Wednesday, April 21, 2021

Muhavare हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे, उनके अर्थ और प्रयोग । (त - थ - द - ध - न )

 

Muhavare  
हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे,   
उनके अर्थ और प्रयोग ।
 (त - थ - द - ध - न )


(त)

389. तंग आ जाना–(परेशान हो जाना)
उनकी रोज़–रोज़ की किलकिल से तो मैं तंग आ गया हूँ।

390. तकदीर का खेल–(भाग्य में लिखी हई बात)
अमीरी–गरीबी, यह सब तकदीर का खेल है।

391. तबलची होना–(सहायक के रूप में होना)
चाटुकार और स्वार्थी कर्मचारी अपने अधिकारी के तबलची बनकर रहते

392. ताक पर रखना–(व्यर्थ समझकर दूर हटाना)
परीक्षा अब समीप है और तुमने अपनी सारी पढ़ाई ताक पर रख दी।

393. तीसमार खाँ बनना–(अपने को शूरवीर समझ बैठना)
गोपी अपने को तीसमार खाँ समझता था और जब गाँव में चोर आए, तो वह घर से बाहर नहीं निकला।

394. तिल का ताड़ बनाना–(किसी बात को बढ़ा–चढ़ाकर कहना)
सुरेश हमेशा हर बात का तिल का ताड़ बनाया करता है।

395. तार–तार होना–(पूरी तरह फट जाना)
तुम्हारी कमीज तार–तार हो गई है, अब तो इसे पहनना छोड़ दो।

396. तेली का बैल–(हर समय काम में लगे रहना)
अनिल तो तेली के बैल की तरह काम करता रहता है।

397. तुर्की–ब–तुर्की बोलना–(जैसे को तैसा)
मैं आपसे शिष्टतापूर्वक बोल रहा हूँ, यदि आप और गलत बोले तो मैं तुर्की– ब–तुर्की बोलूँगा।

398. तीन–तेरह करना–(पृथक्ता की बात करना)
पाकिस्तान में ही अलगाववादी नेता पाकिस्तान को तीन तेरह करने की बात करते हैं।

399. तीन–पाँच करना–(टाल–मटोल करना)
आप मुझसे तीन–पाँच मत कीजिए, जाकर प्रधानाचार्य से मिलिए।

400. तालू से जीभ न लगना–(बोलते रहना)
शीला की तो तालू से जीभ ही नहीं लगती हर समय बोलती ही रहती है।

401. तूती बोलना–(रौब जमाना)
मायावती की बसपा में तूती बोलती है।

402. तेल की कचौड़ियों पर गवाही देना–(सस्ते में काम करना)
सुनील ने लालाजी से कहा कि आप अधिक पैसे भी नहीं देना चाहते और खरा काम चाहते हैं। भला तेल की कचौड़ियों पर कौन गवाही देगा।

403. तालू में दाँत जमना–(विपत्ति या बुरा समय आना)
पहले मुकेश की नौकरी छूट गई फिर बीबी–बच्चे बीमार हो गए। लगता है उनके तालू में दाँत जम गए हैं।

404. तेवर चढ़ना–(गुस्सा होना)
अपने पिताजी का अपमान होते देखकर राजीव के तेवर चढ़ गए थे।

405. तारे गिनना–(रात को नींद न आना)
रघु, राजीव की प्रतीक्षा में रात–भर तारे गिनता रहा।

406. तलवे चाटना–(खुशामद करना)
चुनाव की घोषणा होते ही चन्दा पाने के लिए राजनीतिक दल के नेता पूँजीपतियों के तलवे चाटने लगते हैं।

(थ)

407. थाली का बैंगन–(ढुलमुल विचारों वाला/सिद्धान्तहीन व्यक्ति)
सूरज थाली का बैंगन है, उससे हमेशा बचकर रहना।

408. थुड़ी–थुड़ी होना–(बदनामी होना)
शेरसिंह के दुराचार के कारण पूरे गाँव में उसकी थुड़ी–थुड़ी हो गई।

409. थैली का मुँह खोलना–(खुले दिल से व्यय करना)
बेटी के विवाह में सुलेखा ने थैली का मुँह खोल दिया था।

