राष्रभाषा
स्वर्ग की खोज
तेनाली राम रोजगार की तलाश में विजयनगर आया। महाराजा जगदेव राय बड़े उदार, विद्या प्रेमी और कलाप्रिय राजा थे। तेनाली राम राजा से मुाकात की । उसकी बातों से प्रभावित होकर महाराजा ने तुरंत उसे नौकरी दे दी।
अपने बचपन में सनी कथा के अनुसार महाराजा विश्वास करत कि स्वर्ण बांड की सबसे उत्तम और मनमोहक जगह हा एक बार उन्हें स्वर्ग देखने की इच्छा हुई।
महाराजा ने सभी दरबारियों और मंत्रियों से स्वर्ग का पता पूछा। कोई भी स्वर्ग का पता नहीं जानता था। पर तेनाली राम ने स्वर्ग का पता बताने का वादा किया। इसके लिए उसने दस हजार सोने के सिक्के और
दो महीने का समय मांगा। महाराजा ने शर्त रखी कि अगर दो महीने में तेनाली राम स्वर्ग का पता नहीं बता पाया तो उसे कडा दंड दिया जाएगा।
तेनाली राम की बुद्धिमानी और चतुराई को देखकर दरबारी उससे जलते थे। वे अब बहुत खुश हुए कि तेनाली राम जरूर दंड पायेगा।
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दो महीने बाद तेनाली राम महाराजा और उनके खास मंत्रियों को एक सुंदर स्थान पर ले गया। वहाँ खूब हरियाली, चहचहाते पक्षी और सुंदर
पेड़-पौधे हैं। जिसे देखकर महाराजा बहुत प्रसन्न हुए मंत्रियों के याद दिलाने पर महाराजा ने तेनालीराम से स्वर्ग दिखाने को कहा। तेनाली राम ने कहा कि जब हमारी पृथ्वी में प्रकृति का अलौकिक सौंदर्य है तो स्वर्ग की कामना क्यों करें।
महाराज के पूछने पर तेनालीराम ने कहा कि उन्होंने दस हजार सोने के सिक्कों से उत्तम बीज और पौधे खरीदे हैं, जिनको अपने राज्य के जमीन पर लगाकर उसे भी सुंदर, आकर्षक और उपजाऊ बनाएँगे।
महाराजा तेनाली राम की बातों से बहुत खुश हुए और उन्हें दरों इनाम दिया। मंत्री ने तो अपना-सा मुँह लेकर रह गये।
धन्यवाद!
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