Wednesday, April 21, 2021

संधि विच्छेद

 

संधि विच्छेद


संधि में पदों को मूल रूप में पृथक कर देना संधि विच्छेद है।

जैसे धनादेश = धन + आदेश 

यहाँ पर कुछ प्रचलित संधि विच्छेदों को दिया जा रहा है, जो की विद्यार्थियों के बड़े काम आएगी।



अन्तकरण = अंत + करण ( विसर्ग संधि ) 

अंतपुर = अंत: + पुर (विसर्ग संधि ) 

अन्तर्निहित = अंत: + निहित (विसर्ग संधि ) 

अनुपमेय: अनु + उपमेय ( दीर्घ संधि ) 

अनुयय = अनु + अय (यण संधि )

अन्वेषण = अनु + एषण (यण संधि )

अंतर्गत = अंत: + गत ( विसर्ग संधि )

अंतर्ध्यान = अंत : + ध्यान (विसर्ग संधि )

अन्योक्ति = अन्य + उक्ति (गुण संधि ) 

अंडाकार = अंड + आकार ( दीर्घ संधि )

अनायास = अनु + आयास (व्यंजन संधि )

अन्वित = अनु + इत ( यण संधि ) 

अनूप = अनू + ऊप ( व्यंजन संधि )

अजन्त = अच् + अंत (व्यंजन संधि )

अध्याय = अधि + आय ( यण संधि ) 

अहोरूप = अह: + रूप ( विसर्ग संधि ) 

आकृष्ट = आकृष + त ( व्यंजन संधि ) 

अविष्कार = आवि: + कार ( विसर्ग संधि ) 

इत्यादि = इति + आदि (यण संधि ) 

आत्मावलंबन = आत्मा + अवलम्बन ( दीर्घ संधि

अध्ययन = अधि + अयन ( यण संधि )

अधीश = अधि + ईश (दीर्घ संधि )

अधिकांश = अधिक + अंश ( दीर्घ संधि )

अधोगति = अध: + गति ( विसर्ग संधि )

अब्ज = अप + ज ( व्यंजन संधि )

अभ्यस्त = अभि + अस्त ( यण संधि )

आत्मोसर्ग: = आत्म + उत्सर्ग (गुण संधि ) 

आध्यात्मिक आधि + आत्मिक (यण संधि ) 

अत्यधिक = अति + अधिक (यण संधि ) 

अत्यावश्यक = अति + आवश्यक (यण संधि ) 

इत्यादि = इति + आदि ( गुण संधि ) 

परोपकार = पर + उपकार ( गुण संधि ) 

नरोत्तम = नर + उत्तम ( गुण संधि ) 

अल्प + आयु (दीर्घ स्वर संधि ) अल्पायु

मंगलाकार = मंगल + आकार (दीर्घ स्वर संधि ) 

मत्स्याकार = मत्स्य + आकार (दीर्घ स्वर संधि )

मध्यावकाश = मध्य + अवकाश (दीर्घ स्वर संधि

विद्याध्ययन = विद्या + अध्ययन (दीर्घ स्वर संधि

चिरायु = चिर + आयु (दीर्घ स्वर संधि )

तथास्तु = तथा + अस्तु (दीर्घ स्वर संधि )

परमेश्वर = परम + ईश्वर (दीर्घ गुण संधि ) 

महोदय = महा + उदय (दीर्घ गुण संधि )

पदोन्नति = पद + उन्नति (दीर्घ गुण संधि )

विद्दोत्मा = विद्या + उत्तमा ( दीर्घ गुण संधि )

सर्वोच्च = सर्व + उच्च (दीर्घ गुण संधि ) 

प्रत्येक = प्रति + एक (यण स्वर संधि )

कुर्मावतार = कूर्म + अवतार (दीर्घ स्वर संधि )

नागाधिराज = नाग + अधिराज (दीर्घ स्वर संधि ) 

अनावृष्टि = अन + आवृष्टि (दीर्घ स्वर संधि )

पीताम्बर = पीत + अम्बर (दीर्घ स्वर संधि )

मतानुसार = मत + अनुसार (दीर्घ स्वर संधि )