410. थूककर चाटना–(कही हुई बात से मुकर जाना)।
कल्याण सिंह ने थूककर चाट लिया और भाजपा में पुनः प्रवेश कर लिया।

411. थाह लेना–(किसी गुप्त बात का भेद जानना)
शर्मा जी की थाह लेना आसान नहीं है, वे बहुत गहरे इनसान हैं।

(द)

412. दंग रह जाना–(अत्यधिक चकित रह जाना)
अन्त में अर्जुन और कर्ण का भीषण युद्ध हुआ, दोनों का युद्ध देखकर सारे। लोग दंग रह गए।

413. दाँतों तले उँगली दबाना–(आश्चर्यचकित होना)
शिवाजी की वीरता देखकर औरंगजेब ने दाँतों तले उँगली दबा ली।

414. दाल में काला होना–(संदेह होना)
राम और श्याम को एकान्त में देखकर मैंने समझ लिया कि दाल में। काला है।

415. दुम दबाकर भागना/भाग जाना/भाग खड़े होना–(चुपचाप भाग
जाना) घर में तीसमार खाँ बनता है और बाहर कमज़ोर को देखकर भी दुम दबाकर भाग जाता है।

416. दूध का दूध और पानी का पानी–(पूर्ण न्याय करना)
आजकल न्यायालयों में दूध का दूध और पानी का पानी नहीं हो पाता है।

417. दो नावों पर सवार होना–(दुविधापूर्ण स्थिति में होना या खतरे में
डालना) श्यामलाल नौकरी करने के साथ–साथ यूनिवर्सिटी की परीक्षा की तैयारी करते हुए सोच रहा था कि क्या उसके लिए दो नावों पर सवारी करना उचित रहेगा?

418. द्वार झाँकना–(दान, भिक्षा आदि के लिए किसी के दरवाजे पर जाना)
आप जैसे वेदपाठी ब्राह्मण, गुरु–दक्षिणा के लिए हमारे पास आएँ और यहाँ से निराश लौटकर किसी का द्वार झाँके, यह नहीं हो सकता।

419. दिन–रात एक करना–(प्रयास करते रहना)
श्यामलाल ने अपने मित्र गोपी को उन्नति करते देख कह ही दिया–“अब तो तुमने दिन–रात एक कर रखे हैं, तभी तो उन्नति कर रहे हो।”

420. दिमाग दिखाना–(अहम् भाव प्रदर्शित करना)
“क्या बताऊँ दोस्त, लड़के वाले तो आजकल बड़े दिमाग दिखा रहे हैं।” अपने एक मित्र के पूछने पर दिलावर ने बताया।

421. दिन दूनी रात चौगुनी होना–(बहुत शीघ्र उन्नति करना)
अरिहन्त प्रकाशन दिन दूनी रात चौगुनी उन्नति कर रहा है।

422. दूध का धुला होना–(बहुत पवित्र होना)
तुम भी दूध के धुले नहीं हो, जो मुझ पर दोष लगा रहे हो।

423. दाँत काटी रोटी–(घनिष्ठ मित्रता)
किसी समय मेरी उससे दाँत काटी रोटी थी।

424. दाना पानी उठना–(जगह छोड़ना)
विकास की तबदीली हो गई है, यहाँ से उसका दाना पानी उठ गया है।

425. दिल का गुबार निकालना–(मन की बात कह देना)
अजय ने सुनील को बुरा–भला कहा जिससे उसके दिल का गुबार निकल
गया।

426. दिन पहाड़ होना–(कार्य के अभाव में समय गुजारना)
जून के महीने में दिन पहाड़ हो जाते हैं।

427. दाहिना हाथ–(बहुत बड़ा सहायक होना)
अमर सिंह मुलायम सिंह का दाहिना हाथ था।

428. दमड़ी के तीन होना–(सस्ते होना)
अब वह जमाना गया जब दमड़ी के तीन सन्तरे मिलते थे।

429. दिन में तारे दिखाई देना–(बुद्धि चकराने लगना)
यदि ज़्यादा बोले तो ऐसा थप्पड़ मारूंगा दिन में तारे दिखाई देने लगेंगे।

430. दम भरना–(भरोसा करना)
अब तो तुम मुसीबत में फँसे हो, कहाँ है वे तुम्हारे सभी दोस्त, जिनका तुम दम भरते थे?

