Wednesday, April 21, 2021

Muhavare हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और प्रयोग ।( य - र - ल- व ) (श- ष - स - ह )

 

Muhavare  
हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे,   
उनके अर्थ और प्रयोग ।

( य - र - ल- व ) (श- ष - स - ह )



(य)

565. यम की यातना–(असह्य कष्ट)
सैनिकों ने घुसपैठिये की इतनी पिटाई की कि उसे “यम की यातना” नज़र आने लगी।

566. यमराज का द्वार देख आना–(मरकर जीवित हो जाना)
नेपाल में आए जानलेवा भूकम्प से बच निकल आना, यमराज का द्वार देख आने के समान था।

567. युग बोलना–(बहुत समय बाद होना)
आज रात आसमान में दो चाँद–से प्रतीत होना युग बोलने के समान है।

568. युधिष्ठिर होना–(अत्यन्त सत्य–प्रिय होना)
महात्मा विदुर वास्तव में, मन–वचन और कर्म से युधिष्ठिर थे।

569. रफूचक्कर होना–(भाग जाना)
पुलिस के आने की सूचना पाकर दस्यु दलं रफूचक्कर हो गया।

570. रँगा सियार–(धोखेबाज़ होना)
आजकल बहुत से साधु वेशधारी रँगे सियार बनकर ठगने का काम करते हैं।

571. राई का पहाड़ बनाना–(बढ़ा–चढ़ाकर कहना)
भूषण ने अपने काव्य में राई का पहाड़ बना दिया है।

572. रातों की नींद हराम होना–(चिन्ता, भय, दु:ख, आदि के कारण रातभर नींद न आना)
“क्या बताऊँ दोस्त, एक गरीब बाप के सम्मुख उसकी जवान बेटी की शादी की चिन्ता, उसकी रातों की नींद हराम कर देती है।”

573. रीढ़ टूटना–(आधारहीन रहना)
इकलौते जवान बेटे की अचानक मृत्यु पर गंगाराम को लगा जैसे उसकी रीढ़ टूट गई हो।

574. रंग बदलना–(बदलाव होना)
पूँजीवादी व्यवस्था में मनुष्य बेहद स्वार्थी हो गया है, अत: कौन कब रंग बदल ले, पता नहीं।

575. रोंगटे खड़ा होना–(भय से रोमांचित हो जाना)
घर में बड़ा साँप देखकर अमर के रोंगटे खड़े हो गए।

576. रास्ते पर लाना–(सुधार करना)
राजीव को रास्ते पर लाना बहुत कठिन है। मेहनतकश वर्ग रो–धोकर अपने दिन काट रहा है।

578. रंग में भंग होना–(आनन्द में विघ्न आना)
बराती के गोली छोड़ने से लड़के का चाचा मर गया, जिससे रंग में भंग हो गई।

579. रास्ता नापना–(चले जाना)
खाओ पियो और यहाँ से रास्ता नापो।

580. रंग लाना–(हालात पैदा करना)
मेहनत रंग लाती है, ये सच है।

(ल)

581. लंगोटी बिकवाना–(दरिद्र कर देना)
शंकर ने अपने शत्रु जसबीर को अदालत के ऐसे चक्रव्यूह में फँसाया कि उस बेचारे की लंगोटी तक बिक गई है।

582. लकीर का फकीर होना–(रूढ़िवादी होना)।
पढ़े–लिखे समाज में भी बहुत से लकीर के फकीर हैं।

583. लेने के देने पड़ना–(लाभ के बदले हानि)
व्यापार में कभी–कभी लेने के देने पड़ जाते हैं।

584. लासा लगाना–(किसी को. फँसाने की युक्ति करना)
जमुनादास ने सुखीराम को तो ठग लिया है। अब वह अब्दुल करीम को लासा लगाने की कोशिश कर रहा है।

585. लोहे के चने चबाना–(कठिनाइयों का सामना करना)
किसी पुस्तक के प्रणयन में लेखक को लोहे के चने चबाने पड़ते हैं, तब सफलता मिलती है।

586. लौ लगाना–(प्रेम में मग्न हो जाना/आसक्त हो जाना)
सारे बुरे कामों को छोड़कर भीमा ने ईश्वर से लौ लगा ली है। अब वह किसी की तरफ को देखता तक नहीं है।