युगानुसार = युग + अनुसार (दीर्घ स्वर संधि ) 

व्ययमादी = व्यायाम + आदि (दीर्घ स्वर संधि ) 

सत्याग्रही = सत्य + आग्रही (दीर्घ स्वर संधि ) 

समांनातर = समान + अंतर (दीर्घ स्वर संधि ) 

स्वाभिमानी = स्व + अभिमानी (दीर्घ स्वर संधि )

 गुरुत्वाकर्षण = गुरुत्व + आकर्षण (दीर्घ स्वर संधि )

हिमांचल हिम + अंचल (दीर्घ स्वर संधि ) 

हिमालय • हिम + आलय (दीर्घ स्वर संधि ) 

अश्वारोही = = अश्व + आरोही (दीर्घ स्वर संधि ) 

क्रोधाग्नि क्रोध + अग्नि (दीर्घ स्वर संधि )  

अखिलेश अखिल + ईश (दीर्घ स्वर संधि ) 

परोपकार = पर + उपकार (दीर्घ स्वर संधि ) 

महर्षि = महा + ऋषि (दीर्घ स्वर संधि ) 

महोत्सव = महा + उत्सव (दीर्घ स्वर संधि ) 

यथोचित  = यथा + उचित (दीर्घ स्वर संधि ) 

रहस्योदघाटन = रहस्य + उद्घाटन (दीर्घ स्वर संधि )

लोकोक्ति = लोक + उक्ति (दीर्घ स्वर संधि ) 

सर्वोत्तम = सर्व + उत्तम (दीर्घ स्वर संधि ) 

अत्यधिक = अति + अधिक (यण स्वर संधि ) 

अखिलेश्वर = अखि + ईश्वर (गुण स्वर संधि ) 

महोत्सव = महा + उत्सव (गुण स्वर संधि ) 

आत्मोत्सर्ग = आत्मा + उत्सर्ग (गुण स्वर संधि ) 

जीर्णोद्धार जीर्ण + उद्धार ( गुण स्वर संधि ) 

धनोपार्जन = धन + उपार्जन (गुण स्वर संधि ) 

स्वेच्छा = स्व + इच्छा (गुण स्वर संधि ) 

मरणोत्तर = मरण + उत्तर (गुण स्वर संधि ) 

प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष (यण स्वर संधि ) 

प्रत्याघात = प्रति + अघात (यण स्वर संधि ) 

स्वालंबन = स्व + अवलंबन (दीर्घ स्वर संधि ) 

कालांतर = काल + अंतर (दीर्घ स्वर संधि ) 

दोषारोपण = दोष + आरोपण (दीर्घ स्वर संधि )

 निम्नाकित = निम्न + अंकित (दीर्घ स्वर संधि ) 

मदांध = मद + अंध (दीर्घ स्वर संधि )

स्वर्णाक्षरों = स्वर्ण + अक्षरों (दीर्घ स्वर संधि )

महत्वाकांक्षा = महत्व + आकांक्षा (दीर्घ स्वर संधि)

भावुक = भौ + उक (अयादि संधि ) 

भास्कर = भा: + कर (विसर्ग संधि )

भानूदय = भानु + उदय (दीर्घ संधि )

भावोन्मेष = भाव + उदय (गुण संधि )

भिन्न = भिद + न ( व्यंजन संधि )

भूर्जित = भू + उर्जित (दीर्घ संधि )

भूदार = भू + उदार ( दीर्घ संधि )

भूषण = भूष + अन ( व्यंजन संधि )

भगवतभक्ति = भगवत + भक्ति ( व्यंजन संधि )

मतैक्य = मत + एक्य ( वृद्धि संधि )

मनस्पात = मन : + ताप (विसर्ग संधि )

मनोहर = मन: + हर (विसर्ग संधि )

मनोयोग = मन : + योग (विसर्ग संधि )

मनोर = मन: + रथ (विसर्ग संधि )

मनोविकार = मन : + विकार (विसर्ग संधि )

महत्व = महत + त्व ( व्यंजन संधि ) 

महालाभ = महान + लाभ (व्यंजन संधि )

