कहानी - Kahani
अमीरी का दंड
एक दिन बादशाह अकबर और उनका प्रिय मंत्री बीरबल साथ-साथ शिकार खेलने निकले। जाड़े का मौसम था। सरदी खूब पड़ रही थी। थोड़ी दूर जाने पर उन्हें सड़क के किनारे एक गरीब आदमी लेटा दिखाई पड़ा। उस आदमी के कपड़े काफ़ी पुराने और फटे थे।
अकबर ने उस आदमी की ओर इशारा करके बीरबल से पूछा, "बीरबल ! क्या यह आदमी मरा पड़ा है ?"
बीरबल ने उस आदमी के पास जाकर ध्यान से देखा। फिर अकबर के पास आकर कहा, "यह आदमी मरा नहीं है। आराम से गहरी नींद सो रहा है।"
अकबर को विश्वास नहीं हुआ। वे बोले "बीरबल, तुम क्या कहते हो? बिछाने को बिस्तर नहीं. ओढ़ने के लिए कंबल नहीं। नीचे कंकड़-पत्थर हैं, ऊपर सर्दी है। गहरी नींद तो आराम से सोनेवाले अमीर ही सो सकते हैं। यह जरूर मौत की नींद सो रहा है।"
बीरबल बोले, "नहीं महाराज! सच मानिए, यह बड़ी मीठी नींद सो रहा है। ऐसी गहरी नींद तो आपको और मुझे भी नहीं आएगी।
अकबर उस आदमी के पास आकर खड़े हुए। ध्यान से देखा तो पता चला कि सचमुच वह गरीब आदमी खूब सो रहा है। अकबर को इसपर बड़ा आश्चर्य हुआ।
भीरबल ने कहा, "जहाँपनाह, अमीरी से नींद का कोई संबंध नहीं है। नींद तो मेहनत करने से आती है। यह गरीब मेहनत करते करते थक गया होगा, तभी इसे ऐसी गहरी जीव आभी होगी। ऐसा सुख परिश्रम से ही मिल सकता है।"
अकबर यह बात मानने के लिए तैयार नहीं थे। उन्होंने कहा, "ऐसी बात नहीं इस आदम को अमीरों का खाना-पीना, ओढना-बिछौना मिले तो यह और भी सुख से सोएगा।" बीरबल ने अकबर की यह बात नहीं मानी।
अकबर अपनी बात साबित करना चाहते थे। उस आदमी को जगाकर अपने साथ महल में ले गये। उसके रहने के लिए एक अलग महल दिया गया। खाने-पीने और आराम करने के सभी साधन उसको दिये गये उस मेहनती गरीब आदमी को वहाँ आराम से पड़े. रहने के सिवाय कोई काम नहीं रह गया।
इस प्रकार पंद्रह दिन बीत गये। नकली अमीर को बुखार हो गया। वह बहुत कष्ट उठा रहा था।
"एक दिन अकबर ने बीरबल से पूछा, "उस गरीब को नींद तो खूब आती होगी न ?"
"हुजूर! जब से वह इस महल में आया है, तभी से रात में ठीक से नहीं सोया। मुलायम गद्दों पर उसे लिटाकर नौकर लोग घंटों उसके पैर दबाते हैं, तब कहीं थोड़ी नींद आती है।"
"क्यों, क्या बात है? जब फटे-पुराने कपड़े के साथ सोया था, तब उसे सर्दी नहीं लगी। यहाँ हवा के झोंकों से सर्दी हो गयी। वहाँ तो वह कंकड़-पत्थर पर मजे से सो लेता था और अब मुलायम गद्दे पर भी नींद नहीं आती। आश्चर्य की बात है।"
"इसमें आश्चर्य की तो कोई बात नहीं है, जहाँपनाह! वह बेचारा अमीरी का कष्ट "भोग रहा है।"
क्या अमीरी से भी कही तकलीफ हो सकती है।
"उसका नमूना यही आदमी है। पहले वह दिन-भर मेहनत करता था. इससे उसका शरीर ठीक रहता था। उसको अच्छी नींद आती थी। अब तो आराम ने उसे बहुत नाजुक बना दिया है। मामूली सरदी गरमी भी वह सह नहीं पाता।"
अकबर को अब भी बीरबल की बात पर विश्वास नहीं हुआ। रात में वे बीरबल को लेकर उस नकली अमीर के महल में गये। वहाँ वह आदमी बिस्तर पर पड़े-पड़े करवटें बदल रहा था। पूछने पर उस आदमी ने कहा, "कुछ न पूछिए जनाब! बिस्तर में कोई चीज़ ऐसी चुभती है कि उसके कारण नींद ही नहीं आती है।"
बीरबल ने अंदर जाकर बिस्तर को टटोला, तो चादर के नीचे एक बिनौला निकला। उसे बादशाह को दिखाकर वे बोले, "देखिए जहाँपनाह! आज इसी के कारण नये अमीर साहब को नींद नहीं आ रही थी। पहले इन्हें कंकड़ भी नहीं चुभते थे, अब तो यह छोटा-सा बीज भी इन्हें इतना कष्ट दे रहा है। लेकिन हाथ से इन्होंने बिस्तर झाड़ने का भी कष्ट नहीं किया। यह सब अमीरी का दंड है। मेहनत न करने का यह नतीजा है।"
अकबर बीरबल की बात मान गये। उन्होंने दूसरे ही दिन उस आदमी को महल से विदा कर दिया और पहले की तरह परिश्रम करने और सुखी जीवन बिताने की सलाह दी।
कहानी का सारांश :
अमीरी का दंड
एक दिन अकबर और बीरबल शिकार खेलने निकले। तब सड़क के किनारे लेटे हुए गरीब आदमी को देखा। अकबर के पूछने पर बीरबल ने उस आदमी के पास जाकर एक देखा और बादशाह से कहा कि वह गहरी नींद सो रहा है।
अकबर बोले कि गहरी नींद सोनेवाले तो अमीर ही हो सकते हैं। इसपर दोनों में वाद-विवाद चला। अकबर ने बीरबल की बात न मानकर उस गरीब आदमी को सभी सुख-सुविधाएँ दीं ।
कुछ दिन बीत जाने पर अकबर को मालूम हुआ कि नकली अमीर को बुखार गया। उसे नींद ठीक तरह से नहीं आती। हो
बीरबल ने अकबर से कहा कि जब यह आदमी दिन भर मेहनत करता था तब रात में उसे अच्छी नींद आती थी। मेहनत न करने का यह नतीजा है। यही अमीरी का दंड है। अकबर बीरबल की बात मान गये।
सीख:- सुखी जीवन बिताने का एक मात्र तरीका परिश्रम ही है।
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