Muhavare
हिन्दी के महत्त्वपूर्ण मुहावरे,
उनके अर्थ और प्रयोग
अ - और
(अ)
1. अंक में समेटना–(गोद में लेना, आलिंगनबद्ध करना)
शिशु को रोता हुआ देखकर माँ का हृदय करुणा से भर आया और उसने उसे अंक में समेटकर चुप किया।
2. अंकुश लगाना–(पाबन्दी या रोक लगाना)
राजेश खर्चीला लड़का था। अब उसके पिता ने उसका जेब खर्च बन्द
करके उसकी फ़िजूलखर्ची पर अंकुश लगा दिया है।
3. अंग बन जाना–(सदस्य बनना या हो जाना)
घर के नौकर रामू से अनेक बार भेंट होने के पश्चात् एक अतिथि ने कहा, “रामू तुम्हें इस घर में नौकरी करते हुए काफी दिन हो गए हैं, ऐसा लगता .. कि जैसे तुम भी इस घर के अंग बन गए हो।”
4. अंग–अंग ढीला होना–(बहुत थक जाना)
सारा दिन काम करते करते, आज अंग–अंग ढीला हो गया है।
5. अण्डा सेना–(घर में बैठकर अपना समय नष्ट करना)
निकम्मे ओमदत्त की पत्नी ने उसे घर में पड़े देखकर एक दिन कह ही दिया, “यहीं लेटे–लेटे अण्डे सेते रहोगे या कुछ कमाओगे भी।”
6. अंगूठा दिखाना–(इनकार करना)
आज हम हरीश के घर ₹10 माँगने गए, तो उसने अँगूठा दिखा दिया।
7. अन्धे की लकड़ी–(एक मात्र सहारा)
राकेश अपने माँ–बाप के लिए अन्धे की लकड़ी के समान है।
8. अंन्धे के हाथ बटेर लगना–(अनायास ही मिलना)
राजेश हाईस्कूल परीक्षा में प्रथम आया, उसके लिए तो अन्धे के हाथ बटेर लग गई।
9. अन्न–जल उठना–(प्रस्थान करना, एक स्थान से दूसरे स्थान पर चले
जाना) रिटायर होने पर प्रोफेसर साहब ने कहा, “लगता है बच्चों, अब तो यहाँ से हमारा अन्न–जल उठ ही गया है। हमें अपने गाँव जाना पड़ेगा।”
10. अक्ल के अन्धे–(मूर्ख, बुद्धिहीन)
“सुधीर साइन्स (साइड) के विषयों में अच्छी पढ़ाई कर रहा था, मगर उस अक्ल के अन्धे ने इतनी अच्छी साइड क्यों बदल दी ?” सुधीर के एक मित्र ने उसके बड़े भाई से पूछा।
11. अक्ल पर पत्थर पड़ना–(कुछ समझ में न आना)
मेरी अक्ल पर पत्थर पड़ गए हैं, कुछ समझ में नहीं आता कि मैं क्या करूँ।
12. अक्ल के पीछे लट्ठ लिए फिरना–(मूर्खतापूर्ण कार्य करना)
तुम हमेशा अक्ल के पीछे लट्ठ लिए क्यों फिरते हो, कुछ समझ–बूझकर काम किया करो।
13. अक्ल का अंधा/अक्ल का दुश्मन होना–(महामूर्ख होना।)
राजू से साथ देने की आशा मत रखना, वह तो अक्ल का अंधा है।
14. अपनी खिचड़ी अलग पकाना–(अलग–थलग रहना, किसी की न
मानना) सुनीता की पड़ोसनों ने उसको अपने पास न बैठता देखकर कहा, “सुनीता तो अपनी खिचड़ी अलग पकाती है, यह चार औरतों में नहीं बैठती।”
15. अपना उल्लू सीधा करना–(स्वार्थ सिद्ध करना)
आजकल के नेता सिर्फ अपना उल्लू सीधा करते हैं।
16. अपने मुँह मियाँ मिठू बनना–(आत्मप्रशंसा करना) राजू अपने मुँह .
