फिरता है उसे कोई और काम आता ही नहीं ।
660. मगज खाना – (परेशान करना) – उसने सवाल पूंछ पूंछ क्र मेरा तो मगज ही खा लिया ।
661. मुट्ठी गर्म करना – रिश्वत देना -आजकल कोई भी काम बिना मुट्ठी गर्म किये नहीं होता ।
662. मुँह में पानी भर आना – (जी ललचाना)- आइसक्रीम देखकर नीता के मुंह में पानी भर आया।
663.मजा किरकिरा होना – (रंग में भंग डलना) – जब पुलिस शराब खाने में आ गई तो शराबियों का मजा किरकिरा हो गया।
664. मन की मन में रहना – (इच्छा अधूरी रहना) – उसके बेटे की शादी पर उसकी मन में मन रह गई।
665. मन में लड्डू खाना – (व्यर्थ खुश होना) – जब उसे अपनी शादी का पता चला तो उसके मन में लड्डू फूटने लगे।
666. मन मैला करना – (अप्रसन्न होना) – जब भी कोई शुभ काम होता है तो न जाने क्यूँ कमल का मन मैला हो जाता है ।
667. मशाल लेकर ढूँढना – (अच्छे से ढूँढना) – विराट कोहली जैसा खिलाडी हमें मशाल लेकर ढूंढने पर भी नहीं मिलेगा ।
668. माथे पर बल पड़ना – (चहरे पर गुस्सा होना) – कोई भी गलत बात को सुनकर माथे पर बल ले ही आएगा ।
669. मारा मारा फिरना – (बुरी तरह घूमना) – जब अर्जुन की नौकरी चली गई तो वह मारा मारा फिरने लगा ।
670. मिटटी के मोल बिकना –(सस्ता होना) – सदर बाजार में वस्तुएं मिटटी के मोल बिकती हैं ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
671 से 680 तक 👇
' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :
671. मिटटी पलीद करना – (बुरी धस करना) – मेरे बने बनाए काम की तुमने मिटटी पलीद कर दी ।
672. मुंह की खाना – (लज्जित होना) – दुर्योधन जब हार गया तो उसे बुरी तरह मुंह की खानी पड़ी थी ।
673. मुंह काला करना – (बदनामी होना) – दुष्कर्मों की वजह से समाज ने लक्ष्मी का मुंह काला कर दिया ।
674. मुंहतोड़ जवाब देना – (सबक सिखाना) – युद्ध में हिंदुस्तान ने पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था ।
675. मुंहदेखी कहना – (तारीफ करना) – वह किसी की सच्चाई नहीं जनता बस मुंहदेखी कहता रहता है ।
676. मुंहमांगी मुराद पाना – (मन चाहा मिलना) – मुंहमांगी मुराद पाने के लिए बहुत मेहनत करनी पडती है ।
677. मुंह में पानी भर आना – (लालच आना) – जब लोग मरीज के सामने मसालेदार खाने की बात क्र रहे थे तो मरीज के मुंह में पानी भर आया ।
678. मुंह में लगाम न होना – (ज्यादा बोलना) – बबिता के मुंह मेलागम नहीं है वह बहुत ज्यादा बोलती है और फिर रूकती भी नहीं है ।
679. मुंह मोड़ना – (विमुख होना) – लोगों की बातों पर विश्वास करके उसने अपने सच्चे दोस्त से मुंह मोड़ लिया ।
680. मुठ्ठी गरम करना – (घूस देना) – आजकल के ओफिसर बस अपनी मुठ्ठी गरम करने में लगे रहते हैं ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
681 से 690 तक 👇
' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :
681. मैदान साफ होना – (बाधा न होना) – मैदान साफ होने की वजह से वे खेल आसानी से जीत गये ।
682. मैदान मारना – (जीत जाना) – उसने प्र्त्योगिता में सभी राज्यों से मैदान मार लिया ।
683. मौत का सिर पर खेलना – (मरने वाला) – रमेश के सिर पर मौत खेल रही है पता नहीं अगले दो पल में क्या हो जाये ।
684. मेढकी को जुकाम होना – (अनहोनी होना) – पर्वत को उठाना मेंढकी को जुकाम होने के बराबर समझा जाता है ।
