Muhavare
हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे,
उनके अर्थ और प्रयोग
(च- छ- ज- झ )
(च)
299. चक जमाना–(पूरी तरह से अधिकार या प्रभुत्व स्थापित होना)
चन्द्रगुप्त मौर्य ने सम्पूर्ण आर्यावर्त पर चक जमा लिया था।
300. चंगुल में फँसना–(मीठी–मीठी बातों से वश में करना)
आजकल बाबा लोग सीधे–सादे लोगों को चंगुल में फँसा लेते हैं।
301. चाँदी का जूता मारना–(रिश्वत या घूस देना)
आजकल सरकारी कार्यालयों में बिना चाँदी का जूता मारे काम नहीं हो पाता है।
302. चाँद पर थूकना–(भले व्यक्ति पर लांछन लगाना)
महात्मा गाँधी की बुराई करना चाँद पर थूकना है।
303. चित्त पर चढ़ना–(सदा स्मरण रहना)
अनुज का दिमाग बहुत तेज है, उसके चित्त पर जो बात चढ़ जाती है, फिर वह उसे कभी नहीं भूलता।
304. चादर से बाहर पाँव पसारना–(सीमा के बाहर जाना)
चादर से बाहर पैर पसारने वाले लोग कष्ट उठाते हैं।
305. चुल्लू भर पानी में डूब मरना–(शर्म के मारे मुँह न दिखाना)
आप इतने सभ्य परिवार के होते हुए भी दुष्कर्म करते हैं, आपको चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए।
306. चूलें ढीली करना–(अधिक परिश्रम के कारण बहुत थकावट होना)
इस लेखन कार्य ने तो मेरी चूलें ही ढीली कर दीं।
307. चुटिया हाथ में होना–(संचालन–सूत्र हाथ में होना, पूर्णतः नियन्त्रण में होना)
“भागकर कहाँ जाएगा, उसकी चुटिया हमारे हाथ में है।” शत्रु के घर में उसे न पाकर चौधरी रणधीर ने उसकी पत्नी के सामने झल्लाकर कहा।
308. चेरी बनाना/बना लेना–(दास या गुलाम बना लेना)
“हमारे गाँव का प्रधान इतना शातिर दिमाग का है कि वह सभी जरूरतमन्द लोगों को चेरी बना लेता है।
309. चूना लगाना–(धोखा देना)
प्राय: विश्वासपात्र लोग ही चूना लगाते हैं।
310. चारपाई से लगना–(बीमारी से उठ न पाना)
ध्रुव की दुर्घटना क्या हुई, वह तो चारपाई से ही लग गया।
311. चण्डाल चौकड़ी–(निकम्मे बदमाश लोग)
राजनीति में प्राय: चण्डाल चौकड़ी नेता को घेरे रहती है।
312. चाँद खुजलाना–(पिटने की इच्छा होना)
विनय तुम सुबह से शरारत कर रहे हो, लगता है तुम्हारी चाँद खुजला रही है।
313. चार दिन की चाँदनी–(कम दिनों का सुख)
दीपावली में खूब बिक्री हो रही है, दुकानदारों की तो चार दिन की चाँदनी है।
314. चचा बनाकर छोड़ना–(खूब मरम्मत करना)
ग्रामीणों ने चोर को चचा बनाकर छोड़ा।
315. चल बसना–(मर जाना)
लम्बी बीमारी के पश्चात् बाबा जी चल बसे !
