Wednesday, February 3, 2021

तीसरा अध्याय वाक्य-रचना /3.प्रयोग / (ग) उच्चारण का कुछ-कुछ साम्य पर अर्थों की भिन्नता

 

                                       3.प्रयोग

              (ग) उच्चारण का कुछ-कुछ साम्य पर अर्थों की भिन्नता

          यहाँ कुछ ऐसे शब्द भी देने आवश्यक हैं जिनका रूप और उच्चारण बहुत कुछ मिलता-सा है, पर अर्थों में बड़ा भेद है। जैसे

      अपेक्षा-सीता की अपेक्षा (बनिस्बत) सुशीला अधिक सुन्दर है। 

      उपेक्षा- उनका उपेक्षा (तिरस्कार) भाव देख कर मैं वहाँ से चला आया।

      आकाश-आकाश (आसमान) की ओर देख।

      अवकाश-मुझे अवकाश (फुरसत) नहीं है।

      ओर-देखो, उस ओर कितनी लाली है।

      और-तुम और हम आज हरिद्वार जायेंगे।

      उधार-पाँच रुपये उधार दे दो।

      उद्धार-भगवान पतितों का उद्धार करने वाले हैं।

     कुल-रामचन्द्रजी रघुकुल के दीपक थे।

     कूल-गंगा के कुल (किनारे) पर बने बंगले में दिन बिताएँगे। 

     कोर-वस्त्र का कोर (किनारा) भी नहीं भीगा।

     कार-बैठो, दो-तीन कौर (ग्रास) खा लो। 

     क्रम-पंक्ति में क्रमवार (सिलसिले से) बैठो।

     कर्म-अपने कर्म (काम) ही बन्धन में बाँधते हैं। 

     तरणि-मध्याह-कालीन तरणि (सूर्य) के प्रखर करों से पृथ्वी तप रही थी।

     तरणी-प्रभु! जीवन-तरणी (नौका) पार लगा दो। 

     तरुणी-सुन्दरी तरुणी (स्त्री) के कोमल कण्ठ से निकला गान किसको नहीं

             लुभाता?

     द्वीप-लंका द्वीप (टापू) में रावण राज्य करता था।

     दीप-उसका जीवन-दीप (दिया) बुझ गया।

     पढ़ना- मैं किताब पढ़ रहा हूँ।

     पड़ना-मुझे घर जाना पड़ रहा है। 

     पराभव-कौरवों के पराभाव (हार) का मुख्य कारण कृष्ण का पांडवों के पक्ष में होना था।

     प्रभाव- तुम पर भी उनका प्रभाव पड़ा दीखता है।

     परुष-परुष (कठोर) वचन किसको नहीं बांधते ? 

     पुरुष-प्रत्येक पुरुष (मनुष्य) को सच बोलना चाहिए।

     परिमाण-इस वस्तु का कुल कितना परिमाण (तोल) है?

     प्रमाण-इस बात का क्या प्रमाण (सबूत) है?

     परिणाम-आज परीक्षा का परिणाम (नतीजा) निकलेगा ।

     प्रणाम-मैं आपको प्रणाम (नमस्कार) करता हूँ। 

     पानी-रूखी-सूखी खाय के ठंडा पानी (जल) पी ।

    पाणि-पाणि (हाथ) पसार नाथ यह माँगउँ। 

     प्रसाद-गुरु के प्रसाद (कृपा) से इतनी विद्या पा सका हूँ।

    प्रासाद- राज प्रासाद (महल) की शोभा अवर्णनीय है। 

    लोटना-आइये, इस गदेले पर लोटिये।

    लौटना- आप सब वापिस लौटेंगे। 

    बिना-नाथ! तुम्हारे बिना कैसे रह सकूँगी?

    वीणा-वीणा की झंकार बड़ी मीठी होती है। 

    व्यसन-तुम्हें सिनेमा का व्यसन (चसका) पड़ गया है।

    वसन-सुन्दरी के शुभ्र वसन (कपड़े) उसकी मोहकता को बढ़ा रहे थे।

    विजन-विजन (मनुष्य-रहित) देश है, निशा शेष है। 

    व्यजन-व्यजन (पंखे) की मन्द पवन से उसे होश आ गया।

    समान-तुम्हारे समान (बराबर) झूठा मैंने कोई नहीं देखा। 

    सामान-वह अपना सब सामान लेकर चंपत हुआ।

     सम्मान-अतिथि का सम्मान (आदर) करना मनुष्य का धर्म है। 

    सुत-पवन-सुत (पुत्र) हनुमान अपनी आदर्श भक्ति के कारण अमर हैं। 

    सूत-कर्ण सूत (सारथी) का पुत्र था। तुम्हारा सूत (तागा) बड़ा कच्चा है।


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एकांकी

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