Thursday, April 8, 2021

शब्द-पुनरुक्ति (Tautology)

 

          शब्द-पुनरुक्ति (Tautology)


1. पीछे-पीछे आयो।

2. आगे-आगे मत भागो।

3. कुछ-कुछ तो मैं समझ गया।

4. सुनी-सुनाई है नहीं, देखा-देखी बात ।

5. माँ रो-रोकर पागल हो गई ।

       इन वाक्यों में एक ही शब्द दो-दो बार आया है। इस प्रकार के शब्दों को पुनरुक्त शब्द कहते हैं। ये दो प्रकार के हैं- I. पूर्ण पुनरु्त, 2. अपूर्ण पुनरुक्त ।


1. पूर्ण पुनरुक्त शब्द-

           जब कोई एक शब्द एक ही साथ लगातार दो बार या तीन बार प्रयुक्त होता है, तब उसे 'पूर्ण पुनरुक्त' शब्द कहते हैं।

         पुनरुक्ति करने से शब्दार्थ में विशेष बल आ जाता है । यह पुनरुक्ति संज्ञा, सर्वनाम आदि सभी शब्द-भेदों में होती है। यथा


वाक्य                                                     विशेषार्थ


घर-घर' आनन्द छा गया ।                            प्रत्येक' अर्थ

'देश-देश' के राजा स्वयंवर आए ।                 'विविध' अर्थ

'हँसी-हँसी' में लड़ाई हो गई।                        'विरोध' अर्थ '

'कली-कली' बिखर गई ।                          सम्पूर्णता' अर्थ


   इस प्रकार कभी-कभी दो शब्दों के बीच में एक अव्यय भी आ जाता है। 

  जैसे-मन ही मन । 

     विशेषण की पुनरुक्ति-

     बड़े-बड़े महारथी, मन्द-मन्द हवा, मीठे-मीठे । 

     क्रिया की पुनरुक्ति-

     रो-रोकर, होते-होते हम कराची पहुंचे।

     बैठे-बैठे तुम्हारा ध्यान आया । सोते-सोते, चलते-चलते । 

    क्रिया-विशेषण की पुनरुक्ति-

    धीरे-धीरे, कभी-कभी, जब-जब, कुछ कुछ, कुछ न कुछ, ज्यों-ज्यों ।

    सम्बन्धसूचक की पुनरुक्ति-

    किनारे के साथ-साथ, मेरे पीछे-पीछे, गिलास के नीचे-नीचे, जंगल के पास-पास ।

    वि्मयाबोधक की पुनरुक्ति-

     छि:-छिः ! थू-थू ! हाय-हाय ! अरे -अरे ! धिक्-धिक् !

2. अपूर्ण पुनरुक्त शब्द -

      जब दो सार्थक अथवा एक सार्थक, एक निरर्थक जादी निरर्थक, शब्दों के मेल से पुनरुक्ति होती है, तब उसे 'अपूर्ण पुनरुकत' प्रद कहते हैं। 

जैसे-

   संज्ञा

     डाँट-डपट, पान-वान, काम-काज, अंट-संट, 

     बातचीत, टीप टाप, बड़बड़, टनटन, खटपट । 

   विशेषण-

   थोड़ा-बहुत, हट्टा-कट्टा, अमीर-गरीब, भरा-पूरा, 

   दुबला-पतला, अच्छा-खासा, गड़बड़िया, फटफटिया ।

   क्रिया-

   घटा-बढ़ी, लेवा-बेची, बैठे-बिठाए, लड़ना-भिड़ना, पूछना ताछना,

   हिनहिनाना, भिनभिनाना। 

   प्रव्यय-

   यहाँ-वहाँ, जहाँ-तहाँ, इधर-उधर, आगे-पीछे, झटपट, थर-थर ।


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