431. दिमाग आसमान पर चढ़ना–(बहुत घमण्ड होना)
कभी–कभी उसका दिमाग आसमान पर चढ़ जाता है।

432. दर–दर की ठोकरें खाना–(बहुत कष्ट उठाना)
पूँजीवादी व्यवस्था में करोड़ों बेरोज़गार दर–दर की ठोकरें खा रहे हैं।

433. दाँत खट्टे करना–(पराजित करना)
भारत ने आस्ट्रेलिया क्रिकेट टीम के टेस्ट सीरीज में दाँत खट्टे कर दिए।

434. दिल भर आना–(शोकाकुल होना या भावुक होना)
संजय की मृत्यु का समाचार सुनकर दिल भर आया

435. दाँत पीसकर रह जाना–(क्रोध रोक लेना)
चीन के खिलाफ अमेरिका दाँत पीसकर रह जाता है।

436. दिनों का फेर होना–(भाग्य का चक्कर)
पहले गोयल साहब से कोई सीधे मुँह बात नहीं करता था, आज पैसा आ गया तो हर कोई उनके आगे–पीछे घूम रहा है। यही तो दिनों का फेर है।

437. दिल में फफोले पड़ना–(अत्यन्त कष्ट होना)
रमेश के पुन: अनुत्तीर्ण होने पर उसके दिल में फफोले पड़ गए हैं।

438. दाल जूतियों में बँटना–(अनबन होना)
पड़ोसी से पहले जैन साहब की घुटती थी, बच्चों में लड़ाई हो गई, तो अब दाल जूतियों में बँटने लगी।

439. देवता कूच कर जाना–(घबरा जाना)
पुलिस की पूछताछ से पहले ही नौकर के देवता कूच कर गए।

440. दो दिन का मेहमान –(जल्दी मरने वाला)
उसकी दादी बहुत बीमार हैं, लगता है बस दो दिन की मेहमान हैं।

441. दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना–(छोटी–सी बात के लिए अधिक माँग
करना या दण्ड देना) मात्र एक कप का प्याला टूट गया तो तुमने उसे बुरी तरह मारा, इस पर पड़ोसी ने कहा तुम्हें दमड़ी के लिए चमड़ी उधेड़ना शोभा नहीं देता।

442. दुम दबाकर भागना–(डरकर कुत्ते की भाँति भागना)
पुलिस के आने पर चोर दुम दबाकर भाग गए।

443. दूध के दाँत न टूटना–(ज्ञान व अनुभव न होना)
अभी तो तुम्हारे दूध के दाँत भी नहीं टूटे हैं और चले हो बड़े–बड़े काम करने।

(ध)

444. धोती ढीली होना–(घबरा जाना)
जंगल में भालू देखते ही उसकी धोती ढीली हो गई।

445. धौंस जमाना–(रौब दिखाना/आतंक जमाना)
गाँव के एक अमीर और रौबदार आदमी को, गाँव के ही एक खुशहाल (खाते–पीते) व्यक्ति ने अपनी दुकान पर आतंक जमाते देखा तो कहा “चौधरी साहब आप अपना रौब गाँव वालों को ही दिखाया करो, मेरी दुकान पर आकर किसी प्रकार की धौंस न जमाया करो।”

446. ध्यान टूटना–(एकाग्रता भंग होना)
गुरु जी एकान्त कमरे में बैठे ध्यानमग्न थे। छोटे बालक के कमरे में प्रवेश करने तथा वहाँ की वस्तुओं को उठा–उठाकर इधर–उधर करने की खट–पट की आवाज़ से उनका ध्यान टूट गया।

447. ध्यान रखना–(देखभाल करना/सावधान रहना)
“प्रीति जरा हमारे बच्चों का ध्यान रखना। मैं मन्दिर जा रही हूँ।” अनामिका ने अपनी पड़ोसन को सजग करते हुए कहा।

