Saturday, August 8, 2020

पंचवटी


                                                     पंचवटी

                                      Visharadh Uttarardh 


 

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लक्ष्मण का चरित्र चित्रण

पात्र परिचय: 

     "पंचवटी' श्री मैथिलीशरण गुप्त दवारा लिखित मनोहर खंड काव्य है। लक्ष्मण 'पंचवटी काव्य के नायक है।

वन-गमन

        जब श्रीराम पिता की आज्ञानुसार वन-मन करते हैं, तब सीता भी पत्नी धर्म का पालन कर उनके साथ जाती है। लक्ष्मण अपने भातृ-प्रेम के वशीभूत होकर अपने घर-बार, माता-पिता, प्रिय पत्नी ऊर्मिला सबको त्यागकर, अपने प्रिय भाई श्री राम की सेवा करने के लिए उनके साथ वन जाते हैं। 

निस्वार्थ प्रेम :

         लक्ष्मण अपने भाई श्रीराम और भाभी सीता के निस्वार्थ सेवक हैं। वे निद्रा त्यागकर रात भर जागकर अपनी भाभी सीता की रक्षा करने के लिए कुटिया के बाहर पहरा देते हैं।

वन-जीवन :

             लक्ष्मण के विचार में वन जीवन के अनेक लाभ हैं। वन में आँखों के सामने हमेशा हरियाली रहती है, जो मन को आनंद और शांति प्रदान करती है। वन में मुनियों का सत्संग प्राप्त होता है। उनसे नये अनुपम आख्यान सुनने को मिलते हैं वन में पशु-पक्षी स्वच्छंद विहरते हैं। श्रीराम के विपिन राज्य में सिंह और मृग एक ही घाट पर पानी पीते हैं। लक्ष्मण की इच्छा है कि एक बार अपने बंधुओं को वन लाकर वन-जीवन की महिमा दिखायें।

पत्नी की चिंता:

         लक्ष्मण अपनी पत्नी उर्मिला से बहुत प्रेम करते हैं। उन्हें चिंता है कि वे सब वन में खुश है। पर इस बात से अनजान उर्मिला उनकी चिंता में रोती होगी।

उच्च विचार : 

                लक्ष्मण उच्च विचारोंवाले एक उत्तम पुरुष हैं। हम पापी की तुलना पशु से करते हैं। लेकिन लक्ष्मण इसका विरोध करते हैं। वे कहते हैं कि पशु कभी प्रकृति के नियमों की अवहेलना नहीं करते। इसलिए वे पशुओं की तुलना पापी से नहीं कर सकते।

       लक्ष्मण बहुविवाह के विरोधी हैं। वे नारी के सतीत्व के आदर्श का आदर करते हैं और वही गुण नरों में भी देखना चाहते हैं। लक्ष्मण ऊँच-नीच का भेदभाव नहीं मानते।

निर्मोह और त्यागी:

लक्ष्मण निर्मोह और त्यागी हैं। उन्हें अपने माता-पिता, पत्नी, धन किसी का मोह नहीं है। इसीलिए तो वे एक क्षण में इन सबको त्यागकर अपने भाई की सेवा करने उनके साथ वन गमन करते हैं। 

          जब शूर्पणखा, लक्ष्मण को लालसा देती है कि वे जो भी चाहेंगे वह सब उन्हें मिलेगा वह उन्हें अपने सोने की भू-भाग का राजा बनाएगी, तब भी लक्ष्मण का मन जरा भी विचलित नहीं होता।

अपूर्व भ्रातृ-प्रेम : 

   अपने भाई श्रीराम के प्रति लक्ष्मण का प्रेम अनुपम और अपूर्व है। जब राम, लक्ष्मण से कहते हैं कि तुमने मेरे लिए बहुत कुछ सहा है। तब लक्ष्मण कहते हैं कि कष्ट सहना मेरे लिए कोई कठिन काम नहीं। पर आपका यह कहना कि मैने आपके लिए बहुत सहा है, यह सहना कठिन है।

आदर्श भाई:

        लक्ष्मण एक आदर्श भाई हैं। अपने प्रिय भाई श्री राम की सेवा करने के लिए उन्होंने न केवल अपने माता-पिता, ने पत्नी को त्यागकर बन गाना किया, बल्कि अपने जीवन के बहुमूल्य  चौदह दर्पों को सिर्फ अपने भाई के लिए अर्पण किया। 

शूर्पणखा को दंड: 

एक नारी होने के कारण ही लक्ष्मण ने शूर्पणखा का वध नहीं किया। वे उसके नाक और कान काटकर उसे विकलांग बना देते हैं ताकि वह आगे किसी को भी छल न सके। इस तरह हम लक्ष्मण को एक आदर्श भाई और  उच्च विचारोंवाले एक उत्त्म व्यक्ति के रूप में देखते हैं।












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