587. ललाट में लिखा होना–(भाग्य में लिखा होना)
वह कम उम्र में विधवा हो गई, ललाट में लिखे को कौन बदल सकता है।

588. लंगोटिया यार–(बचपन का मित्र)
अतुल तो मेरा लंगोटिया यार है।

589. लम्बी तानकर सोना–(निष्क्रिय होकर बैठना)
राजनीति में लम्बी तानकर सोने से काम नहीं चलेगा, बढ़ने के लिए मेहनत करनी होगी।

590. लाल–पीला होना–(गुस्से में होना)
महेन्द्र ने प्रश्न गलत कर दिया तो भइया लाल–पीला होने लगे।

591. लंगोटी में फाग खेलना–(दरिद्रता में आनन्द लूटना)
कवि, लेखक और साहित्यकार तो लंगोटी में फाग खेलते हैं।

592. लल्लो–चप्पो करना–(चिकनी–चुपड़ी बातें करना)
क्लर्क, लल्लो–चप्पो करके अधिकारियों से अपना काम करा लेते हैं।

593. लहू के आँसू पीना–(दुःख सह लेना)
विभा की शादी के पश्चात् राज लहू के आँसू पीकर रह गया, उसने उफ़ तर्क नहीं की।

594. लुटिया डुबोना–(कार्य खराब कर देना)
गोर्बाच्योव ने संशोधनवादी नीति पर चलकर साम्यवाद की लुटिया डुबो दी।

595. वकालत करना–(पक्ष का समर्थन करना)
“मैंने अपने पिता की वकालत इसलिए नहीं की, क्योंकि वे मुझसे भी भरी पंचायत में झूठ बुलवाना चाहते थे।”

596. वक्त की आवाज़–(समय की पुकार)
गरीबी और शोषण को नष्ट करके ही संसार दोषमुक्त हो सकता है। यही वक्त की आवाज़ है।

597. वारी जाऊँ–(न्योछावर हो जाना)
काफी समय बाद सैनिक बेटे को देखकर माँ ने उसकी बलाएँ उतारते हुए कहा–“मैं वारी जाऊँ बेटे, तुम युग–युग जियो।”

598. विधि बैठना–(युक्ति सफल होना/संगति बैठना)
इस बार तो ओमप्रकाश की विधि बैठ गई, उसका कारोबार दिन दूना, रात चौगुना बढ़ता जा रहा है।

599. विष उगलना–(क्रोधित होकर बोलना)
सामान्य बातों में विष उगलना अच्छी बात नहीं है।

600. विष की गाँठ–(उपद्रवी)
देवेन्द्र तो विष की गाँठ है।

601. विष घोलना–(गड़बड़ पैदा करना)
विभीषण ने राम को रावण के सभी रहस्य बताकर विष घोलने का कार्य किया। 

(श्र), (श)

602. श्रीगणेश करना–(कार्य आरम्भ करना)
आज गुरुवार है, आप कार्य का श्रीगणेश करें।

603. शहद लगाकर चाटना–(किसी व्यर्थ की वस्तु को सँभालकर रखना)
सेठ दीनदयाल बड़ा कंजूस है। वह व्यर्थ की वस्तु को भी शहद लगाकर चाटता है।

604. शैतान के कान कतरना/काटना–(बहुत चालाक होना)
देवेन्द्र है तो लड़का पर शैतान के कान कतरता है।

605. शान में बट्टा लगाना–(शान घटना)
साइकिल की सवारी करने में आजकल के युवाओं की शान में बट्टा लगता

606. शेर की सवारी करना–(खतरनाक कार्य करना)
रोज प्रेस से रात को दो बजे आना शेर की सवारी करना है।

607. शिकंजा कसना–(नियन्त्रण और कठोर करना)
भारत ने अपने सैनिकों पर शिकंजा कस दिया है कि कोई भी घुसपैठिया किसी भी समय सीमा पर दिखाई दे, तो उसे तुरन्त गोली मार दी जाए।

608. शेर और बकरी का एक घाट पर पानी पीना–(ऐसी स्थिति होना जिसमें दुर्बल को सबल का कुछ भी भय न हो)
सम्राट अशोक के काल में शेर और बकरी एक ही घाट पर पानी पिया करते थे।

(स)