महिष = महि + ईश ( गुण संधि )

मायाधीन = माया + अधीन ( दीर्घ संधि )

महामात्य = महा + अमात्य (दीर्घ संधि )

यज्ञ यज + न ( व्यंजन संधि )

राज्याभिषेक = राज्य + अभिषेख (दीर्घ स्वर संधि)

स्वाध्याय = स्व + अध्याय (दीर्घ स्वर संधि ) 

परमावश्यक = परम + आवश्यक (दीर्घ स्वर संधि)

शरीरांत = शरीर + अंत (दीर्घ स्वर संधि )

स्वाधीनता = स्व + आधीनता (दीर्घ स्वर संधि )

पुलकावली = पुलक + अवलि (दीर्घ स्वर संधि )

राज्यगार = राज्य + आगार (दीर्घ स्वर संधि )

सत्याग्रह = सत्य + आग्रह (दीर्घ स्वर संधि ) 

तमसावृत = तमसा + आवृत (दीर्घ स्वर संधि )

गौरवान्वित = गौरव + अन्वित (दीर्घ स्वर संधि )

अंतर्गत = अंत + गत ( विसर्ग संधि )

सर्वोदय = सर्व + उदय ( गुण स्वर संधि ) 

वसंतोत्सव = वसंत + उत्सव स्वर संधि

निस्सार = निः + सार (विसर्ग संधि )

सहानुभूति = सह + अनुभूति ( दीर्घ स्वर संधि ) 

ग्रामोत्थान = ग्राम + उत्थान (गुण स्वर संधि )

दुसाहस = दु: + साहस (विसर्ग संधि )

अत्यधिक = अति + अधिक ( स्वर संधि )

निम्नाकित = निम्न + अंकित ( दीर्घ संधि ) 

निर्दोष = नि: + दोष (विसर्ग संधि )

दोषारोपण = दोष + आरोपण ( दीर्घ स्वर संधि )

विद्यालय = विद्या + आलय (दीर्घ संधि )

सदैव = सदा + एव ( वृद्धि स्वर संधि )

वृहदाकार = वृहत + आकार ( व्यंजन संधि )

परामत्मा परम + आत्मा ( दीर्घ स्वर संधि ) 

अश्वारोहण = अश्व + आरोहण ( दीर्घ + स्वर संधि )

आत्मोत्सर्ग = आत्म + उत्सर्ग ( गुण स्वर संधि ) 

जगदाधार = जगत + आधार ( व्यंजन संधि ) 

भुवनेश = भुवन + ईश ( गुण स्वर संधि ) 

लाभान्वित = लाभ + अन्वित (दीर्घ स्वर संधि )

हिमाच्छादित = हिम + आच्छादित ( दीर्घ स्वर संधि )

मनोयोग = मन: + योग ( विसर्ग संधि ) 

मदांध = मद + अंध ( दीर्घ स्वर संधि )

जीर्णोद्धार जीर्ण + उद्धार ( गुण स्वर संधि )

निबुद्धि = निः + बुद्धि (गुण स्वर संधि )

अत्यंत = अति + अंत (यण स्वर संधि )

निष्कटक = नि: कंटक (विसर्ग संधि )

नदीश = नदी = नदी + ईश (विसर्ग संधि ) 

निश्चय = निः + चय (विसर्ग संधि )

आद्यापि = अद्य + अपि (गुण स्वर संधि )

तत्व = तव + एव ( वृद्धि स्वर संधि )

स्वागत = सु + आगत (स्वर संधि ) 

स्वाभिमान = स्व + अभिमान (स्वर संधि )

अत्यंत = अति + अंत (स्वर संधि )

पावक = पौ + अक (स्वर संधि )

निर्धन = नि: + धन ( विसर्ग संधि )

निश्चल = नि : + छल ( विसर्ग संधि )

संकीर्ण = सम + कीर्ण ( व्यंजन संधि )

पराधीनता पर + अधीनता ( स्वर संधि )

सारांश = सार + अंश ( स्वर संधि )

पदारूढ़ = पद + आरूढ़ ( स्वर संधि ) 

पवन = पो + अन ( स्वर संधि )