मियाँ मिठू बनता रहता है।
17. अक्ल के घोड़े दौड़ाना–(केवल कल्पनाएँ करते रहना)
सफलता अक्ल के घोड़े दौड़ाने से नहीं, अपितु परिश्रम से प्राप्त होती है।
18. अँधेरे घर का उजाला–(इकलौता बेटा)
मयंक अँधेरे घर का उजाला है।
19. अपना सा मुँह लेकर रह जाना–(लज्जित होना)
विजय परीक्षा में नकल करते पकड़े जाने पर अपना–सा मुँह लेकर रह गया।
20. अरण्य रोदन–(व्यर्थ प्रयास)
कंजूस व्यक्ति से धन की याचना करना अरण्य रोदन है।
21. अक्ल चरने जाना–(बुद्धिमत्ता गायब हो जाना)
तुमने साठ साल के बूढ़े से 18 वर्ष की लड़की का विवाह कर दिया, लगता है तुम्हारी अक्ल चरने गई थी।
22. अड़ियल टटू–(जिद्दी)
आज के युग में अड़ियल टटू पीछे रह जाते हैं।
23. अंगारे उगलना–(क्रोध में लाल–पीला होना)
अभिमन्यु की मृत्यु से आहत अर्जुन कौरवों पर अंगारे उगलने लगा।
24. अंगारों पर पैर रखना–(स्वयं को खतरे में डालना)
व्यवस्था के खिलाफ लड़ना अंगारों पर पैर रखना है।
25. अन्धे के आगे रोना–(व्यर्थ प्रयत्न करना)
अन्धविश्वासी अज्ञानी जनता के मध्य मार्क्सवाद की बात करना अन्धे के आगे रोना है।
26. अंगूर खट्टे होना–(अप्राप्त वस्तु की उपेक्षा करना)
अजय, “सिविल सेवकों को नेताओं की चापलूसी करनी पड़ती है” कहकर, अंगूर खट्टे वाली बात कर रहा है, क्योंकि वह परिश्रम के बावजूद नहीं चुना गया।
27. अंगूठी का नगीना–(सजीला और सुन्दर)
विनय कम्पनी की अंगूठी का नगीना है।
28. अल्लाह मियाँ की गाय–(सरल प्रकृति वाला)
रामकुमार तो अल्लाह मियाँ की गाय है।
29. अंतड़ियों में बल पड़ना–(संकट में पड़ना)
अपने दोस्त को चोरों से बचाने के चक्कर में, मैं ही पकड़ा गया और मेरी ही अंतड़ियों में बल पड़ गए।
30. अन्धा बनाना–(मूर्ख बनाकर धोखा देना)
अपने गुरु को अन्धा बनाना सरल कार्य नहीं है, इसलिए मुझसे ऐसी बात मत करो।
31. अंग लगाना–(आलिंगन करना)
प्रेमिका को बहुत समय पश्चात् देखकर रवि ने उसे अंग लगा लिया।
32. अंगारे बरसना–(कड़ी धूप होना)
जून के महीने में अंगारे बरस रहे थे और रिक्शा वाला पसीने से लथपथ था।
33. अक्ल खर्च करना–(समझ को काम में लाना)
इस समस्या को हल करने में थोड़ी अक्ल खर्च करनी पड़ेगी।
34. अड्डे पर चहकना–(अपने घर पर रौब दिखाना)
अड्डे पर चहकते फिरते हो, बाहर निकलो तो तुम्हें देखा जाए।
35. अन्धाधुन्ध लुटाना–(बहुत अपव्यय करना)
उद्योगपतियों और बड़े व्यापारियों की बीवियाँ अन्धाधुन्ध पैसा लुटाती हैं।
36. अपनी खाल में मस्त रहना–(अपनी दशा से सन्तुष्ट रहना)
संजय 4000 रुपए कमाकर अपनी खाल में मस्त रहता है।
37. अन्न न लगना–(खाकर–पीकर भी मोटा न होना)
अभय अच्छे से अच्छा खाता है, लेकिन उसे अन्न नहीं लगता।
38. अधर में लटकना या झूलना–(दुविधा में पड़ा रह जाना)
कल्याण सिंह भाजपा में पुन: शामिल होंगे यह फैसला बहुत दिन तक अधर में लटका रहा।
39. अठखेलियाँ सूझना–(हँसी दिल्लगी करना)
मेरे चोट लगी हुई है, उसमें दर्द हो रहा है और तुम्हें अठखेलियाँ सूझ रही हैं।
40. अंग न समाना–(अत्यन्त प्रसन्न होना)
सिविल सेवा में चयन से अनुराग अंग नहीं समा रहा है।
41. अंगूठे पर मारना–(परवाह न करना)
तुम अजीब व्यक्ति हो, सभी की सलाह को अंगूठे पर मार देते हो।
42. अंटी मारना–(कम तौलना)
बहुत से पंसारी अंटी मारने से बाज नहीं आते।
