चौथा अध्याय
वाक्य-संकोचन और वाक्य विस्तार
पिछले अध्याय में वाक्य-रचना के नियम दिये जा चुके हैं। वाक्य में प्रयुक्त शब्दों का क्रम किस प्रकार रखना चाहिए, उनके मेल के क्या नियम है. इन सब का विवेचन किया गया है तथा उपयुक्त शब्द चुनने के लिए सामग्री उपस्थित की गई। इस अध्याय में वाक्य संकोचन और वाक्य-विस्तार पर प्रकाश डाला जायेगा।
लिखने में कभी तो थोड़े से शब्दों में ही आशय का प्रकट करना उचित प्रतीत होता है और कभी थोड़े से विचार को फैलाकर लिखना ठीक जैचता है। किस लेखन-विधि का प्रयोग कहाँ प्रयुक्त होता है-कहाँ वाक्य-संकोचन होना चाहिए और कहाँ वाक्य-विस्तार-इसका ठीक-ठीक ज्ञान तो निरन्तर अभ्यास से ही हो सकता है, पर यहाँ कुछ ऐसे नियम दिये जाते हैं जो वाक्य संकोचन और वाक्य विस्तार में सहायक होते हैं।
1. वाक्य संकोचन
दो या दो से अधिक शब्दों के स्थान में बिना भाव और अर्थ के बदले एक या थोड़े शब्दों का प्रयोग वाक्य-संकोचन कहलाता है। यह संकोचन मुख्यत: दो प्रकार से किया जाता है
(क) मिश्रित तथा संयुक्त को सरल वाक्यों में परिवर्तित करने से।
यथा विद्यार्थी उसी अध्यापक से डरते हैं जो खूब मारता है। (मिश्रित)
खूब मारने वाले अध्यापक से ही विद्यार्थी डरते हैं। (सरल)
वह पुस्तक, जो पुरस्कार में प्राप्त हुई थी, भला मैं कैसे दे सकता था? (मिश्रित)
पुरस्कार में प्राप्त पुस्तक भला में कैसे दे सकता था? (सरल)
नियम यह है कि जो 6 बजे शाम के बाद घूमने निकलेगा
यह पकड़ा जायेगा। (मिश्रित)
नियमानुसार शाम 6 बजे के बाद घूमने वाला पकड़ा जायेगा। (सरल)
जब तक उसे मजबूर न किया जायेगा, वह नहीं देगा। (मिश्रित)
वह मजबूर किया जाने पर ही देगा (सरल)
ऐसे कुछ शब्द यहाँ दिये जाते हैं, साथ ही उनका प्रयोग भी दिखाया जाता (संयुक्त)
ऐसे कुछ शब्द प्रयोग-सहित यहाँ दिये जाते हैं। (सरल)
उसने अपना कार्य समाप्त किया और घर को चल दिया। (संयुक्त)
अपना कार्य समाप्त कर वह घर को चल दिया। (सरल)
वह अकेला था तब भी उसने राक्षस के साथ खूब युद्ध किया। (संयुक्त)
अकेला होते हुए भी उसने राक्षस के साथ युद्ध किया। (सरल)
उसने अकेले ही राक्षस के साथ खूब युद्ध किया। (सरल)
भेड़िया बहुत खाँसा-खखारा, परन्तु उसके गले से हड्डी न निकली। (संयुक्त)
बहुत खाँसने-खखारने पर भी भेड़िये के गले से हड्डी न निकली। (सरल)
उसके पास धन न था, उसने खर्च भी न किया, तब भी वह चुनाव में जीत गया,
क्योंकि वह ईमानदार था। (संयुक्त)
निर्धन होने पर भी और धन न खर्च करने पर ईमानदार उम्मीदवार होने
के कारण वह चुनाव में जीत गया। (सरल)
Food Processors. Many Tasks one Master.
