बारहवाँ अध्याय
एक ही शब्द भिन्न-भिन्न शब्दों के रूप में
व्यवहार की दृष्टि से विकारी तथा अविकारी सब शब्दों के आठ भेद किये गये हैं, जिनके अलग उपभेद आदि पिछले अध्यायों में दिये गये हैं। परन्तु बहुत से शब्द ऐसे हैं जो वाक्य में भिन्न-भिन्न रूपों में व्यवहत होते हैं। एक ही शब्द कहीं संज्ञा, कहीं विशेषण, कहीं सर्वनाम, कहीं अव्यय और कहीं क्रिया के समान व्यवहत होता है। उनके कुछ उदाहरण नीचे दिये जाते हैं
विशेषण का प्रयोग विशेष्य ( संज्ञा) के रूप में
पापियों को दंड देना चाहिए। (संज्ञा)
पापी आदमी सदा डरता है। (वि०)
दुष्टों के मनोरथ सिद्ध नहीं होते। (सं०)
दुष्ट आदमी सदा मौका ताकता है। (वि०)
बड़ों का कहना मानो (सं०)
बड़े आदमी नम्र होते हैं (वि०)
गरीब पुरुष पर सदा दया करनी चाहिये (वि०)
मोटे जल्दी हाँफ जाते हैं (सं०)
मोटे आदमी के लिए दौड़ना कठिन होता है। (विo)
भूखा कौन पाप नहीं करता? (सं० )
भूखे आदमी की नजर से बचना चाहिए । (विo)
गरीब की हाय किसको भस्म नहीं कर देती ! (संज्ञा)
संज्ञा का प्रयोग विशेषण के रूप में
तुम्हारे इस भागीरथ प्रयत्न का क्या फल होगा (विo)
भागीरथ अयोध्या के राजा थे। (सं०)
उनकी भीष्म प्रतीज्ञा कितने दिन चलेगी यह मैं खूब जानता हूँ। (वि०)
भीष्म अपनी कठोर प्रतिज्ञा के कारण अमर हो गये (सं०)
राम के राज्य को लोग आज याद करते हैं। (सं०)
वह अपने गौ-स्वभाव के कारण सब जगह धक्के खाता है। (वि०)
उस भीमकाय पुरुष को देखकर मैं डर गया। (वि०)
भीम ने अनेक राक्षसों को मारा था। (सं०)
वह हिन्दी साहित्य का स्वर्ण युग था। (वि०)
स्त्री और स्वर्ण ही दुनिया में झगड़े की जड़ हैं। (सं०)
गौ बड़ी सीधी सादी होती है। (सं०)
यह घाट श्रीमती यशोदादेवी ने अपने पतिदेव की पुण्य-स्मृति में बनवाया है। (वि०)
पाप क्या है और पुण्य क्या, यह निश्चय करना कठिन है। (विo)
आगे कुछ ऐसे शब्द दिये जाते हैं जो भिन्न-भिन्न शब्द-भेदों के रूप में प्रयुक्त होते हैं'-
वह-वह कल देहली जायेगा। (सर्वनाम)
यह पुस्तक कौन लाया है। (विशेषण)
यह-यह किसका बालक है? (विशेषण)
यह काम और कठिन है? (विशेषण)
लीजिए महाराज! यह मैं चला। (क्रिया-विशेषण)
कोई-बड़ा पद मिलने से कोई बड़ा नहीं होता। (सर्वनाम)
इस मर्ज की कोई दवा नहीं है। (विशेषण)
इसमें कोई 400 पृष्ठ होंगे। (क्रिया-विशेषण)
कुछ-उसके मन में कुछ है यह मैं उसे देखते ही भाँप गया। (सर्वनाम)
मैं कुछ दिन यहाँ और रहूंगा। (विशेषण)
उसका बुखार कुछ घटा कि नहीं? (क्रिया-विशेषण)
छापे की भूलें कुछ प्रेस की असावधानी से और कुछ}
लेखकों के प्रमाद से होती हैं। } (समुच्चयबोधक)
जो-जिसने कभी पुस्तक को हाथ नहीं लगाया.. (सर्वनाम)
जो पुस्तक तुम चाहते हो, वह ले जाओ। (विशेषण)
जो आप इस बार फेल हो गये तो....... (समुच्चयबोधक)
कौन-यह कौन है जो मेरे आंचल को नहीं छोड़ता। (सर्वनाम)
कौन पुस्तक कहाँ है यह मैं नहीं जानता। (विशेषण)
क्या-उसने क्या कहा? (सर्वनाम)
क्या-क्या चीजें लाई जाएँ? (विशेषण)
तुम उससे क्या लड़ोगे? (क्रिया-विशेषण)
क्या वह और क्या तुम मैं दोनों का नाश कर दूँगा। (समुच्चयबोधक)
क्या! वह बिना बताये चला गया। (विस्मयादिबोधक)
अच्छा-अच्छों को सभी प्यार करते हैं। (संज्ञा)
मुन्नी अच्छी लड़की है। (विशेषण)
यह अच्छा गाती है। (क्रिया-विशेषण)
अच्छा, तुम जाओ। (विस्मयादिबोधक)
सब-वह जुए में सब गँवा बैठा। (संज्ञा)
सब चले गए, कोई न रहा। (सर्वनाम)
सब आदमियों से कह दो कि आज चलना होगा। (विशेषण)
यहाँ सब ठीक है। (क्रिया-विशेषण)
एक-यहाँ एक भी नहीं रहा। (सर्वनाम)
एक दिन ऐसा होयगा कोउ काहू का नाहिं । (विशेषण)
दोनों-दोनों को यहाँ भेज दो। (सर्वनाम)
दोनों पुस्तकें मेरी लिखी हैं। (विशेषण)
और-मैं और आम लूँगा। (विशेषण)
औरों की बात छोड़ो, तुम अपनी कहो। (सर्वनाम)
लकीर और सीधी करो। (क्रिया-विशेषण)
राम और श्याम दोनों ही चले गये। (समुच्चयबोधक)
बहुत-बहुतों का कहना है कि वह निर्दोष था । (संज्ञा)
बहुत आदमी कहते थे... (विशेषण)
मैंने उसे बहुत समझाया। (क्रिया-विशेषण)
पीछे-मैं पीछे न रहूँगा। (क्रिया-विशेषण)
मैं तुमसे पीछे न रहूँगा। (सम्बन्ध-बोधक)
इतने में पीछे का आदमी बोला। (विशेषण)
हाय! हाय इन दुष्टों से कैसे छुटकारा मिलेगा। (विस्मयादिबोधक)
हाय-हाय क्यों मचा रखी है? (संज्ञा)
वाह-वाह-आज उसने खूब वाह-वाह लूटी। (संज्ञा)
वाह ! वाह ! क्या गज़ब खेलता है! (विस्मयादिबोधक)
पत्थर-पत्थर न मारो ! (संज्ञा)
तुम मेरी मदद पत्थर करोगे? (क्रिया-विशेषण)
इसी प्रकार और भी अनेक उदाहरण दिये जा सकते हैं।
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