Sunday, December 31, 2023

VISHARAD UTTARARDH शूर्पनखा


VISHARAD UTTARARDH 

                   शूर्पनखा

सूर्पणखा पंचवटी की प्रथम मुख्य नारी पात्र है। वह इस काव्य की खल नायिका है। शूर्पनखा का चरित्र अत्यंत विचित्र रहा है फिर भी उसकी प्रधानता भुलायी नहीं जा सकती।

* कामार्ता रमणी :-

   शूर्पनखा कामार्ता रमणी है। वह छलना है, निर्भीक तथा बुद्धिशाली रमणी है। शूर्पनखा के व्यक्तित्व के दो पहलू है। पहले एक सुन्दर कामिनी के रूप में अवतरित होती है। फिर ठुकराये जाने पर बीभत्स और भयावने रूप में नफरत का पात्र बनती है।

       पंचवटी में शूर्पनखा अपना परिचय स्वयं देती है- 

   "मैं अपने ऊपर अपना ही ख्याती हूँ अधिकार सदा । "

* मायाविनी:

    शूर्पनखा प्रपंचमयी नारी है, मायाविनी है और भ्रममयी है। लक्ष्मण उसे नहीं पहचान पाते।

      " तुम्हीं बताओ कि तुम कौन हो हे रजित रहस्यवाली।" 

लक्ष्मण कहते हैं-

      पर अबला केहकर अपने को तुम प्रगल्भता रखती हो निर्ममता निरीह पुरुषों में निस्सन्देह निरखरी हो। सूर्पणया कामुक और विलास आसक्न नारी है। लक्ष्मण के रूप को दोषी ठह‌राती है।

  "दीत दिखाना यदि न दीप तो, जलता कैसे कूद पतंग? बह लक्ष्मण को वशीभूत करने के लिए लालच दिखाती है-

शासक खूप बनो तुम उसके, त्यागो यह अति 31 विषम विराग।"

* वाक चाबुर्यता:-

सूर्पनखा अपनी वाक चातुर्यता से सीता को भी मुग्ध करती है।

" हे देवी! यदि तुम मुझे अपनी देवरानी बना लें तो मेरा रोम-रोम आपकी सेवा करेगा।"

शूर्पनखा राम की बढ़ाई करके उनके हृदय को भी जीतना चाहती है।

"अंत में तुम दोनों अच्छे निकले या बुरे मगर यह मालूम हो गया कि बरे हमेशा बरे ही रहते हैं और छोटे तो छोटे ही बन रहते हैं।”

WATCH VIDEO

VISHARAD UTTARARDH Visharad Uttarardh/2.शूर्पणखा/ चरित्र-चित्रण/पंचवटी/ शूर्पनखा

* डरावनी :-

जब राम- -लक्ष्मण टस से मस ने शूर्पनखा डराती है- तबमैं मेरी क्रोध पूर्ण दृष्टि के सामने तुम्हारे धनुष और वाण ठहर भी न सकेंगे। तुन यह मेरभुको कि मुझमें ऐभी की सरकत है जिससे दुम्को विवश होकर मुझसे आर करना पड़ेगा।

* क्रांतिकारी विचार;-

शूर्पनखा के विचार क्रांतिकारी है-

"एक क्या पुरुष नहीं होते हैं- दो-दो दाराओं वालें ? "

पुरुषों के लिए रुकावट ही का? पुरुषों द्वारा रचे असे शास्त्रों में यब तरह के प्रतिबंध स्त्रियों के लिए ही तो है। अपने सुख के लिए तो पुरुषों ने पहले से ही यब तह के सुविधाएँ कर लिए है।

पुरुषों पर उसका दोषारोपण गंभीर है। मनोवैज्ञानिक है तथा अद्भुत है।

* इस प्रकार शूर्पनखा हमारे सामने एक अत्यंत ही कामुक, वासना मयी, चालाक, निर्भीक और सौन्दर्य तथा बीभत्स का मिश्रित स्वरूप धारण कर आती है।


No comments:

Post a Comment

thaks for visiting my website

एकांकी

Correspondence Course Examination Result - 2024

  Correspondence Course  Examination Result - 2024 Click 👇 here  RESULTS