(ख) दो शब्दों या शब्द-समूहों के स्थान पर उपसर्गों या प्रत्ययों के योग से बने
हुए शब्दों अथवा समस्त शब्दों के प्रयोग से। जैसे -
मैं जब तक जीऊँगी तब तक तुम्हारा उपकार मानूँगी।
मैं आजीवन तुम्हारा उपकार मानूँगी।
जिसके पास धन है वह व्यक्ति सदा सुखी रहता है।
धनी सदा सुखी रहता है।
शब्द-समूहों के स्थान पर प्रयुक्त होने वाले ऐसे कुछ शब्द नीचे दिये जा रहे हैं--
ग्राम में रहने वाला ग्रामवासी, ग्रामीण
नगर में रहने वाला नागरिक, नगरनिवासी
जब तक जीवन है तब तक आजीवन, जीवनपर्यन्त
जिसमें दया हो दयालु
जो अच्छे आचरण वाला हो सदाचारी
जो दान दिया करता हो दानी
जो दूर की बात सोचता हो दूरदर्शी
जो अनुकरण के योग्य हो अनुकरणीय
जिसकी तुलना न हो सके अतुलनीय
जिसके पास धन हो धनी
जिसके पास धन न हो निर्धन
जिसे लज्जा न हो निर्लज्ज
जिसका आदि न हो अनादि
जिसका अन्त न हो अनन्त
जिसका पार न हो अपार
जिसे कोई काम न हो निकम्मा
हर रोज का रोजाना
प्रतिदिन का दैनिक
प्रति सप्ताह का साप्ताहिक
प्रति मास का मासिक
प्रति वर्ष का वार्षिक
जो केवल फल खाता हो फलाहारी
जो केवल दूध पीता हो दुग्धाहारी
जिसमें धर्मभाव हो धार्मिक
ईश्वर को न माने नास्तिक
बहुत से रूप धारण करने वाला बहुरूपिया
जो व्याकरण अच्छी तरह जानता हो वैयाकरण
जो सब कुछ जानता हो सर्वज्ञ
जिसे किसी बात के जानने की इच्छा हो जिज्ञासु
जिसे मुक्ति पाने की इच्छा हो मुमुक्षु
जो दिखाई न दे अदृश्य
जो काम करना आसान हो सुकर
जिसकी चार भुजाएँ हों चतुर्भुज
जिसके चार पैर हों चौपाया, चतुष्पाद
शक्ति के अनुसार यथाशक्ति
जो राजा का बेटा हो राजपुत्र
जो अपनी हत्या स्वयं करे आत्मघाती
हर एक बात को सहन करने का } सहिष्णु
जिसका स्वभाव हो }
जो रसोई बनाता हो रसोइया
जो सोने की चीजें बनाता हो सुनार
जिस पर्वत से अग्नि की ज्वाला } ज्वालामुखी
निकलती हो। }
2. वाक्य-विस्तार
एक शब्द अथवा थोड़े शब्द द्वारा प्रकाशित अर्थ को बहुत शब्दों में प्रकट करने को वाक्य-विस्तार कहते हैं। वाक्य-विस्तार की विधि वाक्य-संकोचन के सर्वथा विपरीत है। वाक्य-संकोचन में जहाँ संयुक्त तथा मिश्रित वाक्यों को सरल वाक्यों में परिवर्तित किया जाता है तथा समस्त शब्द अथवा उपसर्गों और प्रत्ययों से बने शब्दों से काम लिया जाता है, वहाँ वाक्य-विस्तार सरल वाक्यों को मिश्रित तथा संयुक्त रूप देने से एवं उपसर्गों और प्रत्ययों से बने शब्दों के स्थान पर शालत -समूहों के प्रयोग से होता। जैसे-
(क) सरल वाक्य को संयुक्त और मिश्रित वाक्य में बदलना ----
वह और उसका भाई देहली गये हैं। (सरल)
वह देहली गया साथ ही उसका भाई भी गया है। (संयुक्त)
(ख) समास का विग्रह कर देना या उपसर्ग और प्रत्यय का अर्थ खोल देना
राजा निर्जन वन में एक गौरवर्ण कृशाङ्गी चन्दमुखी षोडषी को देख कर
आश्चर्य-चकित हो गया।
राजा ने निर्जन वन में सोलह वर्ष की युवती को देखा, जिसका रंग गोरा था,
जिसका शरीर कृश था, जिसका मुख चन्द्रमा के समान था और
वह आश्चर्य चकित हो गया।
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