Thursday, April 1, 2021

हिंदी में प्रचलित मुहावरे और लोकोक्तियाँ

 


       हिंदी में प्रचलित मुहावरे  और  लोकोक्तियाँ


         हिंदी में प्रचलित मुहावरे

     मुहावरे की परिभाषा :-

       मुहावरा ऐसा वाक्यांश है, जो सामान्य अर्थ का बोध न कराकर 

      विशेष अर्थ का बोध कराता है।

         मुहावरा' शब्द अरबी भाषा का है। मुहावरे भाषा की समृद्धि और सभ्यता के विकास के हैं । सूचक मुहावरा अपना 'असली' रूप कभी नहीं बदलता । मुहावरे का अर्थ प्रसंग के अनुसार होता है । 

     जैसे:- लड़ाई में खेत आना |

      इसका अर्थ युद्ध में शहीद हो जाना है । 

      न कि लड़ाई के स्थान पर किसी खेत का चला जाना ।

        मुहावरों की उत्पत्ति का कोई विशेष नियम नहीं बन सकता, क्योंकि यह

        लोगों की बोलचाल के ढंग और स्वीकृत अर्थ पर निर्भर करता है ।


1. अंगूठा दिखाना :- (समय पर धोखा देना, चिढ़ाना ।)

    जब मैंने अपने मित्र से सहायता माँगी, तो उसने अंगूठा दिखा दिया।

2. आँखों में धूल झोंकना :- (धोखा देना)

   चोर पुलिस की आँखों में धूल झोंककर भाग गया । 

3. ऊँट के मुँह में जीरा :- (आवश्यकता की अपेक्षा बहुत कम वस्तु का होना ।) 

     किसी अच्छे पहलवान को एक प्याला दूध पिला देना, ऊँट के मुहँ में जीरा देने के बराबर हैं।

4. एक अनार सौ बीमार :- (वस्तु की पूर्ति तो कम तथा माँग अधिक होना।) 

      आजकल मलेरिया के प्रकोप के कारण कुनैन नामक औषधि की मॉग बहुत बढ़ गयी है।

      यह एक अनार सौ बीमार वाली बात हो गयी है।

5. डूबते को तिनके का सहारा :- (मुसीबत के समय थोड़ी सहायता भी पर्याप्त होती हे।)      महामारी एवं  भूकंप से पीड़ित क्षेत्र की जनता को खाद्य वस्तुओं को प्रदान करना डूबते को 

     तिनके के सहारे के समान है । 

6. चादर से बाहर पैर पसारना :- (आय से अधिक व्यय करना) 

    सही ढंग से जीवन जीने के लिए चादर देखकर पाँव पसारना चाहिए।

7. मुट्ठी गरम करना :- (घुस देना) 

     टैक्सी की चोरी में पकड़े जाने पर मनोज ने बचने के लिए अधिकारी की मुट्ठी गरम की।

8. लकीर का फकीर होना :- (पुरानी परिपाटी पर चलना) 

     आधुनिक युग में भी कुछ लोग लकीर के फकीर बनकर जीवन जीते हैं।

9. बाग-बाग होना :- (प्रसन्न होना) 

    मित्र! आज तुम बहुत दिनों बाद मिले हो, अब तुमसे मिलकर मेरा दिल बाग-बाग हो गया।

10. सोने में सुहागा :- (बहुत ठीक)

      किसी कन्या में सुंदरता के साथ-साथ अच्छे गुणों का समावेश सोने में सुहागा है।


               लोकोक्तियाँ

         लोकोक्ति को कहावत भी कहा जाता है। भाषा को प्रभावशाली बनाने के लिए मुहावरों के समान लोकोक्तियों का भी प्रयोग किया जाता है।

         परिभाषा :- लोक में प्रचलित उक्ति को लोकोक्ति कहते हैं। यह एक ऐसा वाक्य है, जिसे अपने कथन की पुष्टि के प्रमाणस्वरूप प्रस्तुत किया जाता है। लोकोक्ति के पीछे मानव-समाज का अनुभव अथवा घटना विशेष रहती है। कुछ लोकोक्तियाँ अंतर्कथाओं से भी संबंध रखती हैं । लोकोक्ति एक स्वतंत्र वाक्य है, जिसमें एक पूरा भाव छिपा रहता है।

