संसार की भाषाओं का पारिवारिक वर्गीकरण :-
भाषाओं के पारिवारिक वर्गीकरण को वंशात्मक वर्गीकरण भी कहते हैं। इस वर्गीकरण में संसार की सभी भाषाओं को कुछ परिवारों में बाँटते हैं। जैसे एक माता-पिता की संतान और उनके वंशज एक परिवार के माने जाते हैं, इसी प्रकार एक भाषा से संबंधित उसकी बहन भाषाएँ और उनसे विकसित बोलियाँ एक परिवार की मानी जाती हैं।
एक परिवार की भाषाओं में शब्द समूह, व्याकरण और ध्वनि की समानता प्रधान हैं। इनमें ध्वनि की समानता का महत्व कम है, क्योंकि विकास के साथ-साथ ध्वनि परिवर्तन होते रहते हैं । व्याकरण की समानता एक हद तक स्थायी होती है, इसलिए विश्वसनीय है। इसलिए किन्हीं दो भाषाओं को एक परिवार में स्थान देने के लिए उनके व्याकरण का तुलनात्मक और ऐतिहासिक अध्ययन ज़रूरी है। शब्द-समूह की समानता का विवेचन गहराई
और विस्तार से किया जाता है। शो के रूप की तुलना में भाषा परिवार का निर्णय करना आसान होता है। निम्न निर्मित कुष्ठ मूल शब्दों का विशेष अध्ययन किया जाता है।
रिश्ते सूचक शब्द :- माता, पिता, भाई, कान, नाना.दीदी आदि
घरेलू वस्तुओं के नाम - पत्थर, पानी, आग, पहा आणि शरीर के अंगों के नाम:- आँख, हाथ, पैर, कान आदि सर्वनाम के शब्द- में, हम, तुम, आप, यह, वा वे आदि संख्यावाचक शब्द:-एक.भी.सीन आदि सामान्य क्रिया- उठना, बैठना, सोना, खाना आदि।
संसार की भाषाओं को परिवारों में बाँटते समय दो बातों पर ध्यान दिया जाता है-1 भाषिक समानता, 2 स्थानीय समीपता।
भाषिक समानता पाँच रूपों में देखी जाती है -
1.नि की समानता, 2.शब्दों की समानता, अर्थ की समानता, 4. रूप-रबना की समानता, 5. वाक्य रचना की समानता।
स्थानिक समानता - एक स्थान के आसपास की भाषाएं कुछ अपवादों को छोड़कर एक परिवार की ही भाषा हो सकती है। उपरोक्त बालों के आधार पर भाषा-वैज्ञानिकों ने विश्व की भाषाओं का अध्ययन करके उना कुछ परिवारों में बांटने का प्रयत्न किया है। विभिन्न विद्वानों ने विभिन्न दृष्टिकोणों के आधार पर पारिवारिक वर्गीकरण के चिभिन्न रूप को प्रस्तुत किया। अधिकतर विद्वान संसार की भाषाओं को 13 परिवारों में वीटने के पक्ष में हैं। ये परिवार निम्न है:-
1.भारोपीय परिवार, 2) इविल परिवार, 3) चीनी परिवार, 4) सेमेटिक-हेमेटिक परियार, 5) ककेशिपन परिवार, 6) पूरा-स्ट्राइक परिवार, 7) जापानी-कोरियायी परिवार, 8) बुशमैन परिवार 9) बाँटू परिवार, 10) मलप पालीनेशियन परियार, 11) आस्ट्रो-एशियाटिक परिवार, 12) सुहानी परिवार, 13) अमेरिकी परिवार।। .
