Wednesday, April 14, 2021

कहानी - Kahani / एकता का फल

 

  

कहानी - Kahani

एकता का फल


  
         एक दिन एक शिकारी शिकार खेलने जाल लेकर जंगल में गया। एक जगह पर उसने चावल के दाने छिड़के। उनपर जाल बिछाकर झाड़ियों के बीच छिपकर बैठ गया।

         थोड़ी देर में आसमान में कबूतरों का एक झुंड उड़ता हुआ आया। उस झुंड का मुखिया चित्रग्रीव था। वह बड़ा बुद्धिमान था। जब कबूतरों ने चावल के दाने देखकर नीचे उतरना चाहा तब चित्रग्रीव ने कहा- "इतने घने जंगल के बीच चावल के दाने कहाँ से आये? यह सोचने की बात है। बिना सोचे उतरेंगे, तो विपत्ति में फँस जाएँगे।

         यह सुनकर एक छोटे कबूतर ने कहा- "क्या हम खाने के लिए भी आज़ाद नहीं हैं? इतनी छोटी बात पर भी संदेह करेंगे, तो जीना मुश्किल हो जाएगा। अब की बार आपकी सभी कबूतर बात हम नहीं मानेंगें" उस छोटे कबूतर की बात बाकी कबूतरों को अच्छी लगी। सब कबूतर दाने चुगने नीचे उतरे, तो जाल में फँस गये। अब निंदा करने लगे। छोटे कबूतर की

        चित्रग्रीव ने कहा - "विपत्ति के समय में ही हमें धैर्य रखना चाहिए। किसी की निंदा करने से विपत्ति दूर नहीं होती। सब एक साथ मिलकर उड़ना शुरू करो। बाद में बचने का उपाय सोचेंगे।" यह सुनकर सभी कबूतर एक साथ जाल लेकर ऊपर उड़े। शिकारी ने कुछ दूर तक उनका पीछा किया। लेकिन कबूतर उसकी आँखों से ओझल हो गए। बेचारा शिकारी निराश होकर घर लौटा।

      कबूतर जाल साथ उड़ते-उड़ते एक नदी के किनारे उतरे। वहाँ चित्रग्रीव का एक दोस्त चूहा रहता था। चित्रग्रीव की आवाज़ सुनकर चूहा खुश हुआ। उसने अपने पैने दाँतों से जाल काटकर सब कबूतरों को आज़ाद किया।



    कहानी का सारांश 

     एकता का फल

       एक शिकारी था। उसने एक दिन जंगल में चावल के दाने बिखेरकर उनपर जाल बिछाया। वह झाड़ी के पीछे जाकर छिप गया।

       थोड़ी देर में कबूतर का एक झुंड उड़ते हुए उस ओर आया। इस झुंड का मुखिया चित्रग्रीय था। वह बड़ा बुद्धिमान था। कबूतरों ने दाने को देखा उनको नीचे उतरकर दाने चुगने की इच्छा हुई। यह जानकर चित्रग्रीव ने कहा- "इस निर्जन वन में दाने कहाँ से आये? यह सोचकर ही हमें उतरना है।"

        लेकिन अन्य कबूतरों ने चित्रग्रीव की बात नहीं मानी। सब कबूतर दाने चुगने नीचे उत्तरे। वे जाल में फंस गये। अब कबूतर एक दूसरे की निंदा करने लगे। चित्रग्रीय उनसे बोला- "पहले एक मन से जाल लेकर उन्हेंगे। फिर बचने का उपाय सोचेंगे।"

        सब कबूतर जाल लेकर उड़े। सभी कबूतर एक नदी के किनारे उतरे। वहाँ एक चूहा रहता था। वह चित्रीय का दोस्त था। उसने जाल काटकर कबूतरों को आजाद किया।

सीखः अनुभव का तिरस्कार आपत्ति का बुलावा है।







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