316. चींटी के पर निकलना–(मरने के दिन निकट आना)
आजकल संजीव पुलिस से भिड़ने लगा है, लगता है चींटी के पर निकल आए हैं।
317. चोली दामन का साथ–(अत्यन्त निकटता)
पुलिस और पत्रकारों का तो चोली दामन का साथ है।
318. चैन की बंशी बजाना–(मौज़ करना)
जो लोग कम ही उम्र में काफी धन अर्जित कर लेते हैं, वे बाकी की ज़िन्दगी चैन की बंशी बजा सकते हैं।
319. चिराग तले अँधेरा–(अपना दोष स्वयं दिखाई नहीं देता)
शाकाहार का उपदेश देते हो और घर में मांसाहारी भोजन बनता है, सच है चिराग तले अँधेरा।
320. चोर की दाढ़ी में तिनका–(अपराधी सदैव सशंक रहता है)
अपराधी प्रवृत्ति वाले व्यक्ति के मन में हमेशा एक खटका बना रहता है मानो “चोर की दाढ़ी में तिनका’ हो।
321. चार चाँद लगना–(शोभा बढ़ जाना)
किसी पार्टी में ऐश्वर्य राय के पहुँच जाने से पार्टी में चार चाँद लग जाते हैं।
322. चेहरे पर हवाइयाँ उड़ना–(आश्चर्य)
रिश्वत लेते पकड़े जाने पर सिपाही के चेहरे पर हवाइयाँ उड़ने लगीं।
323. चूड़ियाँ पहनना–(कायर होना)।
चूड़ियाँ पहनकर बैठने से काम नहीं चलेगा, कुछ बदलने के लिए संघर्ष करना पड़ेगा।
(छ)
324. छक्के छूटना–(हिम्मत हारना)
आन्दोलनकारियों ने अंग्रेज़ों के छक्के छुड़ा दिए।
325. छप्पर फाड़कर देना–(अनायास ही धन की प्राप्ति)
ईश्वर किसी–किसी को छप्पर फाड़कर देता है।
326. छाती पर मूंग दलना–(निरन्तर दुःख देना)
वह कई वर्षों से घर में निठल्ला बैठकर अपने पिताजी की छाती पर – मूंग दल रहा है।
327. छाती भर आना–(दिल पसीजना)
दुर्घटनाग्रस्त सोहन को मृत्यु–शैय्या पर तड़पते देखकर उसके मित्र चिंटू की छाती भर आई।
328. छाँह न छूने देना–(पास तक न आने देना)
मैं बुरे आदमी को अपनी छाँह तक छूने नहीं देता।
329. छठी का दूध याद दिलाना–(संकट में डाल देना)
भारतीयों ने, पाकिस्तानी सेना को छठी का दूध याद दिला दिया।
330. छूमन्तर होना–(गायब हो जाना)
मेरा पर्स यहीं रखा था, पता नहीं कहाँ छूमन्तर हो गया।
331. छक्के छुड़ाना–(हिम्मत पस्त करना)
भारतीय खिलाड़ियों ने विपक्षी टीम के छक्के छुड़ा दिए।
332. छक्का –पंजा भूलना–(कुछ भी याद न रहना)
अधिकारी को देखते ही कर्मचारी छक्के–पंजे भूल गए।
333. छाती ठोंकना–(साहस दिखाना)
अन्याय के खिलाफ़ छाती ठोंककर खड़े होने वाले कितने लोग होते हैं।
(ज)
334. जान के लाले पड़ना–(जान पर संकट आ जाना)
नौकरी छूटने से उसके तो जान के लाले पड़ गए।
335. जबान कैंची की तरह चलना–(बढ़–चढ़कर तीखी बातें करना)
कर्कशा की जबान कैंची की तरह चलती है।
336. जबान में लगाम न होना–(बिना सोचे समझे बिना लिहाज के बातें करना)
मनोहर इतना असभ्य है कि उसकी जबान में लगाम ही नहीं है।
337. जलती आग में घी डालना–(क्रोध भड़काना)
धनुष टूटा देखकर परशुराम क्रोधित थे ही कि लक्ष्मण की बातों ने जलती आग में घी डालने का काम कर दिया।
338. जड़ जमना–(अच्छी तरह प्रतिष्ठित या प्रस्थापित होना)