609. सफ़ेद झूठ–(सर्वथा असत्य)
चुनाव के समय नेता सफेद झूठ बोलते हैं।

610. साँप को दूध पिलाना–(शत्रु पर दया करना)
साँप को दूध पिलाकर केवल विष बढ़ाना है।

611. साँप सूंघना–(निष्क्रिय या बेदम हो जाना)
कक्षा में बहुत शोर–गुल हो रहा था, परन्तु गुरु जी के आते ही सभी बच्चे ऐसे हो गए जैसे उन्हें साँप सूंघ गया हो।

612. सिर आँखों पर–(विनम्रता तथा सम्मानपूर्वक ग्रहण करना)
विनय इतना आज्ञाकारी बालक है कि वह अपने बड़ों के प्रत्येक आदेश को अपने सिर आँखों पर रखता है।

613. सिर ऊँचा करना–(सम्मान बढ़ाना)
पी. सी. एस. परीक्षा उत्तीर्ण करके महेश ने अपने माता–पिता का सिर ऊँचा कर दिया।

614. सोने की चिड़िया–(बहुत कीमती वस्तु)
पहले भारत को सोने की चिड़िया कहा जाता था।

615. सिर उठाना–(विरोध करना)
व्यवस्था के खिलाफ सिर उठाने की हिम्मत विरलों में ही होती है।

616. सिर पर भूत सवार होना–(धुन लग जाना)
राजीव को कार्ल मार्क्स बनने का भूत सवार है।

617. सिर मुंडाते ओले पड़ना–(काम शुरू होते ही बाधा आना)
छत्तीसगढ़ में भाजपा ने चुनाव का प्रचार शुरू ही किया था कि जूदेव भ्रष्टाचार काण्ड में फँस गए, तब कांग्रेस ने चुटकी ली सिर मुंडाते ही ओले पड़े।

618. सिर पर हाथ होना–(सहारा होना)
जब तक माँ–बाप का सिर पर हाथ है, मुझे क्या चिन्ता है।

619. सिर झुकाना–(पराजय स्वीकार करना)
भारतीय सेना के समक्ष पाकिस्तानी सेना ने सिर झुका दिया।

620. सिर खपाना–(व्यर्थ ही सोचना)
बुद्धिजीवी को सुबह से शाम तक सिर खपाना पड़ता है, तब रोटी मिलती है।

621. सिर पर कफ़न बाँधना–(बलिदान देने के लिए तैयार होना)
क्रान्तिकारियों ने सिर पर कफ़न बाँधकर देश को आजाद कराने का प्रयास किया।

622. सिर गंजा करना–(बुरी तरह पीटना)
अपराधी के हेकड़ी दिखाते ही पुलिस अधिकारी ने उसका सिर गंजा कर दिया था।

623. सिर पर पाँव रखकर भागना–(तुरन्त भाग जाना)
घर में जाग होते ही चोर सिर पर पाँव रखकर भाग गया।

624. साँप छछूदर की गति होना–(असमंजस की दशा होना)
अपने वचन का पालन करने और पुत्र बिछोह उत्पन्न होने की स्थिति में राजा दशरथ की साँप छछूदर की गति हो गई थी।

625. समझ पर पत्थर पड़ना–(विवेक खो देना)
क्या तुम्हारी समझ पर पत्थर पड़ गया है जो रेलवे की नौकरी छोड़ रहे हो।

626. साँच को आँच नहीं–(सच बोलने वाले को किसी का भय नहीं)।
ईमानदार व्यक्ति पर कितने भी आरोप लगाओ वह डरेगा नहीं, सच है साँच को आँच नहीं।

627. सूरज को दीपक दिखाना–(किसी व्यक्ति की तुच्छ प्रशंसा करना)
महर्षि वशिष्ठ के सम्मान में कुछ कहना सूरज को दीपक दिखाने के समान।

628. संसार से उठना–(मर जाना)
बाबा को संसार से उठे तो वर्षों हो गए।

629. सब्जबाग दिखाना–(लालच देकर बहकाना)
सब्जबाग दिखाकर ही रमेश ने सुरेश के दस हज़ार लिए थे।

630. सिट्टी–पिट्टी गुम होना–(होश उड़ जाना)
कर्मचारी बैठे हुए गप–शप कर रहे थे, सेठ को देखते ही सबकी सिट्टी–पिट्टी गुम हो गई।

