Muhavare
हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे,
उनके अर्थ और प्रयोग ।
(ट - ठ - ड - ढ )
(ट)
363. टका–सा जवाब देना–(साफ़ इनकार कर देना)
अटल जी ने अमेरिका को टका–सा जवाब दे दिया कि भारतीय सेना इराक नहीं जाएगी।
364. टाट उलटना–(दिवाला निकलना)
चाँदी की कीमत में एकाएक गिरावट आने से उसे भारी घाटा उठाना पड़ा और अन्तत: उसकी टाट ही उलट गई।
365. टिप्पस लगाना–(सिफारिश करवाना)
आजकल मामूली काम के लिए मन्त्रियों से टिप्पस लगवाए जाते हैं।
365. टूट पड़ना–(आक्रमण करना)
भारत की सेना पाकिस्तानी सेना पर टूट पड़ी और उसका विनाश कर दिया।
365. टेढ़ी खीर–(कठिन काम या बात)
हिमालय के शिखर पर चढ़ना टेढ़ी खीर है।
368. टोपी उछालना–(बेइज्जती करना)
तुमने अपने पिता की टोपी उछालने में कोई कमी नहीं की है।
369. टाँग अड़ाना–(व्यवधान डालना)
बहुत से लोगों को दूसरों के काम में टाँग अड़ाने की बुरी आदत होती है।
370. टाँय–टाँय फिस होना–(काम बिगड़ जाना)
व्यावहारिक बुद्धि के अभाव से मुहम्मद तुगलक की सारी योजनाएँ टाँय–टाँय फिस हो गईं।
371. ठण्डे कलेजे से–(शान्त होकर/शान्त भाव से)
जनाब एक बार ठण्डे कलेजे से फिर सोच लीजिएगा, हमारी बात बन सकती
372. दूंठ होना–(निष्प्राण होना).
अब तो उसका समस्त परिवार दूंठ होने पर आया है।
373. ठन–ठन गोपाल–(पैसा पास न होना)
अधिक खर्च करने वालों की हालत यह होती है कि महीने के अन्त में ठन–ठन गोपाल हो जाते हैं।
374. ठौर–ठिकाने लगना–(आश्रय मिलना)
अजनबी को किसी भी शहर में जल्दी से ठौर–ठिकाना नहीं मिलता।
375. ठीकरा फोड़ना–(दोष लगाना)
राजनीतिक दल नाकामी का ठीकरा एक–दूसरे के सिर पर फोड़ते रहते हैं।
(ड)
376. डंक मारना–(घोर कष्ट देना)
वह मित्र सच्चा मित्र कभी नहीं हो सकता, जो अपने मित्र को डंक मारता हो।
377. डंड पेलना–(निश्चिन्ततापूर्वक जीवनयापन करना)
बाप लाखों की सम्पत्ति छोड़ गए हैं, बेटा राम डंड पेल रहे हैं।
378. डाली देना–(अधिकारियों को प्रसन्न रखने के लिए कुछ भेंट देना)
घुसपैठिए अधिकारियों को डाली देकर ही सीमा पार कर सकते हैं।
379. डींग मारना–(अनावश्यक बातें कहना)
काम करने वाला व्यक्ति डींग नहीं मारता।
380. डूबना–उतराना–(संशय में रहना)
अपने कमरे में अकेली पड़ी मानसी रात–भर गहरे सोच–विचार में डूबती–उतराती रही।
381. डंका बजना–(ख्याति होना)
सचिन तेन्दुलकर का डंका दुनिया में बज रहा है
382. डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाना–(बहुमत से अलग रहना)
राजेश सदा अपनी डेढ़ चावल की खिचड़ी पकाता है।
383. डाढ़ी पेट में होना–(छोटी उम्र में ही बहुत ज्ञान होना)
आवेश के पेट में तो डाढ़ी है।
384. डेढ़ बीता कलेजा करना–(अत्यधिक साहस दिखाना)
सेना के जवान युद्ध क्षेत्र में डेढ़ बीता कलेजा करके जाते हैं।
385. ढंग पर चढ़ना–(प्रभाव या वश में करना)
प्रभात ने सुरेश को ऐसे चक्रव्यूह में फँसाया कि उसे ढंग पर चढ़ा दिया।
386. ढोंग रचना–(किसी को मूर्ख बनाने के लिए पाखण्ड करना)।
चतुर लोग अपना काम निकालने के लिए कई प्रकार के ढोंग रच लेते हैं।
387. ढिंढोरा पीटना–(प्रचार करना)
तुम्हें कोई बात बताना ठीक नहीं, तुम तो उसका ढिंढोरा पीट दोगे।
388. ढाई दिन की बादशाहत–(थोड़े समय के लिए पूर्ण अधिकार
मिलना) जहाँदारशाह की तो ढाई दिन की बादशाहत रही थी।
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