685.मक्खन लगाना – (चापलूसी करना) – मुन्सी मक्खन लगाकर मालिक सी अपनाकाम निकलवा लेता है ।
686. मिटटी का माधो – (बिलकुल मूर्ख) – वह दुनिया को बिलकुल नहीं जानता वह तो मिटटी का माधो है ।
687. मिटटी खराब करना – (बुरी हालत करना) – पहलवानी में लुट्टन ने शेर कहाँ की मिटटी खराब क्र दी ।
688. मुंह खून लगना – (घूस लेने की आदत पड़ना) – अगर शेर के मुंह खून लग जाये तो वह खतरनाक हो जाता है ।
689. मुंह छिपाना – (बेइज्जत होना) – कुकर्म करने की वजह से उसे अपना मुंह छिपाना पद रहा है ।
690. मुंह रखना – (मान रखना) – रिश्तेदारों ने अपने लोगों की बात का मान रख लिया ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
691 से 701 तक 👇
' म' से शुरू होने वाले मुहावरे :
691. मुंह पर कालिख पोतना – (कलंक लगना) – झूठी बातों की वजह से निर्दोष लोगों के मुंह पर कालिख पुत गई ।
692. मुंह उतरना – (दुखी होना) – शादी के टूटने की खबर से उसका मुंह उतर गया ।
693. मुंह ताकना – (दूसरों पर निर्भर) – हमे कभी भी किसी का मुंह नहीं ताकना चाहए हमें स्वंय के पैरों पर खड़ा होना चाहिए ।
694. मोहर लगा देना – (पुष्टि करना) – आजकल सब लोग बातों पर मोहर लगा दिया करते हैं ।
695. मर मिटना – (नष्ट होना) – पहले लोग एक दूसरे के लिए मर मिटने को तैयार रहते थे लेकिन आज एक दूसरे से बोलते भी नहीं हैं ।
696. मांस नोचना – (परेशान करना) – उसने पीछे डोल डोल क्र मेरा तो मास ही नोच लिया है ।
697. मोम हो जाना – (नर्म बनना) -लोगों को आजकल कोई नहीं समझ सकता कभी बहुत गुस्सा करते हैं और कभी मोम बन जाते हैं ।
698. मन फट जाना – (फीका पड़ना) – लोगों को साथ देखकर कुछ लोगों के मन फट जाते हैं ।
699. मीन मेख करना – (बेकार तर्क) – तुम लोग मीन मेख करना बंद करो और जल्द से जल्द काम को पूरा करो ।
700. मोटा आसामी – (अमीर आदमी) – सुनार तो आज के समय में मोटे आसामी हो गये हैं क्योंकि आजकल सब सोना बहुत खरीदते हैं ।
701. मुठभेड़ होना – (मुकाबला होना) – जब लुट्टन की शेर खां से मुठभेड़ हुई थी तो शेर खां को मुंह की खानी पड़ी ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
702 से 708 तक 👇
' य' से शुरू होने वाले मुहावरे :
702. यश कमाना – (नाम कमाना) – लोगों को यश कमाने में बहुत साल लग जाते हैं लेकिन गवाने में एक पल नहीं लगता ।
703. यश मिलना – (सम्मान मिलना) – युधिष्ठिर को उनकी बुद्धि की वजह से यश मिली थी ।
704. यश गाना – (तारीफ करना) – गुरु द्रोणाचार्य जी अर्जुन का यश गाते रहते है ।
705. यश मानना – (कृतज्ञ होना) – पंचाल ने यज्ञ करते समय यश मानने की गलती की थी ।
706. युग-युग – (दिनों तक) – महाभारत का युद्ध युग युग तक चला था ।
707. युग धर्म – (समय से चलना) – युग धर्म ही इस प्रकृति की पहचान मानी जाती है ।
708. युगांतर उपस्थित करना – (नई प्रथा चलाना) – श्रवण ने मोहनजोदड़ो में युगांतर उपस्थित किया था ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
719 से 727 तक 👇
'र' से शुरू होने वाले मुहावरे :
719. रोटी के लाले पड़ना – (खाने को तरसना) – अन्न जल उठने से उसको रोटी के लाले पड़ गये हैं ।
720. रोड़ा अटकना – (बाधा पड़ना) – अच्छे काम में हमेशा रोड़ा अटकता है ।
721. रौनक जाना – (चमक खत्म होना) – बच्चों के चले जाने से घर की रौनक भी चली जाती है ।