इत्यादि इति + आदि ( स्वर संधि )

निर्जीव नि: + जीव (विसर्ग संधि )

निर्भय = निः + भय ( विसर्ग संधि )

मध्यान्ह = मध्य + याह ( स्वर संधि ) 

अभ्युदय = अभि + उदय ( स्वर संधि ) 

धिग्दंड = धिक् + दंड ( व्यंजन संधि ) 

मनोहर  = मन: + हर (विसर्ग संधि )

उद्दाम = उत + दाम ( व्यंजन संधि )

संसार = सम + सार ( व्यंजन संधि )

प्रत्यक्ष = प्रति + अक्ष (स्वर संधि ) 

सम्बन्ध = सम + बंध ( व्यंजन संधि )

अत्याचार = अति + आचार ( स्वर संधि )

अन्याय = अन + न्याय ( स्वर संधि )

पुरषोत्तम = पुरुष + उत्तम ( स्वर संधि )

भगवत भक्त = भगवत + भक्त ( व्यंजन संधि )

अंतर्गत = अंत + गत (विसर्ग संधि ) 

संतुष्ट = सम + तुष्ट ( व्यंजन संधि )

उत्कृष्ट = उतकृष + त ( व्यंजन संधि )

सन्यास = सन + न्याय ( व्यंजन संधि )

मनोवृति = मन: + वृति (विसर्ग संधि ) 

तिरस्कार = तिर : + कार ( विसर्ग संधि )

यद्दपि = यदि + अपि ( स्वर संधि )

रसात्मक = रस + आत्मक ( स्वर संधि )

अन्वेषण = अनु + एशण ( व्यंजन संधि )

उलंघन = उत + लंघन (व्यंजन संधि )

सत्यस्वरूप = सत + स्वरूप ( व्यंजन संधि )

दुष्परिणाम = दु: + परिणाम ( विसर्ग संधि )

गवेषण = गम + एषण ( स्वर संधि )

वसंतागमन = वसंत + आगमन (स्वर संधि ) 

निर्दलित = नि: + दलित ( विसर्ग संधि )

राजोद्यान राजा + उद्यान (विसर्ग संधि )

अंतरपथ = अंत: + पथ (विसर्ग संधि )

उल्लास = उत + लास (व्यंजन संधि ) 

दिगंबर = दिक् + अम्बर (व्यंजन संधि )

अनासक्ति: = अन + आसक्ति ( व्यंजन संधि )

निर्धूम = नि : धूम (विसर्ग संधि )

गण्डस्थल = गण्ड: + स्थल (विसर्ग संधि )

यपि = यदि + अपि (स्वर संधि )

निर्धात = नि: + घात (विसर्ग संधि )

कालाग्नि = काल+ अग्नि (स्वर संधि ) 

रविंद्र = रवि + इंद्र (स्वर संधि )

रामायण = राम + आयन ( स्वर संधि )

अमरासन = अमर + आसन (स्वर संधि )

मृण्मय = मृत + मय ( व्यंजन संधि )

उन्मुक्त = उत + मुक्त (व्यंजन संधि )

शरदचंद्र = शरत + चंद्र ( व्यंजन संधि ) 

वनस्थली = वन: + थली (विसर्ग संधि ) 

दुरंत = दु: + अंत (विसर्ग संधि ) 

निरंतर = नि: + अंतर (विसर्ग संधि ) 

सदैव = सदा + एव ( स्वर संधि ) 

वहिर्मुख = वहि : + मुख (विसर्ग संधि ) 

अत्यंत = अति + अंत (स्वर संधि )

स्वाध = स्व + आधीन (दीर्घ संधि ) 

पुस्तकालय = पुस्तक + आलय ( दीर्घ संधि ) प्रधानाध्यापक = प्रधान + अध्यापक (दीर्घ संधि )

स्वाध्याय = स्व + अध्याय ( दीर्घ संधि ) 

सर्वाधिक = सर्व + अधिक ( दीर्घ संधि )

योजनावधि योजन + अवधि (दीर्घ संधि )

विद्यालय = विद्या + आलय ( दीर्घ संधि )

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