Thursday, April 1, 2021

शब्द (word-சொல்)

 

    शब्द (word-சொல்) किसे कहते हैं?

    शब्दांश (amx ০eraisafaeam)किसे कहते हैं?

    एक या अनेक वर्णों से मिलकर बनी हुई सार्थक ध्वनियों को शब्द कहते है। जो घ्यनियाँ स्वयं सार्थक नहीं होती, पर जब वे दूसरे शब्दों के साथ जोडी जाती है तब सार्थक होती हैं वे शब्दांश कही जाती है।

    (उ०) कु, निर, चाला - शब्दांश 

            कुपुत्र, निराकार, घरवाला - शब्द


   सार्थक और निरर्थक शब्दों को सोदाहरण समग्राइये ।

      जिन शब्दों का कुछ अर्थ होता है उन्हें सार्थक कहते हैं, 

     जैसे आदमी. जानवर, जल, कुरसी, जिन शब्दों का प्रयोग सिर्फ ध्वनि बोध आदि के लिये होता है, किसी वस्तु विशेष के लिये नहीं, उन्हें निरर्थक कहते है,

  जैसे टैं - टैं , कड़ - कड़ , टर् टर्


 व्युत्पत्ति (शब्दों की बनावट) के अनुसार शब्दों के कितने भेद हैं? सोदाहरण समझाइये।

        व्युत्पत्ति (etymology of words - Gunaissannuity) के विचार से 

        शब्द तीन प्रकार के हैं -

        1. रूढि, 2. यौगिक,


      1. रूढि (conventional - மரபு) 

         वे शब्द हैं जिनके खण्ड का कुछ अर्थ नहीं होता,

          जैसे - लडका, गधा आदि ।

       2. यौगिक (compound - இணை)

           वे शब्द हैं जो दो या दो से अधिक शब्दों या शब्दों और शब्दांशों

           (affix - சொல்லிணை) के योग से बने हों,

          जैसे - डाकघर, विद्याभ्यास, दूकानदार, पुनर्जन्म ।

      3. योगरूदि, (conventional - compound - மரபிணை)

          के शब्द यौगिक शब्दों के समान ही दो शब्दों या शब्दों और शब्दांशों के योग से बने हैं पर साधारण अर्थ को छोडकर विशेष अर्थ प्रकट करनेवाले हैं जैसे हलधर, घनश्याम, अंगरखा, हलचल ।


                           शब्द (व्युत्पत्ति के अनुसार)

                     यौगिक             रूढि          योगरूदि


   विकास की दृष्टि से शब्दों का वर्गीकरण कीजिए ।

       विकास की दृष्टि से शब्द चार प्रकार के हैं -

      1. तत्सम (unaltered Sanskrit words மாறுபாடற்ற வடசொற்கள்)

         बिना किसी परिवर्तन के हिन्दी में प्रयुक्त होनेवाले संस्कृत के शब्द, 

         जैसे पुत्र, पुस्तक, अक्षर, अंश, अभिमान, प्रदेश, देश, देवी, गर्व ।

     2. तद्भव (changed Sanskrit words - மாறிய வடசொற்கள்)

         परिवर्तन के साथ हिन्दी में प्रयुक्त होनेवाले संस्कृत के शब्द 

         जैसे अग्नि - आग, आश्रय - आसरा, काष्ठ काठ, गर्दभ - गधा, घृत - घी, 

                स्वामी - साई, चन्द्र -चांद, सूर्य - सूरज, जिह्वा - जीभ ।

     3. देशज (देशी शब्द)

       (words from native languages - நாட்டு மொழிச் சொற்கள்) 

       यहाँ की देशी बोलियों से हिन्दी में आये हुए शब्द 

       जैसे पिल्ला, गाडी, चिमटा, पेट आदि।

      4. विदेशी 

        (words from foreign languages - Garaf ario Glurg @e s) 

        अरबी, फारसी, अंग्रेज़ी आदि विदेशी भाषाओं से हिन्दी में आये हुए शब्द 

        जैसे अखबार, कानून, इंतजाम, अनार, कूच, मैदा; सरकस, होटल, कॉलिज आदि।


            शब्द (विकास की दृष्टि से)