43. अंग टूटना–(थकावट से शरीर में दर्द होना)
दिन भर काम करा अब तो अंग टूट रहे हैं।
44. अंधेर नगरी–(जहाँ धांधली हो)
पूँजीवादी व्यवस्था ‘अंधेर नगरी’ बनकर रह गई है।
45. अंकुश न मानना–(न डरना)
युवा पीढ़ी किसी का अंकुश मानने को तैयार नहीं है।
46. अन्न का टन्न करना–(बनी चीज को बिगाड़ देना)
अभी–अभी हुए प्लास्टर पर तुमने पानी डालकर अन्न का टन्न कर दिया।
47. अन्न–जल बदा होना–(कहीं का जाना और रहना अनिवार्य हो जाना)
हमारा अन्न–जल तो मेरठ में बदा है।
48. अधर काटना–(बेबसी का भाव प्रकट करना)
पुलिस द्वारा बेटे की पिटाई करते देख पिता ने अपने अधर काट लिए।
49. अपनी हाँकना–(आत्म श्लाघा करना)
विवेक तुम हमारी भी सुनोगे या अपनी ही हाँकते रहोगे।
50. अर्श से फर्श तक–(आकाश से भूमि तक)
भ्रष्टाचार में लिप्त बाबूजी बड़ी शेखी बघारते थे, एक मामले में निलंबित होने पर वे अर्श से फर्श पर आ गए।
51. अलबी–तलबी धरी रह जाना–(निष्प्रभावी होना)
बहुत ज्यादा परेशान करोगी तो तुम्हारे घर शिकायत कर दूंगा। सारी अलबी–तलबी धरी रह जाएगी।
52. अस्ति–नास्ति में पड़ना–(दुविधा में पड़ना)
दो लड़कियों द्वारा पसन्द किए जाने पर वह अस्ति–नास्ति में पड़ा हुआ है और कुछ निश्चय नहीं कर पा रहा है।
53. अन्दर होना–(जेल में बन्द होना)
मायावती के राज में शहर के अधिकतर गुण्डे अन्दर हो गए।
54. अरमान निकालना–(इच्छाएँ पूरी करना)।
बेरोज़गार लोग नौकरी मिलने पर अरमान निकालने की सोचते हैं।
(आ)
55. आग पर तेल छिड़कना–(और भड़काना)
बहुत से लोग सुलह सफ़ाई करने के बजाय आग पर तेल छिड़कने में प्रवीण होते हैं।
56. आग पर पानी डालना–(झगड़ा मिटाना)
भारत व पाक आपसी समझबूझ से आग पर पानी डाल रहे हैं।
57. आग–पानी या आग और फूस का बैर होना–(स्वाभाविक शत्रुता होना)
भाजपा और साम्यवादी पार्टी में आग–पानी या आग और फूस का बैर है।
58. आँख लगना–(झपकी आना)
रात एक बजे तक कार्य किया, फिर आँख लग गई।
59. आँखों से गिरना–(आदर भाव घट जाना)
जनता की निगाहों से अधिकतर नेता गिर गए हैं।
60. आँखों पर चर्बी चढ़ना–(अहंकार से ध्यान तक न देना)
पैसे वाले हो गए हो, अब क्यों पहचानोगे, आँखों पर चर्बी चढ़ गई है ना।
61. आँखें नीची होना–(लज्जित होना)
बच्चों की करतूतों से माँ–बाप की आँखें नीची हो गईं।
62. आँखें मूंदना–(मर जाना)
आजकल तो बाप के आँखें मूंदते ही बेटे जायदाद का बँटवारा कर लेते हैं।
63. आँखों का पानी ढलना (निर्लज्ज होना)
अब तो तुम किसी की नहीं सुनते, लगता है, तुम्हारी आँखों का पानी ढल गया है।
64. आँख का काँटा–(बुरा होना)
मनोज मुझे अपनी आँख का काँटा समझता है, जबकि मैंने कभी उसका बुरा नहीं किया।
65. आँख में खटकना–(बुरा लगना)
स्पष्टवादी व्यक्ति अधिकतर लोगों की आँखों में खटकता है।
66. आँख का उजाला–(अति प्रिय व्यक्ति)
राज अपने माता–पिता की आँखों का उजाला है।
67. आँख मारना–(इशारा करना)
रमेश ने सुरेश को कल रात वाली बात न बताने के लिए आँख मारी।
68. आँखों पर परदा पड़ना–(धोखा होना)
शर्मा जी ने सच्चाई बताकर, मेरी आँखों से परदा हटा दिया।
69. आँख बिछाना–(स्वागत, सम्मान करना)
रामचन्द्र जी की अयोध्या वापसी पर अयोध्यावासियों ने उनके स्वागत में आँखें बिछा दीं।
70. आँखों में धूल डालना–(धोखा देना)