448. धज्जियाँ उड़ाना–(दुर्गति)
सचिन ने शोएब अख्तर की गेंदबाजी की धज्जियाँ उड़ा दीं।

449. धूप में बाल सफ़ेद होना–(अनुभवहीन होना)
मैं तुम्हारा मुकदमा जीतकर रहूँगा, ये बाल कोई धूप में सफेद नहीं किए हैं।

(न)

450. नंगा कर देना–(वास्तविकता प्रकट करना/असलियत खोलना)
रघु और दौलतराम का झगड़ा होने पर उन्होंने सरेआम एक–दूसरे को नंगा कर दिया।

451. नंगे हाथ–(खाली हाथ)
“मनुष्य संसार में नंगे हाथ आता है और नंगे हाथ ही जाता है। इसलिए उसे चाहिए कि वह किसी के साथ बेईमानी या दुराचार न करे।” अपने प्रवचनों में गुरु महाराज लोगों को उपदेश दे रहे थे।

452. नमक–मिर्च लगाना–(बढ़ा–चढ़ाकर कहना)
चुगलखोर व्यक्ति नमक–मिर्च लगाकर ही कहते हैं।

453. नुक्ता–चीनी करना–(छिद्रान्वेषण करना)
“तुमसे कितनी बार कह चुका हूँ कि तुम मेरे काम में नुक्ता–चीनी मत किया करो।”

454. निन्यानवे के फेर में पड़ना–(धन संग्रह की चिन्ता में पड़ना)
व्यापारी तो हमेशा निन्यानवे के फेर में लगे रहते हैं।

455. नौ दो ग्यारह होना–(भाग जाना)
चोर मकान में चोरी कर नौ दो ग्यारह हो गए।

456. नाच नचाना–(मनचाही करना)
रमेश और सुरेश दोनों मिलकर राकेश को नाच नचाते हैं।

457. नाक भौं चढ़ाना–(असन्तोष प्रकट करना)
सोनिया गाँधी के गठबन्धन पर भाजपा नाक भौं चढ़ा रही है।

458. नीला–पीला होना–(गुस्सा होना)
मालिक तो मज़दूरों पर प्राय: नीला–पीला होते रहते हैं।

459. नाको–चने चबाना–(बहुत तंग होना)
लक्ष्मीबाई ने अंग्रेज़ों को नाको चने चबवा दिए।

460. नीचा दिखाना–(अपमानित करना)
चुनाव से पूर्व भाजपा और कांग्रेस एक–दूसरे को नीचा दिखाने में कोई कमी नहीं छोड़ रहे हैं।

461. नाक में नकेल डालना–(वश में करना)
प्रतिपक्ष ने अपनी मांगों को लेकर केन्द्र सरकार की नाक में नकेल डाल रखी है।

462. नमक अदा करना–(उपकारों का बदला चुकाना)
जयसिंह ने शिवाजी को हराकर औरंगजेब का नमक अदा कर दिया।

463. नाक कटना–(इज्जत चली जाना)
आज तुमने बदतमीज़ी करके सबकी नाक कटवा दी।

464. नाक रगड़ना–(बहुत विनती करना)
सरकारी कर्मचारी रिश्वत वाली सीट प्राप्ति के लिए अधिकारियों के आगे नाक रगड़ते हैं।

465. नकेल हाथ में होना–(वश में होना)
उत्तर भारत में साधारणतया घर की नकेल पुरुष के हाथों में होती है।

466. नहले पर दहला मारना–(करारा जवाब देना)

467. नानी याद आना–(मुसीबत का एहसास होना)
इन्जीनियरिंग की पढ़ाई करते–करते तुम्हें नानी याद आ गई।

468. नाक का बाल होना–(अत्यन्त प्रिय होना)
मनोज तो नेता जी की नाक का बाल है।

469. नस–नस पहचानना–(किसी के अवांछित व्यवहार को विस्तार से जानना)
मालिक और मज़दूर एक–दूसरे की नस–नस को पहचानते हैं।

470. नाव में धूल उड़ाना–(व्यर्थ बदनाम करना)
मेरे विषय में सब लोग जानते हैं, तुम बेकार में नाव में धूल उड़ाते हो।


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