      तत्सम      तद्भव    देशज     विदेशी


     अर्थ की दृष्टि से सार्थक शब्दो के भेद सोदाहरण समझाइये ।

       अर्थ की दृष्टि से सार्थक शब्दों के तीन भेद होते हैं। 

       वे हैं- बाचक (narrative - எடுத்துரை) 

              लाक्षणिक (figurative - அணிந்துரை) 

              व्यंजक या सांकेतिक (suggestive - குறிப்புரை)

      वाचक शब्द:- जब शब्द उसके लिये नियत अर्थ में लिखा या बोला जाता है

       तब उसे वाचक शब्द (narrative word எடுத்துரைச் சொல்) कहते  हैं।

       (उ०) "गधा एक जानवर है" इस में 'गधा' वाचक शब्द है।

      लाक्षणिक शब्दः- कोई शब्द जब अपना नियत अर्थ न बताकर अपने सादृश्य या गुण का बोध कराचे तब उसे लाक्षणिक शब्द (figurative word -அணிந்துரை )कहते हैं। ऊपर के उदाहरण को कुछ बदलकर 'तू गधा है' कहा जाय तो उसी शब्द का अर्थ जानवर विशेष न होकर किसी मुर्ख व्यक्ति का बोध करता है। इस वाक्य में "गधा" शब्द का अर्थ 'मूर्ख' हो गया है। इसलिये यह लाक्षणिक शब्द माना जाता है। 

     व्यंजक या सांकेतिक शब्दः- जो शब्द ऊपर से एक अर्थ प्रकट करें और उनका गूढ आशय उससे संबंधित दूसरा अर्थ होता है उन्हें व्यंजक या 

     सांकेतिक शब्द (suggestive word குறிப்புரை சொல் ) कहते है। 

       (उ०) वर्ग में एक लडका कहता है - "मास्टरजी पांच बज गये"। इसका तात्पर्य यह है कि 'वर्ग चलाना समाप्त करें। प्रकार "सूर्योदय हो गया"कहने से यह अर्थ निकलता है कि बिस्तर से उठने का समय आ गया है।


      रूप व प्रयोग की दृष्टि से शब्दों का वर्गीकरण किस प्रकार होता है ?

       रूप के अनुसार शब्द दो प्रकार के होते हैं - 

        विकारी और अविकारी 

       (declinable - பிறழ்பவை and indeclinable - பிறழாதவை 

        जिनके रूप बदलते रहते हैं वे बिकारी हैं। यह विकार या परिवर्तन लिंग, वचन, कारक और काल की वजह से होता है। जो सदा एक जैसे रहते हैं वे अविकारी या अव्यय हैं। 

       प्रयोग की दृष्टि से शब्द पांच प्रकार के होते हैं:


1.संज्ञा (Noun பெயர்ச்சொல்) 

2. सर्वनाम (Pronoun - பிரதிபெயர்ச்சொல்)

3. (Adjective - பெயருரிச்சொல் (அ) பெயரடை)

4. क्रिया ( Verb aom Derei)

5. अव्यय (Indeclinable pprsa/)


अव्यय के चार भेद हैं। वे हैं


1. क्रिया - विशेषण (Adverb - வினையடை)

2. संबंध सूचक (Post position - பின்னிடைச் சொல்)

3. समुच्चय बोधक (Conjunction- கூட்டிடைச் சொல்)

4. विस्मयादि बोधक (Interjection- உளத்தியலிடைச் சொல்)

    इनमें संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया विकारी शब्दों के अंतर्गत आते हैं।

   अव्यय के क्रिया - विशेषण, सम्बन्ध सूचक, समुच्चय - बोधक और विस्मयादि बोधक 

  अविकारी शब्दों के अन्तर्गत हैं।

(उ०) 

संज्ञा          - आदमी, घोडा, तिरुच्चि, कावेरी, अच्छाई।

सर्वनाम      - हम, आप, वह, स्वयं, कुछ, जो, कौन ।

विशेषण - अच्छा, सुन्दर, काला, भावुक ।

क्रिया - खाता है, खेला, चलोगे। 

क्रियाविशेषण - कभी-कभी, हमेशा, जाहिरा।

संबधसूचक -  के अन्दर, के साथ, के बिना

समुच्चय बोधक - और, लेकिन, इसलिये

विस्मयादिबोधक - हाय, अहा!, शाबाश।


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