722.रंगा सियार होना – (धोखा देने वाला) – कुछ लोगों का कोई भरोसा नहीं होता वे रंगा सियार जैसे होते हैं ।
723. रोम रोम खिलना – (बहुत खुश होना) – अपने परिवार से फिर मिलकर उसका तो रोम रोम खिल उठा ।
724. रसातल चला जाना – (बिलकुल खत्म होना) – आग लगने से लाक्षाग्रह का रसातल चला जाता है ।
725. रीढ़ टूटना – (आधार खत्म होना) – बेटे के मरने से उसका तो मानो रीढ़ ही टूट गया हो ।
726. रोटियां तोडना – (बैठकर खाना) – वह बेरोजगार है उसे रोटियां तोड़ने के सिवा कोई और काम नहीं है ।
727. रोना-रोना – (दुःख सुनाना) – जब कभी भी हम दूसरों के घर जाते हैं तो उनका रोना रोना ही लगा रहता है
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
728 से 740 तक 👇
'ल' से शुरू होने वाले मुहावरे :
728. लाल पीला होना – क्रोधित होना – अधिक लाल पीला होना स्वास्थ्य के लिए हानिकारक है ।
729. लोहे के चने चबाना – अत्यधिक कठिन कार्य – पढना आसन नहीं वरन लोहे के चने चबाना है ।
730. लंबी तानना – (सोना) – कुंभकर्ण लम्बी तान कर सोया कर्ता था उसे जगाना बहुत मुश्किल हो जाता था ।
731. लकीर का फकीर होना – (अन्धविश्वासी होना) – जो भगवान की जगह ढोंगियों पर विश्वास करता है वह लकीर का फकीर हो जाता है ।
732. लपेट में आ जाना – (घिरना) – पांडवों को मारने वाले आग की लपेट में आ गये थे ।
733.लंबी चौड़ी हाँकना – (डींगें हाँकना) – बात तो छोटी थी लेकिन कुशल ने उसे लम्बी चौड़ी हंकनी शुरू कर दी ।
734. लल्लो चप्पो करना – (खुशामद करना) – कभी भी बच्चों के पीछे लल्लो चप्पो नहीं करना चाहिए वे बिगड़ जाते हैं ।
735. लड़ाई में काम आना – (लड़ते हुए मरना) – बहुत से सैनिक युद्ध में काम आये लेकिन फिर भी युद्ध को जीता नहीं जा सका ।
736. लहू का प्यासा होना – (मरने पर उतरना) – वह तो लहू का प्यासा हो गया है किसी भी तरह से शांत नहीं हो रहा है ।
737. लुटिया डुबोना – (नष्ट करना) – पवन ने बने बनये काम की लुटिया डुबो दी ।
738. लोहा मानना – (हारना) – महात्मा गाँधी ने विदेशियों से लोहा मनवा लिया था ।
739. लोहा नहीं मानना – (हार न मानना) – भारतीय सेना ने पाकिस्तानी सेना से अभी तक लोहा नही माना है ।
740. लेने के देने पड़ना – (नुकसान होना) – पिताजी ने काम शुरू किया लेकिन काम में लेने के देने पड़ गये ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
आज 741 से 750 तक 👇
'ल' से शुरू होने वाले मुहावरे :
741. लंगोटी में फाक खेलना – (कम साधन होते हुए भी विलासी होना) – घर में वस्तु न होते हुए भी लंगोटी में फाक खेलने से कोई फायदा नहीं है ।
742. लाख से लाख होना – (सब कुछ नष्ट होना) – लाक्षाग्रह में आग लगने की वजह से सब लाख से लाख हो गया था ।
743. लाले पड़ना – (मुहताज होना) – उसके लिए दाने दाने के लाले पड़ रहे है वह पता नहीं अपना पेट कैसे भरता होगा ।
744. लंगोटिया यार – (बचपन का दोस्त) – स्याम और घनस्याम दोनों लंगोटिया यार हैं एक दूसरे के लिए जान भी दे सकते हैं ।
745. लहू होना – (मुग्ध होना) – वह तो हर किसी की बातों पर लहू हो जाता है ।
746. लग्गी से घास डालना – (दूसरों पर गेरना) – जब लोगों ने सुधा को नशा करते देखा तो उसने लग्गी से घास डालना शुरू कर दिया ।
747. लट्टू होना – (मोहित होना) – वह उसके रूप को देखकर उस पर लट्टू हो गया ।