सुभाषचन्द्र बोस अंग्रेज़ों की आँखों में धूल डालकर, अपने आवास से निकलकर विदेश पहुँच गए।
71. आँख में घर करना–(हृदय में बसना)
विभा की छवि राज की आँखों में घर कर गई।
72. आँख लगाना– (बुरी अथवा लालचभरी दृष्टि से देखना)
चीन अब भी भारत की सीमाओं पर आँख लगाये हुए हैं।
73. आँखें ठण्डी करना–(प्रिय–वस्तु को देखकर सुख प्राप्त करना)
पोते को वर्षों बाद देखकर बाबा की आँखें ठण्डी हो गईं।
74. आँखें फाड़कर देखना–(आश्चर्य से देखना)
ऐसे आँखें फाड़कर क्या देख रही हो, पहली बार मिली हो क्या?
75. आँखें चार करना–(आमना–सामना करना)
एक दिन अचानक केशव से आँखें चार हुईं और मित्रता हो गई।
76. आँखें फेरना–(उपेक्षा करना)
जैसे ही मेरी उच्च पद प्राप्त करने की सम्भावनाएँ क्षीण हुईं, सबने मुझसे आँखें फेर ली।
77. आँख भरकर देखना–(इच्छा भर देखना)
जी चाहता है तुम्हें आँख भरकर देख लूँ, फिर न जाने कब मिलें।
78. आँख खिल उठना–(प्रसन्न हो जाना)
पिता जी ने जैसे ही अपने छोटे से बच्चे को देखा, वैसे ही उनकी आँख खिल उठी।
79. आँख चुराना–(कतराना)
जब से विजय ने अजय से उधार लिया है, वह आँख चुराने लगा है।
80. आँख का काजल चुराना–(सामने से देखते–देखते माल गायब
कर देना) विवेक के देखते ही देखते उसका सामान गायब हो गया; जैसे किसी ने उसकी आँख का काजल चुरा लिया हो।
81. आँख निकलना–(विस्मय होना)
अपने खेत में छिपा खजाना देखकर गोधन की आँख निकल आई।
82. आँख मैली करना–(दिखावे के लिए रोना/बुरी नजर से देखना)
अरुण ने अपने घनिष्ठ मित्र की मृत्यु पर भी केवल अपनी आँखें ही मैली की।
83. आँखों में धूल झोंकना–(धोखा देना)
कुछ डकैत पुलिस की आँखों में धूल झोंककर मुठभेड़ से बचकर निकल गए।
84. आँखें दिखाना–(डराने–धमकाने के लिए रोष भरी दृष्टि से देखना)
रामपाल ने अपने ढीठ बेटे को जब तक आँखें न दिखायीं, तब तक उसने उनका कहना नहीं माना।
85. आँखें तरेरना–(क्रोध से देखना)
पैसे न हो तो पत्नी भी आँखें तरेरती है।
86. आँखों का तारा–(अत्यन्त प्रिय)
इकलौता बेटा अपने माँ–बाप की आँखों का तारा होता है।
87. आटा गीला होना–(कठिनाई में पड़ना)
सुबोध को एंक के पश्चात् दूसरी मुसीबत घेर लेती है, आर्थिक तंगी में। उसका आटा गीला हो गया।
88. आँचल में बाँधना–(ध्यान में रखना)
पति–पत्नी को एक–दूसरे पर विश्वास करना चाहिए, यह बात आँचल में बाँध लेनी चाहिए।
89. आकाश में उड़ना–(कल्पना क्षेत्र में घूमना)
बिना धन के कोई व्यापार करना आकाश में उड़ना है।
90. आकाश–पाताल एक करना–(कठिन परिश्रम करना)
मैं व्यवस्था को बदलने के लिए आकाश–पाताल एक कर दूंगा।
91. आकाश–कुसुम होना–(दुर्लभ होना)
किसी सामान्य व्यक्ति के लिए विधायक का पद आकाश–कुसुम हो गया
92. आसमान सिर पर उठाना–(उपद्रव मचाना)
शिक्षक की अनुपस्थिति में छात्रों ने आसमान सिर पर उठा लिया।
93. आगा पीछा करना–(हिचकिचाना)
सेठ जी किसी शुभ कार्य हेतु चन्दा देने के लिए आगा पीछा कर रहे हैं।
94. आकाश से बातें करना–(काफी ऊँचा होना)
दिल्ली में आकाश से बातें करती बहुत–सी इमारतें हैं।
95. आवाज़ उठाना–(विरोध में कहना)
वर्तमान व्यवस्था के विरोध में मीडिया में आवाज़ उठने लगी है।
96. आसमान से तारे तोड़ना–(असम्भव काम करना)
अपनी सामर्थ्य समझे बिना ईश्वर को चुनौती देकर तुम आकाश से तारे तोड़ना चाहते हो?
