शिशुपालवध महाकाव्यम्
★महाकवि माघ का स्थितिकाल:- ६७५ ई. (लगभग) या भारवि के बाद का समय।
★जन्म स्थान:- भीनमाल, जिला:-जालौर,राजस्थान।
★महाकवि माघ के पिता:- श्री सुप्रभवदेव
★महाकवि माघ का जाति:- श्रीमाली ब्राह्मण
★महाकवि माघ की उपाधि:- घण्टामाघ
★महाकवि माघ का प्रिय छन्द:- मालिनी।
★माघ के मृत्यु का कारण:- पादशोथ रोग।
शिशुपालवध महाकाव्य
★शिशुपालवध महाकाव्य के लेखक:- महाकवि माघ।
★शिशुपालवध महाकाव्य में कुल सर्गः-२० सर्ग
★शिशुपालवध महाकाव्य में कुल श्लोक:- १६५०
★शिशुपालवध महाकाव्य का उपजीव्य:-
१. महाभारत का सभापर्व
२. श्रीमद्भागवत् पुराण का दशम स्कन्ध ।
★शिशुपालवध महाकाव्य का प्रधान रस:- वीर रस
★शिशुपालवध महाकाव्य का सहायक रस:- श्रृंगार व हास्य।
★शिशुपालवध महाकाव्य का प्रमुख छन्द:- वंशस्थ, अनुष्टुप, उपजाति और वसन्ततिलका।
★शिशुपालवध महाकाव्य का प्रमुख अलंकार:- उपमा, उत्प्रेक्षा, अतिशयोक्ति,यमक, श्लेष ,रूपक।
★शिशुपालवध महाकाव्य का नायक:- श्रीकृष्ण
★शिशुपालवध महाकाव्य का प्रतिनायक:- चेदिनरेश शिशुपाल।
★शिशुपालवध महाकाव्य की मुख्य कथावस्तु:- भगवान् कृष्ण द्वारा शिशुपाल का वध किए जाने का वर्णन।
★शिशुपाल की राजधानी:- महिष्मती
★शिशुपाल का राज्य:- चेदि
★द्वारिका का राजा:- श्रीकृष्ण
★हिरण्यगर्भ और ब्रह्मा के मानस पुत्र:- नारद जी
★शिशुपाल का मौसेरा भाई:- श्रीकृष्ण
★शिशुपालबध के तेजस्वी ऋषि:- नारद
★शिशुपाल का पूर्वजन्म:-हिरण्यकश्यपु, रावण, शिशुपाल क्रमशः।
★शिशुपालवध महाकाव्य श्री शब्द से प्रारम्भ है और प्रत्येक सर्ग का अंत भी श्री शब्द से हीं हुआ है।
★शिशुपालबध "काव्येषु माघ:" से भी प्रसिद्ध है।
★शिशुपालवध महाकाव्य में राजसूय यज्ञ युधिष्ठिर करते हैं।
★श्रीकृष्ण शिशुपाल को १००गलती माफ़ करने का वचन दे रखे थे।
★शिशुपाल का वध श्रीकृष्ण, बलराम और उद्धव जी तीनों मिलकर किये थे।
माघ के लिए प्रचलित उक्तियाँ
१.मेघे माघे गतं वयः।
२. माघे सन्ति त्रयोः गुणाः।
३.तवाद् भा भारवेर्भाति, यावन्माघस्य नोदयः।
४. नवसर्ग गते माघे नव शब्दों न विद्यते।
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