748. ललाट में लिखा होना – (भाग्य में होना) – जो कुछ हुआ वो हमारी ललाट में लिखा हुआ था अब रोने से कोई फायदा नहीं ।
749. लातों के भूत बातों से नहीं मानते – (शरारती समझाने से नहीं समझते) – आजकल के बच्चे तो इस तरह के हैं की लातों के भूत बातों से नहीं मानते ।
750. लहू पसीना एक करना – (बहुत मेहनत करना) – अपने बेटे को पढ़ाने के लिए उसने लहू पसीना एक कर दिया था ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
आज 751 से 756 तक 👇
' व' से शुरू होने वाले मुहावरे :
751. वक्त पर काम आना – (कष्ट में साथ देना) – जो लोग वक्त पर काम आते हैं वही सच्चे मित्र होते हैं ।
752. वचन देना – (वादा करना) – दशरथ ने कैकयी से वादा किया था कि तुम मुझसे कोई भी तीन वचन मांग सकती हो ।
753. वार खाली जाना – (योजना असफल होना) – जब दुर्योधन का वार खली चला गया तो वह बहुत ही दुखी हो गया था ।
754. वीरगति को प्राप्त होना – (युद्ध में मरना) – युद्ध में कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे ।
755. वचन हारना – (जबान हारना) – कुछ लोग झूठा वचन देते हैं लेकिन वचन बहुत जल्दी हार जाते हैं ।
756. विष उगलना – (कडवी बातें करना) – सुमन बातें नहीं करती वह तो विष उगलती है ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
आज 751 से 756 तक 👇
' व' से शुरू होने वाले मुहावरे :
751. वक्त पर काम आना – (कष्ट में साथ देना) – जो लोग वक्त पर काम आते हैं वही सच्चे मित्र होते हैं ।
752. वचन देना – (वादा करना) – दशरथ ने कैकयी से वादा किया था कि तुम मुझसे कोई भी तीन वचन मांग सकती हो ।
753. वार खाली जाना – (योजना असफल होना) – जब दुर्योधन का वार खली चला गया तो वह बहुत ही दुखी हो गया था ।
754. वीरगति को प्राप्त होना – (युद्ध में मरना) – युद्ध में कई सैनिक वीरगति को प्राप्त हुए थे ।
755. वचन हारना – (जबान हारना) – कुछ लोग झूठा वचन देते हैं लेकिन वचन बहुत जल्दी हार जाते हैं ।
756. विष उगलना – (कडवी बातें करना) – सुमन बातें नहीं करती वह तो विष उगलती है ।
मुहावरे के अर्थ और वाक्य :
'{मुहावरे – (अर्थ) – वाक्य }
आज 757 से 765 तक 👇
' स' से शुरू होने वाले मुहावरे :
757. सनक सवार होना – (धुन लगना) -उसे तो पुलिस बनने की सनक सवार हो गई है ।
758. सन्नाटे में आना – (बिलकुल शांत हो जाना) – जब कक्षा में साँप आ गया तो आवाजें सन्नाटे में बदल गयीं ।
759. सन रह जाना – (सदमा लगना) – जब बच्चों को उनके सहपाठी की मौत का पता लगा तो बच्चे सन्न रह गये ।
760. सबको एक डंडे से हाँकना – (सबको एक जैसा समझना) – सबको एक डंडे से हाँकना तो सुषमा कीआदत है वह लोगों को पहचानती नहीं है ।
761. सब्जबाग दिखाना – (झूठा भरोसा देना) – एक धोखेबाज ने सब्जबाग दिखाकर मुझे लुट लिया ।
762. साँप छुछुदर की दशा – (सोच में डालना) – हम लोगों ने सिनेमा जाने का निर्णय लिया था लेकिन पिताजी ने स्कूल जाने की कहकर उसे साँप छुछुदर की दशा में डाल दिया ।
763. सिट्टी पिट्टी गुल होना – (होश उड़ जाना) – गलत काम करने वाले पुलिस को देखते ही उनकी सिट्टी पिट्टी गुल हो जाती है ।
764.सिर आँखों पर रखना – (सम्मान करना) – मेहमान भगवान होता है इसलिए उन्हें सिर आँखों पर रखा जाता है ।
765. सिर उठाना – (विरुद्ध होना) – तुम राजा के हर फैसले पर सिर मत उठाया करो ।
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