Monday, January 25, 2021

कुछ संवाद/Some Hindi conversations









 

                                                                      कुछ संवाद

                                                   बस स्टैण्ड में

       राजा  : क्षमा कीजिए।'बस स्टैण्ड' किस तरफ है।

       पथिक : आप सीधे जाइये। पहले दाहिनी तरफ मुड़िये। फिर बाई तरफ मुड़िये।

       सीता : बहुत धूप है। रिक्शे में चलो ना।

       राजा : ऐ रिक्शेवाले। इधर आओ।

       रिक्शावाला : कहाँ जाना है साब?

       राजा : संगीत लाइज जाना है। कितना लोगे?

       रिक्शावाला : पाँच रुपये दीजिए।

      राजा : यह तो बहुत ज्यादा है। पिछली बार मैंने दो रुपये दिये धे।

      रिक्शावाला : वह जमाना चला गया साब । बहुत दूर जाना है। 

                        महँगाई तो आप जानते हैं ही।

        राजा : ठीक है, ठीक है। तीन रुपये ली।

        रिक्शावाला : साढ़े तीन तो दीजिए।

        राजा : हां, हां। चलो।

         

                                                               लाइज में


          मैनेजर श्याम: आपका स्वागत है। आपकी क्या सेवा मैं कर?

          राजा : जी, हमें एक 'डबल रूम' चाहिए। फेमिली रूम चाहिए।

          श्याम : कितने दिन ठहरेंगे?

          राजा : हम तीन दिन ठहरेंगे।

          श्याम : आधे घण्टे के बाद आपको कमरा मिलेगा।

           राजा : ठीक है। किराया कितना है?

           श्याम एक दिन के लिए रु० 75/- देने होंगे।

           राजा : ठीक है। हमें मंजूर है। यहाँ खाने के लिए कुछ व्यवस्था है।

           श्याम : लाज के कई चपरासी हैं। आपको जो चाहिए, वें लाकर दे देंगे। 

                     अगल-बगल में कई भोजनालय हैं।

           राजा: यहाँ हम अपना सामान छोड़ जाते हैं। खाना खाकर पन्द्रह मिनट में लौटेंगे। 

                    सीता चलो।


                                                           भोजनालय में


        राजा : क्या यहाँ शाकाहारी और मांसाहारी भोजन दोनों मिलते हैं?

        मुत्तु सर्वर : जी, यहाँ सिर्फ शाकाहारी भोजन मिलता है।

        राजा  : बताओ। गरम-गरम क्या मिलेगा।

        मुत्तु सर्वर : इइली. दोसा, पूरी-साग, चपाती।

        राजा : तुम क्या लोगो, बता।

        सीता : मैं कुछ नहीं लँगी।

        राजा : क्यों? क्या बात है?

        सीता : पेट-दर्द है।

        राजा : सुबह मुझे सिर-दर्द था।

        सीता : कल तो तुम्हें जुकाम और ज्वर था।

        राजा : बहुत थकी हो। कुछ हल्का ले लो ताकि हजम जल्दी हो सके।

        सीता : मैं इड्ली लूँगी।

        राजा : मैं भोजन कर लूँगा। थाली कितना है?

        मुत्तु : आठ रुपये हैं।

        राजा : क्या-क्या मिलेगा?

