Friday, December 20, 2019

लोकोक्तियाँ / rastra bhasha

                                                                
                                                                      लोकोक्तियाँ

AKSHARAM collections www.myownshop.in/Shop50489298?86mq41

अंत गता सो मता-जिसका परिणाम अच्छा वह अच्छा।
अंत भले का भला-भले कार्य का परिणाम भला ही होता है।
अंधों में काने राजा-मूर्खों में थोड़ा पढ़े लिखे का मान होता है।
अब पछताये होत क्या जब चिड़िया चुग गई खेत-समय निकल जाने पर पछताना व्यर्थ है।
आँख के अन्धे गाँठ के पूरे-मूर्ख, पर धनवान।
आप मरे जग परलै-प्राण हैं तो संसार है।
उल्टा चोर कोतवाल को डाँटे-अपराध करके किसी को डाँटना।
ऊँची दुकान फीका पकवान-दिखावटी काम होना।
एक अनार सौ बीमार- जब एक चीज के बहुत से इच्छुक हों तब कहा जाता है।
एक करेला दूसरा नीम चढ़ा-एक स्वयं खराब स्वभाव वाला होना फिर संगीत भी वैसी मिलना।
एक पंथ दो काज-एक काम करने से दो कामों का लाभ होना।
काला अक्षर भैंस बराबर-बिल्कुल निरक्षर भट्टाचार्य।
कुम्हारी अपना ही भाँडा सराहती है-सव अपनी चीख को अच्छा
कहते हैं।
कोयले की दलाली में मुँह काला - बुरी संगति में बुराई ही मिलती है।

https://amzn.to/2SPpBNK
खोदा पहाड़ निकली चुहिया-बहुत परिश्रम करने पर
घर का भेदी लंका ढाहे- पारस्परिक फट से घर नाश होता है।
चिराग तले अंधेरा-पास में ही किसी घटना के होने पर भी उसका ज्ञान न होना या किसी ऐसे स्थान पर बुराई का होना जहाँ उसके रोकने का प्रबन्ध हो।
चोर की दाढ़ी में तिनका-पापी स्वयं डर जाता है।
जब तक साँसा तब तक ऐसे-मरने तक आशा लगी रहती है। ।
जागे सो पावे सोवे तो खोवे-सावधान रहने से भ होता है।
जिसकी लाठी उसकी भैंस-बलवान पुरुष का दबदबा रहता है।
जैसा देश बैसा भेस-जिन देश में वैसी ही रीति ग्रहण करती
चाहिए।


                       लोकोक्ति click to watch video

जैसा मुंह वैसी चपेट या जैसा तेरी तिल चाँवरी वैसे रेगीत मजदूरी
के अनुसार कार्य होगा।
जैसी करनी वैसी भरनी-कर्म और फल मिलता है।
तन को कपड़ा न पेट को रोटी-बहुत गरीब। ।
तेली जोड़े पली पली रहमान लुटावे कुष्या किसी के मेहनत से ीड़े
हुये धन को जब कोई फिजूलखर्ची से उड़ा दे तब कहा जाता है।
थोथा चना बाजे घना-काम न करने वाला व्यक्ति बकवास बहुत करता है।
दाम बनाये कम पैसे से सब काम हो जाते हैं।
दूर के ढोल सुहाने-दूर की चीज अच्छी लगती है
धोबी का कुत्ता घर का न घाट का-जो एक ठिकाने पर जमकर बार
करे, कभी एक में लगे और कभी दूसरे में और किसी में सफल न ही, उमे कहा जाता है।
नदी में रहना मगर से बैर-जिसके अधीन होकर रहे और उसी से बैर करे तो गुजारा नहीं चलता है।
न रहेगा बाँस न बाजेगी बाँसुरी-जिससे नुकसान हो सकता नात ही कर देना अच्छा है।
नाच न जाने आँगन टेढ़ा-काम करने की योग्यता न होने पर टूसरे की दोष देना।
नीम हकीम जान का खतरा-अधिक जाल हानिकारक होता है।
नौ नगद न तेरह उधार-उधार पैसा देना टोक नहीं।
बेकार से बेगार भली-खाली रहने से बिना वेतन काम करना अच्छा है।
पहले आत्मा फिर परमात्मा- पहले अपना घर ठीक कर लो फिर उपकार आदि करो। पहले शरीर फिर धर्म आदि।
भागते चोर की लंगोटी ही सही-सब धन जाता हो तो उससे जो कुछ बचे वही बहुत है।

https://www.amazon.co.uk/?tag=aksharamaksha-21&linkCode=ez

मान न मान मैं तेरा मेहमान- जबरदस्ती गले पड़ना।
मियाँ की जूती मियाँ के सिर-किसी व्यक्ति की वस्तु से उसी की हानि करना।
साँप मरे न लाठी टूटे-काम भी सिद्ध हो और नुकसान भी न उठाना पड़े।
सौ सयाने एक मत-सभी सयानों अथवा चतुरों की एक सलाह होती है।
हाथ कंगन को आरसी क्या - प्रत्यक्ष के लिए और प्रमाण की
आवश्यकता नहीं।
हाथी के दाँत खाने के और दिखाने के और कहना कुछ और करना
कुछ और!
होनहार बिरवान के होत चीकने पात- होनहार के लक्षण पहले ही से दीख जाते हैं।

धन्यवाद !

No comments:

Post a Comment

thaks for visiting my website

एकांकी

Correspondence Course Examination Result - 2024

  Correspondence Course  Examination Result - 2024 Click 👇 here  RESULTS