97. आस्तीन का साँप–(विश्वासघाती मित्र)
राज ने निर्भय की बहुत सहायता की लेकिन वह तो आस्तीन का साँप निकला।
98. आठ–आठ आँसू रोना–(बहुत पश्चात्ताप करना)
दसवीं कक्षा में पुन: अनुत्तीर्ण होकर रमेश ने आठ–आठ आँसू रोये थे।
99. आसन डोलना–(विचलित होना)
विश्वामित्र की तपस्या से इन्द्र का आसन डोल गया।
100. आग–पानी साथ रखना–(असम्भव कार्य करना)
अहिंसा द्वारा भारत में क्रान्ति लाकर गाँधीजी ने आग–पानी साथ रख दिया।
101. आधी जान सूखना–(अत्यन्त भय लगना)
घर में चोरों को देखकर लालाजी की आधी जान सूख गई।
102. आपे से बाहर होना–(क्रोध से अपने वश में न रहना)
फ़िरोज़ खिलजी ने आपे से बाहर होकर फ़कीर को मरवा दिया।
103. आग लगाकर तमाशा देखना–(लड़ाई कराकर प्रसन्न होना)
हमारे मुहल्ले के संजीव का कार्य तो आग लगाकर तमाशा देखना है।
104. आगे का पैर पीछे पड़ना–(विपरीत गति या दशा में पड़ना)
सुरेश के दिन अभी अच्छे नहीं हैं, अब भी आगे का पैर पीछे पड़ रहा है।
105. आटे दाल की फ़िक्र होना–(जीविका की चिन्ता होना)
पढ़ाई समाप्त होते ही तुम्हें आटे दाल की फ़िक्र होने लगी है।
106. आधा तीतर आधा बटेर–(बेमेल चीजों का सम्मिश्रण)
सुधीर अपनी दुकान पर किताबों के साथ साज–शृंगार का सामान बेचना चाहता है। अनिल ने उसे समझाया आधा तीतर आधा बटेर बेचने से बिक्री कम रहेगी।
107. आग लगने पर कुआँ खोदना–(पहले से कोई उपाय न करना)
शर्मा जी ने मकान की दीवारें खड़ी करा लीं, लेकिन जब लैन्टर डलने का समय आया, तो उधार लेने की बात करने लगे। इस पर मिस्त्री झल्लाया–शर्मा जी आप तो आग लगने पर कुआँ खोदने वाली बात कर रहे हो।
108. आव देखा न ताव–(बिना सोचे–विचारे)
शिक्षक ने आव देखा न ताव और छात्र को पीटना शुरू कर दिया।
109. आँखों में खून उतरना–(अत्यधिक क्रोधित होना)
आतंकवादियों की हरकत देखकर पुलिस आयुक्त की आँखों में खून उतर आया था।
110. आग बबूला होना–(अत्यधिक क्रोधित होना)
कई बार मना करने पर भी जब दिनेश नहीं माना, तो उसके चाचा जी उस पर आग बबूला हो उठे।
111. आसमान से गिरकर खजूर के पेड़ पर अटकना–(उत्तम स्थान को
त्यागकर ऐसे स्थान पर जाना जो अपेक्षाकृत अधिक कष्टप्रद हो) बैंक की नौकरी छोड़ने के बाद किराना स्टोर करने पर दयाशंकर को ऐसा लगा कि वह आसमान से गिरकर खजूर के पेड़ पर अटक गया है।
112. आप मरे जग प्रलय–(मृत्यु उपरान्त मनुष्य का सब कुछ छूट जाना)
रामदीन मृत्यु–शैय्या पर पड़ा अपने बेटों के कारोबार के बारे में रह–रह पूछं रहा था। उसके पास एकत्र मित्रों में से एक ने दूसरे से कहा, “आप मरे जग प्रलय, रामदीन को बेटों के कारोबार की चिन्ता अब भी सता रही है।”