        मुत्तु : रोटियाँ, चावल, दाल, सब्जी, दही, पापड़, अचार ।

        राजा : ठीक है, मेरे लिए थाली परसो इनके लिए दो इड्ली लाओ। 

                  पहले पानी पिलाओ।

        मुत्तु  : ठीक है साब।


                                                                   लाड्ज में


     मैनेजर : आइये। आपके लिए कमरा तैयार है। यहाँ अपना नाम, पता आदि भरिए 

                  और हस्ताक्षर कीजिए।

     राजा    : धन्यवाद।

     मैनेजर : आपको अग्रिम देना होगा।

     राजा    : यह लीजिए, एक सौ रुपये।

     मैनेजर : आपको तीनों दिनों का किराया 'एडवान्स' के रूप में देना होगा।

    राजा     : ठीक है, लीजिए ये रुपये।

    मैनेजर : धन्यवाद। जोसफ! इनको कमरा नं० 10 दिखाओ।

    जोसफ : 'यस सर'। आइये।

    जोसफ  : यह है कमरा।

    राजा    : सभी खिड़कियाँ खोल दो। क्या यहाँ नल में पानी चौबीसों घण्टे आएगा।

    जोसफ : जी हाँ। गरम पानी भी मिलेगा।

    राजा   : ठीक है, अब तुम जाओ। यह लो एक रुपया।

                        दूसरे दिन

   राजा     : मैनेजर साहब। हमें शहर देखना है। यहाँ कुछ प्रबन्ध है।

   मैनेजर   : देखिए, पास ही सैकड़ों टूरिस्ट बो मिलती हैं। कहाँ जाकर पूछताछ कीजिए।

                    एक ही दिन में पूरा शहर घुमा लायेंगे।

  राजा     : धन्यवाद । सीता। अब चलो।

  सीता     : क्या तुमने कमरे का ताला ठीक तरह से लगाया ?

  राजा     : क्यों नहीं। चाभी मेरे पर्स में है। अच्छा, मैनेजर साहब। 

              यहाँ देखने लायक स्थान क्या क्या है?

   मैनेजर : देवी मन्दिर, अणायन घर, चिड़ियाखाना, विश्वविद्यालय, गाँधी स्मारक, 

               पुराना किला, नया बाजार आदि देखने लायक हैं।

    राजा  : धन्यवाद।

    मैनेजर : कोई बात नहीं।


                                                               सचिवालय में

     राजा : क्या सचिव जी अन्दर हैं?

     चपरासी : नहीं, वे तो दौरे पर गये हैं। अवर सचिव हैं।

     राजा     ; मैं उनसे मिलना चाहता हूँ। यह मेरा परिचय-पत्र है।

    चपरासी : ठहरिए। मैं साब को यह पत्र देकर आता हूँ। जी, आपको बुला रहे हैं। 

     राजा     : जी, मैं इलेक्ट्रानिक इन्जीनियर हूँ। मैं इलेक्ट्रानिक साधनों के लिए आवश्यक 

                   कुछ पुर्जे बनाने का कारखाना खोलना चाहता हूँ। उसके लिए मैंने सरकारी

                 अनुमति पत्र और निष्काशी-पत्र पाने के लिए आवेदन पत्र भेजा था। पांच महीने हो गये हैं।

    अवर सचिव : अच्छा, अभी आपका मिसिल मंगा कर देखता हूँ। रहीम, अनुभाग अधिकारी

                        श्री दुरै को भेजो। (दुरै से) ये इलेक्ट्रॉनिक अभियन्ता राजा हैं। इनके प्रस्तावित कारखाने से                                   सम्बन्धित मिसिल लाइये।  इनके विवरण इस कागज में हैं।

         दुरै : ठीक है साहब। (जाते हैं)

         दुरै : (चपरासी से) लिपिक रामनाधन से कहो कि ऐटम इलेक्ट्रॉनिक से सम्बन्धित मिसिल लावें।

         दुरै : (अवर सचिव से) यह लीजिये मिसिल।

       अवर सचिव : (राजा से) क्या आपने कारखाने के लिए जमीन खरीदी है?

       राजा : जी हाँ।

      अवर सचिव : क्या आपने आवश्यक यन्त्र गाये है?

       राजा : जी हो। ये देखिए डॉक्पूमेण्ट्स'।

     अवर सचिव  : देखिए, आप इनकी नकल दे दीजिए 'लाइसेन्स' देने के सम्बन्ध में

                           जाँच-पड़ताल हो चुकी है।सचिव के लौटते ही आपके कागजात भेज दिये जायेंगे।

     राजा :  तो क्या, एक हफ्ते में मिलेगा। 

     अवर सचिव  : हो जाएगा।

     राजा  : धन्यवाद।


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