कुछ प्रचलित  लोकोक्तियाँ


1. आम के आम, गुठलियों के दाम :- (दोहरा लाभ)

      पुस्तकें पढ़ने के बाद आधी कीमत में बिक जाती हैं ।

     आम के आम, गुठलियों के दाम-इसीको कहते हैं ।

2. अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता :- ( एक व्यक्ति कोई बड़ा काम नहीं कर सकता) 

    आजकल चुनाव के मैदान में संगठित रहकर ही अधिक मत मिलते हैं और 

    तभी चुनाव जीता जा सकता है, वरना अकेला चना क्या भाड़ फोड़ेगा?

3. चोर-चोर मौसेरे भाई :- (एक-से स्वभाववाले)

      हरि शराब पीता है और ध्रुव जुआ खेलता है तथा आनंद चोरी में निपुण है । 

      इन तीनों की आपस में खूब पटती है, क्योंकि चोर-चोर मौसेरे भाई होते हैं।

4. तुम डाल-डाल हम पात-पात :- (हम तुमसे भी अधिक चालाक हैं)

     परीक्षा भवन में कुछ छात्रों ने नकल करने का प्रयास किया, किंतु निरीक्षक

     महोदय ने उन्हें इस प्रकार का कोई अवसर ही नहीं दिया और अंत में कह 

      डाला-बच्चो! तुम डाल-डाल हम पात-पात हैं।

5. पंच कहे बिल्ली तो बिल्ली :- (सबकी सम्मति में सम्मति होना)

     पिछले वर्ष गाँव प्रधान के चयन के समय राम के विषय में पूछा गया तो 

      मैंने कहा कि पंच कहें बिल्ली तो बिल्ली।


6. न रहेगा बाँस, न बजेगी बाँसुरी :- (झगड़े को समूल नष्ट करना)

     मनोहर स्कूल में होनेवाली तमाम शरारतों की जड़ था। प्रधानाचार्य ने 

     पता लगते ही कहा कि मैं इसको विद्यालय से ही निकाल देता हूँ। 

     न रहेगा बाँस और न बजेगी बाँसुरी ।

7. नाम बड़े और दर्शन छोटे :- (जितना प्रसिद्ध हो, उसके अनुसार गुण न होना) 

     डॉ. पवन की योग्यता की बड़ी प्रशंसा सुन रखी थी, परंतु उनका व्याख्यान

     सुनने के बाद सबकी यही राय बनी कि नाम बड़े और दर्शन छोटे।

8. बड़ों के कान होते हैं, आँख नहीं :- (केवल सुनकर निर्णय करना ।) 

     बड़े लोग देखने की अपेक्षा सुनकर निर्णय करते हैं । प्रधानाचार्य ने किसीके 

     कहने पर गरीव मनोहर पर पाँच सौ रुपये जुर्माना कर दिया । कहावत सत्य ही है 

     कि बडों के कान होते हैं, आँख नहीं।

9. धोबी का कुत्ता न घर का न घाट का :- (किसी काम में न आना)

     हमारे यहाँ अंग्रेज़ी के प्रवक्ता न तो अध्यापक संघ के सदस्य ही बनते है न 

      प्रधानाचार्य से मेल बनाकर रखते हैं। समय आने पर दोनों में से कोई भी 

     उनकी सहायता न कर पाएगा और तब धोवी का कुत्ता न घर का, न घाट का रहेगा।


10. मन चंगा तो कठौती में गंगा :- 

      (हृदय की पवित्रता हो तो घर में ही तीर्थ यात्रा का लाभ मिल जाता है।)

      सुनिता बहुत धार्मिक विचारोंवाली स्त्री है। उसकी घर गृहस्थी भी सुखी है। 

      उसके लिए तो मन चंगा तो कठौती में गंगा वाली कहावत चरितार्थ होती है।

 11. जिसकी लाठी, उसकी भैंस के बल पर अधिकार करना):- 

       शक्ति सेठानी ने गरीब नौकरानी पर चोरी का इलजाम लगाकर उसे धक्के

       देकर काम से निकलवा दिया इसको कहते हैं-जिसकी लाठी, उसकी भैंस।


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एकांकी

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