कहानी - Kahani
बूढ़ा शिकारी कुत्ता
एक शिकारी ने कई शिकारी कुत्ते पाल रखे थे। शिकारी ने कुत्तों को शिकार पकड़ लाने का अच्छा खासा प्रशिक्षण दिया था। उसके पास एक बूढ़ा कुत्ता भी था, उसका नाम शेरू था। कई सालों से अपने मास्टर के लिए शिकार पकड़कर लाने का काम बखूबी करता रहा ।
बुढ़ापे की मार सबको पड़ती है। वह शिकारी कुत्ता भी बूढ़ा हो चला था। अब उसमें उतना दम नहीं रहा था। फिर भी वह अपने मास्टर के साथ शिकार पर जाता और शिकार पकड़ने के लिए अपना पूरा दम लगाता।
शिकारी एक दिन शिकार पर था। बूढ़ा कुत्ता हिरण के बच्चे को पकड़ने के लिए दौड़ा। बाकी कुत्ते तो पिछड़े थे, परंतु बूढ़ा शिकारी कुत्ता जान हथेली पर रखकर दौड़ा और उसने हिरण को पकड़ लिया और हिरण के पुट्ठे पर अपने दाँत धँसा दिये, मगर उसके बूढ़े, कमज़ोर दाँत टूट गये और हिरण उसके चंगुल से भाग निकला।
शिकारी ने देखा कि बूढ़े कुत्ते ने हिरण को छोड़ दिया है तो उसे उसपर बड़ा गुस्सा आया । उसने उस बूढ़े कुत्ते को मारने के लिए अपनी बंदूक उठायी।
बूढ़े कुत्ते ने अपने मालिक की ओर कातर निगाहों से देखा। मालिक ने उसकी मूक बात सुन ली। मानों, वह बूढ़ा कुत्ता कह रहा हो- मुझे मत मारो। मेरा मन और मेरी इच्छा शक्ति अभी भी मज़बूत है, जवान है। मगर मेरा शरीर बूढ़ा और कमज़ोर हो चला है जिससे मैं शिकार पकड़ने में असफल हो गया। मेरे पुराने, जवानी के दिनों की याद करो तब मैं क्या था..... और तुम अपने बुढ़ापे के बारे में जरा सोचो तो .....
शिकारी ने कुत्ते को गले से लगा लिया, उसके सिर पर हाथ फेरा, थपथपाया और कहा- कोई बात नहीं शेरू......
कहानी का सारांश
बूढ़ा शिकारी कुत्ता
एक शिकारी के यहाँ एक बूढ़ा शिकारी कुत्ता था। वह कई वर्षों तक शिकार पकड़ने का काम बखूबी करता था।
एक दिन शिकारी के साथ बूढ़ा कुत्ता शिकार पर गया। तब एक हिरण का पीछा करके उसने उसे पकड़ लिया और हिरण पर अपने दाँत धँसा दिये। मगर उसके दाँत टूट गये और हिरण भाग गया। शिकारी को कुत्ते पर क्रोध आया। उसने उसको मारने के लिए बंदूक उठायी।
बूढ़े कुत्ते ने कातर निगाहों से मालिक से मानों इस प्रकार कह रहा था कि मुझे मत मारो। मेरा शरीर अब कमज़ोर हो गया है। मेरी जवानी के दिनों की याद करो। मालिक उसकी मूक बात समझ गया और फिर से उससे प्यार करने लगा।
सीखः- बुढ़ापे से कोई बच नहीं सकता।
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