अब तो नेता ने पार्टी में अपनी जड़ें जमा ली हैं। पार्टी उन्हें इस बार उच्च पद पर नियुक्त करेगी।
339. जान में जान आना–(चैन मिलना)
खोया हुआ बेटा मिला तो माँ की जान में जान आई।
340. जहर का चूँट पीना–(कड़ी और कड़वी बात सुनकर भी चुप रहना)
निर्बल व्यक्ति शक्तिशाली आदमी की हर कड़वी बात को ज़हर के घूट की तरह पी जाता है।
341. जिगरी दोस्त–(घनिष्ठ मित्र)
राम और श्याम जिगरी दोस्त हैं।
342. ज़िन्दगी के दिन पूरे करना–(कठिनाई में समय बिताना)।
आज के युग में किसान और मज़दूर अपनी ज़िन्दगी के दिन पूरे कर रहे हैं।
343. जीती मक्खी निगलना–(जान बूझकर अन्याय सहना)
आप जैसे समझदार को जीती मक्खी निगलना शोभा नहीं देता।
344. जी चुराना–(किसी काम या परिश्रम से बचने की चेष्टा करना)
पढ़ने–लिखने से मैंने एक दिन के लिए भी कभी जी नहीं चुराया।
345. ज़मीन पर पैर न रखना–(अकड़कर चलना)
जब से राजेश नायब तहसीलदार हुआ, वह ज़मीन पर पैर नहीं रखता।
346. जोड़–तोड़ करना–(उपाय करना)
अब तो जोड़–तोड़ की राजनीति करने वालों की कमी नहीं है।
347. जली–कटी सुनाना–(बुरा–भला कहना)
रमेश का कटाक्ष सुनकर सुरेश ने उसे खूब जली–कटी सुनाई थी।
348. जूतियाँ चाटना–(चापलूसी करना)।
स्वाभिमानी व्यक्ति किसी की जूतियाँ नहीं चाटता।
349. जान हथेली पर रखना–(प्राणों की परवाह न करना)
सेना के जवान जान हथेली पर रखकर देश की रक्षा करते हैं।
350. जितने मुँह उतनी बातें–(एक ही विषय पर अनेक मत होना)
ताजमहल के सौन्दर्य के विषय में जितनी मुँह उतनी बातें हैं।
351. जी खट्टा होना–(विरत होना)
पुत्र के व्यवहार से पिता का जी खट्टा हो गया।
352. जामे से बाहर होना–(अति क्रोधित होना)
राजेश को यदि सरकण्डा कहो तो वह जामे से बाहर हो जाता है।
353. ज़हर की पुड़िया–(मुसीबत की जड़)
उसकी बातों पर मत जाना, वह तो ज़हर की पुड़िया है।
354. जोंक होकर लिपटना–(बुरी तरह पीछे पड़ना)
किसान के ऊपर साहूकार का ऋण जोंक की तरह लिपट जाता है।
355. जी भर आना–(दुःखी होना)
संजय की मृत्यु का समाचार सुनकर मेरा जी भर आया।
356. जहर उगलना–(कड़वी बातें करना)
तुम जहर उगलकर किसी से अपना कार्य नहीं करा सकते।
357. झण्डा गड़ना–(अधिकार जमाना)
दुनिया में उन्हीं लोगों के झण्डे गड़े हैं, जो अपने देश पर कुर्बान होते हैं।
358. झकझोर देना–(हिला देना/पूर्णत: त्रस्त कर देना)
पिता की मृत्यु, ने उसे बुरी तरह झकझोर दिया।
359. झाँव–झाँव होना–(जोरों से कहा–सुनी होना)
इन दो गुटों के बीच झाँव–झाँव होती रहती है।
360. झाडू फिरना/फिर जाना–(नष्ट करना)
वार्षिक परीक्षा के दौरान मार्ग–दुर्घटना में घायल होने के कारण राकेश की सारी मेहनत पर झाडू फिर गयी।
361. झुरमुट मारना–(बहुत से लोगों का घेरा बनाकर खड़े होना)
युद्ध में सैनिक जगह–जगह झुरमुट मारकर लड़ रहे हैं।
362. झूमने लगना–(आनन्द–विभोर हो जाना)
ऋद्धि के भजनों को सुनकर सभागार में उपस्थित सभी लोग झूम उठे।
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