1. भारोपीय परिवार-
क्षेत्र :- भारत से लेकर पूरोप तक की भाषाओं के कारण इसे भारोपीय परिवार कहते हैं। महत्व- होतं-फल की दृष्टि से यही साधने यता भाषा परिवार है। इसको भाषाएं विश्व के बहत बे भाग में बोली जाती है। भाषाओं और बोलियों की संख्या में भी यह परिचार प्रथम है। यह परिवार केन्तुम और शांतम नाम दो भागों में विभाजित किया गया है।
मुख्य भाषाएँ:- संस्कृत, पाली, प्राकृत, अवेस्ता, प्रीस, लैटिन आणि प्राचीन भाषाएँ हैं। फ्रेंच, रूसी, जर्मनी, फारसी आदि आधुनिक भाषाएँ है।
विशेषताएं :-यह परिवार शिलष्ट योगात्मक कहा जाता है।
2. द्रविड़ परिवार :
क्षेत्र - दक्षिण भारत, लंका, लाश दीप, मध्य प्रदेश, बलूचिस्तान आदिइस परियार का ले है।
भाषाएँ - तमिल, तेलुगु, कन्नड़, मलयालम सिंहल, तुल, और आदि ।
विशेषताएं :-इस परिवार की भाषाएँ अश्लिष्ट अंता योगात्मक हैं।
3. चीनी या एकाक्षरी परिवार :
क्षेत्र:- दीन धर्मा मिळत आदि इसके क्षेत्र है।
भाषाएँ - चीन की मंदारिन राष्ट्रभाषा और साहित्यिक भाषा है। तिब्बती, वर्मी, स्यामी आदि भाषाएँ हैं।
विशेषताएँ :- स्थान प्रधान या अर्यागात्मक स्थान के अनुसार वाक्य का अर्थ लिया जाता है। उपा-बोतनी-मैं मारता तुमको । नी त नो-तुम मारते ही मुझको ।
4.हेमेटिक-मेटिक परिवार :
भाषाएँ :- अादियन, बेविलोनियन, सीरियन, केनेटिक, फिजिशियन, दक्षिण पश्चिमी एशिया व अफ्रीका आणा, हिंदू मिस्री, अरथी।
विशेषताएं :- भाषाओं के शब्दों में स्वरों के विकार पाए जाते हैं।
5. काकेशियन परिवार:
क्षेत्र-कैस्पियन सागर और कृष्ण सागर के बीच का पहाड़ी क्षेत्र और आसपास का भूभाग। भाषाएँ :-ये, कवादियन, जार्जियन, मंग्रालियन आदि। विशेषताएं:- अश्लिष्ट योगात्मक।
6. पृराल-जल्टाइक परिवार:
लोध्र:- भारोपीय परिवार के बाद क्षेत्रफल में यह सबसे बड़ा परिवार है। तुर्की, सोवियत संघ हगेरी,
फिनलैंड आदि प्रमुख क्षेत्र हैं। भाषाएँ -बिराली:-फिनिश, इस्टोनियन हंगेरियन
अल्टाई :-तुर्की, मंगोलिया, किरगिज
विशेषताएँ:- श्लिष्ट योगात्मक
7.जापानी-कोरियाई परिवार : गोत्र:-जापान, कोरिया और आसपास के डीप।
भाषाएँ :-जापानी, कोरियाई आदि।
विशेषताएँ - अश्लिष्ट- योगात्मक।
৪.मलप- पालीनेशियन परिवार :-
क्षेत्र:- मेडागास्कर, न्यूजीलैंड, जाया, सुमित्रा, वाली, फारमोसा आदि।
भाषाएं:-न्यूजीलही, मलय, इंडोनेशिया, जवानी ।
9. आस्ट्रो- एशियाटिक परिवार :
क्षेत्र :- कंबोडिया, निकोबार, स्याम, बिहार, म्यांमार (बर्मा), बंगाल आदि । भाषाएँ -संताली. मुंडारी, भूमिज, बर्मी, मॉन आदि
शेषताएँ :- अश्लिष्ट योगात्मक।
10. बुशमन परियार :-
क्षेत्र - दक्षिण अफ्रीका से नगामी झील तक।
भाषाएँ:-औकये, होतं तोता
विशेषताएं:-सजीव-निर्जीव पर लिग आधारित ।
11. बांटू परिवार :
मंत्र:-मध्य आफ्रिका, जंजीवार द्वीप
भाषाएँ:- काफिर, जिला, कांगो। विशेषताएँ- अश्लिष्ट योगात्मक।
12. सूडान परिवार :
क्षेत्र:-आफ्रिका के उत्तर से पश्चिम तक। भाषाएँ - हौसा, इवे, वाटू
विशेषताएँ:- अयोगात्मक
13. अमेरिकी परिवार:
क्षेत्र :- अमेरिका, ग्रीनलैंड, आसपास के दीप, कनाडा । भाषाएँ:-अथबस्कन, एस्किमो, महुअल्ल
विशेषताएँ :- प्रशिष्ट योगात्मक (शब्दों के अंश मिलकर वाक्य बनते हैं) इस प्रकार संसार की भाषाओं को 13 परिवारों में बांटने का प्रयत्न किया गया है।
धन्यवाद
No comments:
Post a Comment
thaks for visiting my website