Friday, December 27, 2019

हिन्दी में लिंग - एक अध्ययन


हिन्दी में लिंग - एक अध्ययन

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हिन्दी भाषा ज्ञान में सबसे जटिल प्रकरण है लिंग-विधान।
 दक्षिण भारतीय हिन्दी छात्र-छात्राओं हिन्दी प्रचारक, प्रचारिकाओं के लिए यह एक बढी चुनौती के रूप में खी है। द्रविड़ भाषाओं में अप्राणिवाचक शब्दों का
लिंग-विधान नहीं है। मगर हिन्दी में है।

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हिन्दी व्याकरण के लिंग प्रयोग की समस्या सर्वाधिक जटिल है। क्योंंकि हिन्दी में संता, विशेषण, क्रिया, वचन आदि के अनुसार सर्वत्र लिंग बदलता जाता है। जैसे खाना क्रिया में रोटी खायी जाती है चावल खाया
जाता है और फल खाए जाते है। इस प्रयोग वैभिन्न के पीछे कई तर्क logic नहीं है। कर्ता के अनुसार क्रिया का परिवर्तन संस्कृत. अंग्रेजी और भारतीय भाषाओं में प्रायः कहीं नहीं मिलता है। इसलिए निर्धारण का कोई फार्मूला , आजतक नहीं बन पाया है। केवल कुछ मोट-मोटे फार्मूले ही बने हैं जैसे - अ. इ. उ से समाप्त होनेवाले शब्द प्रायः पुल्लिंग होते है और आ. ई. ऊ से
समाप्त होनेवाले शब्द स्त्रीलिंग।

** किन्तु अपवाद भी बहुत है।
जैसे निम्नलिखित अकारान्त शब्द हिन्दी में स्त्रीलिंग है-बहन, सॉस. गाय, ऑख, रात, झील
धील, तलाक, जेल, चपत, जेब, लगान, लगाम, कलम, पुस्तक आदि। प्रचलन में रामायण शब्द स्त्रीलिंग है. मगर रामचरितमानस शब्द पुल्लिंग महाभारत पुल्लिंग है और उसी का एक भाग गीता स्त्रीलिंग।
इसी प्रकार 'साकेत महाकाव्य पुल्लिंग, मगर कामायनी स्त्रीलिंग है।
*आकारान्त शब्दों में कई शब्द पुल्लिंग भी हैं, जैसे-पिता, राजा, बेटा, लड़का, मामा, नाना, बाबा, दादा, चाचा, काका, भैया, दरोगा, घोडा, टीका, हीरा
टका, डंडा, माथा, भरोसा, दीवाना, बूढा, काला, खाना, पैसा, घडा, कीडा, बन्दा, जोडी, भेडिया, कौआ, चीता, खटोला, ताला आदि।
 बूढा उभय लिंगीय है।
* इकारांत शब्दों में अधिकतर स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे तिथि रीति.
नीति, सम्प्रति, अनुरक्ति, विपत्ति, भूमि. गति, अभिव्यक्ति, औषधि, भक्ति,
श्रुति, भारतीय, कृषि, कृति आदि।

* किन्तु कुछ  अकारांत शब्द पुल्लिंग भी है -
जैसे कवि, मुनि, ऋषि, कपि आदि। कवि का स्त्रीलिंग कवयित्री और ऋषि का स्त्रीलिंग ऋषिका । मुनि का स्त्रीलिंग शब्द प्रचलन में नहीं है कुछ का
मत है कि अविवाहित होते थे।

इसे विडंबना ही कहा जाएगा कि "व्यक्ति शब्द पुल्लिंग है जबकि अभिव्यक्ति स्त्रीलिंग है। ब्रह्म के अर्थ में विधि पुल्लिंग है और कानून तथा पद्धति के अर्थ में स्त्रीलिंग है।

'ई 'कारान्त शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं। जैसे घोड़ी, बेटी, लड़की, चींटी, कुमारी, कटोरी, नर्तकी, थाली, थाली. को गाली, अंगूठी आदि। कटोरा का पुल्लिंग कटोरी और थाली का पुल्लिंग थाल आकार में
पृथक होते हैं। इसके विपरीत कई अकारान्त पुल्लिंग शब्द भी पाए जाते हैं। ओशो-माली, भाई, पक्षी, साथी, हाथी, तपस्वी, पयोहारी, फलाहारी, प्रतिहारी इत्यादि।
इनका लिंग परिवर्तन किसी एक नियम के अनुसार नहीं किया जा सकता है। जैसे-क्रमशः मालिन, भाभी, पक्षिणी साथिन, हथिनी, तपस्विनी. प्रतिहारिणी इन पुल्लिंग शब्दों के स्त्रीलिंग रूप अंगूठी से अंगूठी, कोठी से कोठा, ताली से ताला, करके नहीं बना सकते। माल, थाल, गाल, आदि के अकारान्त शब्द भी भिन्नार्थक हो जायेंगे। उसी प्रकार कुटी स्त्रीलिंग है और कुटीर पुल्लिंग।