631. सिक्का जमाना–(प्रभाव स्थापित करना)
वह हर जगह अपना सिक्का जमा लेता है।

632. सेमल का फूल होना–(अल्पकालीन प्रदर्शन)
कबीरदास ने मानव शरीर को सेमल का फूल कहा है।

633. सूखते धान पर पानी पड़ना–(दशा सुधरना)
बेहद गरीबी में वह दिन काट रहा था, लड़के की अच्छी कम्पनी में नौकरी लगी तो सूखे धान पर पानी पड़ गया।

634. सुई की नोंक के बराबर–(ज़रा–सा)
पाण्डवों ने दुर्योधन से पाँच गाँव माँगे थे, लेकिन उसने बिना युद्ध के सुई . की नोंक के बराबर भी भूमि देने से इनकार कर दिया।

635. हवाई किले बनाना—(कोरी कल्पना करना)
बिना कर्म किए हवाई किले बनाना व्यर्थ है।

636. हाथ खाली होना–(पैसा न होना)
महीने के अन्त में अधिकांश सरकारी कर्मचारियों के हाथ खाली हो जाते हैं।

637. हथियार डालना–(संघर्ष बन्द कर देना)
मैंने व्यवस्था के खिलाफ हथियार नहीं डाले हैं।

638. हक्का–बक्का रह जाना—(अचम्भे में पड़ जाना)
राज अपने चाचा जी को ट्रेन में देखकर हक्का–बक्का रह गया।

639. हाथ खींचना–(सहायता बन्द कर देना)
सोवियत रूस के विखण्डन के पश्चात् देश के साम्यवादियों की मदद से
रूस ने हाथ खींच लिए।

640. हाथ का मैल–(तुच्छ और त्याज्य वस्तु)
पैसा तो हाथ का मैल है, फिर आ जाएगा, आप क्यों परेशान हो?

641. हाथ को हाथ न सूझना–(घना अँधेरा होना)
इस बार इतना कोहरा पड़ा कि हाथ को हाथ नहीं सूझ रहा था।

642. हाथ–पैर मारना–(कोशिश करना)
मैंने बहुत हाथ–पैर मारे लेकिन कलेक्टर बनने में सफलता नहीं मिली।

643. हाथ डालना–(शुरू करना)
अंबानी जी जिस प्रोजेक्ट में हाथ डालते हैं, उसमें सफलता मिलती है।

644. हाथ साफ़ करना–(बेइमानी से लेना या चोरी करना)
तुम्हारी हाथ साफ करने की आदत अभी गई नहीं है।

645. हाथों हाथ रखना–(देखभाल के साथ रखना)
यह वस्तु मेरी माँ ने मुझे दी थी जिसे मैं हाथों हाथ रखता हूँ।

646. हाथ धो बैठना–(किसी व्यक्ति या वस्तु को खो देना)
यदि तुमने उसे अधिक परेशान किया तो उससे हाथ धो बैठोगे।

647. हाथों के तोते उड़ जाना–(होश हवास खो जाना)।
शिवानी के छत से गिरने से मेरे तो हाथों के तोते उड़ गए।

648. हाथ पीले कर देना—(लड़की की शादी कर देना)
प्रोविडेण्ट का पैसा मिले तो लड़की के हाथ पीले करूँ।

649. हाथ–पाँव फूल जाना—(डर से घबरा जाना)
अच्छे वकील की पूछताछ से बड़े–बड़ों के हाथ–पाँव फूल जाते हैं।

650. हाथ मलना या हाथ मलते रह जाना–(पश्चात्ताप करना)
क्रोध में तुमने अपना घर तो जला ही दिया अब हाथ मलने से क्या लाभ?

651. हाथ पर हाथ धरे रहना–(बेकाम रहना)
हाथ पर हाथ धरे रहकर बैठने से तो लड़की का विवाह नहीं होगा, उसके लिए तो आपको प्रयास करना होगा।

652. हाथी के पैर में सबका पैर–(बड़ी चीज के साथ छोटी का साहचर्य)
जब प्रधानमन्त्री इस्तीफ़ा दे देता है, तो मन्त्रिमण्डल स्वयं समाप्त हो जाता है, क्योंकि हाथी के पैर में सबका पैर होता है।

653. हाल पतला होना–(दयनीय दशा होना)
उसका व्यापार ढीला चल रहा है। अत: उसका हाल पतला है।

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