'उ'कारान्त शब्द प्रायः पुल्लिंग होते हैं. जैसे साधु, बन्धु, शत्रु, राहु, केतु, हेतु, काकू आदि। पर कुछ स्त्रीलिंग शब्द भी होते हैं जैसे-वस्त । वह ।
साधु से साध्वी, बन्धु से बान्धवी स्त्रीलिंग शब्द बनते है जबकि शत्रु उभयलिंगी शब्द है।

'उ' कारान्त शब्द प्रायः स्त्रीलिंग होते हैं- जैसे बहू तम्बाकू लू आदि पर काछ पुल्लिंग भी होते हैं जैसे डाकू चाक, भोपू, नाऊ, बालू, लहू आदि।

निष्कर्ष यह है कि अ, आ, इ, ई, उ, ऊ यानी बारह खड़ी के अनुसार लिंगों का स्वतंत्र और निरपवाद वर्गीकरण नहीं किया जा सकता। केवल प्रचलन के आधार पर ही उनका निर्णय किया जा सकता है। इस
प्रचलित लिंग - विभाजन के पीछे कोई तर्क कोई logic नहीं है।

सामान्यतया कहा जा सकता है कि बड़े आकार का पदार्थ पुल्लिंग है एवं छोटे आकार का पदार्थ स्त्रीलिंग। लेकिन बडे जीवों में भी नर-मादा होते। कुछ प्राणियों में केवल पोलिंग का ही प्रयोग चल रहा है जैसे-भेंडिया, चीता, उल्लू-सुवा, गेंडा, सारस, जिराफ, तेंदुआ, मच्छर आदि। इसके विपरीत लोमडी, चील, बतख, तितली, मक्खी, छिपकली आदि शब्दों के
पुल्लिंग शब्द नहीं बन पाये हैं।


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हिन्दी शब्दों के लिंग विधान को प्रायः इन प्रत्ययों द्वारा पहचाना जा सकता है। जैसे इनी, आती, इया. आइन और ती प्रत्यय से युक्त शब्द.स्त्रीलिंग होते हैं।
उदाहरणार्थ
1. इन - मालकिन, दुलहिन, नाइन, महराजिन, पड़ोसन।
2. इनी - सर्पिणी, सन्यासी, हथिनी, कलंकिनी, श्रावणी, दाहिनी,
तरंगिणी।
3. आनी - जवानी, सेठानी, नौकरानी, महारानी, जेठानी, देवरानी किन्तु इसके अपवाद भी हैं - यथा, सेनानी, ज्ञानी, शानी, मानी, दानी इनमें मानी का मानिनी स्त्रीलिंग शब्द भी प्रचलित है।
4. इया - गुड़िया, चुहिया, खोटिया, लुटिया. मचिया, भुजिया आदि।
5. आइन-ठकुराइन, जुलाहिन, सहुआइन पंडिताइन, चौधराइन आदि
6. नी- जाटिनी, ऊँटनी, मोरनी, आनाकानी, अगवानी, बिकनी, बागवानी आदि।
अपवाद है - पानी, पानी, अभिमानी, सेठानी
7. ती - युवती, रेवती, तख्ती, सुस्ती, मस्ती, फुर्ती, कुर्ती, सुर्ती, खेती, जूती, काली, धोती

इस प्रकार स्पष्ट है कि प्रयोग के आधार पर ही सही लिंग विधान किया जा सकता है, किसी निश्चित नियम के तहत नहीं। लिंग संबन्धी यह आम संस्कृत भाषा में भी विद्यमान रहा है। उदाहरणार्थ वहाँ नारी के लिए
प्रयुक्त तीन शब्द तीन प्रकार अलग अलग लिंगों के हैं। नारी शब्द स्त्रीलिंग है। जबकि दारा पुल्लिंग है, जबकि 'कलत्र शब्द नपुंसक लिंग है।

संस्कृत में देवता स्त्रीलिंग है तो आत्मा, ताना, अग्नि पुल्लिंग' है। पवन, शपथ, वायु, वय जैसे कुछ शब्द संदिग्ध हैं संस्कृत में कुछ लिंग शब्द अलग से गढे गये हैं। जैसे स्त्री सम्राट का स्त्रीलिंग शब्द साम्राज्ञी, साधु
का साध्वी, ऋषि का ऋषिका।

धन्यवाद !

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