113. आसमान टूटना–(विपत्ति आना)
भाई और भतीजे की हत्या का समाचार सुनकर, मुख्यमन्त्री जी पर आसमान टूट पड़ा।
114. आटे दाल का भाव मालूम होना–(वास्तविकता का पता चलना)
अभी माँ–बाप की कमाई पर मौज कर लो, खुद कमाओगे तो आटे दाल का भाव मालूम हो जाएगा।
115. आड़े हाथों लेना–(खरी–खोटी सुनाना)
वीरेन्द्र ने सुरेश को आड़े हाथों लिया।
(इ)
116. इधर–उधर की हाँकना–(अप्रासंगिक बातें करना)
आजकल कुछ नवयुवक इधर–उधर की हाँकते रहते हैं।
117. इज्जत उतारना–(सम्मान को ठेस पहुँचाना)
दीनानाथ से बीच बाज़ार में जब श्यामलाल ने ऊँचे स्वर में कर्ज वसूली की बात की तो दीनानाथ ने श्यामलाल से कहा, “सरेआम इज्जत मत उतारो, आज शाम घर आकर अपने रुपए ले जाना।”
118. इतिश्री करना–(कर्त्तव्य पूरा करना/सुखद अन्त होना)
अपनी दोनों कन्याओं की शादी करके रामसिंह ने अपने कर्त्तव्य की इतिश्री कर ली।
119. इशारों पर नाचना–(गुलाम बनकर रह जाना)
बहुत से व्यक्ति अपनी पत्नी के इशारों पर नाचते हैं।
120. इधर की उधर करना–(चुगली करके भड़काना)
मनोज की इधर की उधर करने की आदत है, इसलिए उस पर विश्वास मत करना।
121. इन्द्र की परी–(अत्यन्त सुन्दर स्त्री)
राजेन्द्र की पत्नी तो इन्द्र की परी लगती है।
122. इन तिलों में तेल नहीं–(किसी भी लाभ की आशा न करना)
कपिल ने कारखाने को देख सोच लिया इन तिलों में तेल नहीं और बैंक से ऋण लेकर बहन का विवाह किया।
(ई)
123. ईंट से ईंट बजाना–(नष्ट–भ्रष्ट कर देना)
असामाजिक तत्त्व रात–दिन ईंट से ईंट बजाने की सोचा करते हैं।
124. ईंट का जवाब पत्थर से देना–(दुष्ट के साथ दुष्टता करना)
दुश्मन को सदैव ईंट का जवाब पत्थर से देना चाहिए।
125. ईद का चाँद होना–(बहुत दिनों बाद दिखाई देना)
रमेश आप तो ईद का चाँद हो गए, एक वर्ष बाद दिखाई दिए।
126. ईंट–ईंट बिक जाना–(सर्वस्व नष्ट हो जाना)
“चाचाजी का व्यापार फेल हो गया और उनकी ईंट–ईंट बिक गई।”
127. ईमान देना/बेचना–(झूठ बोलना अथवा अपने धर्म, सिद्धान्त आदि के
विरुद्ध आचरण करना) इस महँगाई के दौर में लोग अपना ईमान बेचने से भी नहीं डर रहे हैं।
(उ)
128. उँगली उठाना–(इशारा करना, आलोचना करना।)
सच्चे और ईमानदार व्यक्ति पर उँगली उठाना व्यर्थ है।
129. उँगली पर नचाना–(वश में रखना)
श्रीकृष्ण गोपियों को अपनी उँगली पर नचाते थे।।
130. उड़ती चिड़िया पहचानना–(दूरदर्शी होना)
हमसे चाल मत चलो, हम भी उड़ती चिड़िया पहचानते हैं।
131. उँगलियों पर गिनने योग्य–(संख्या में न्यूनतम/बहुत थोड़े)
भारत की सेना में उस समय उँगलियों पर गिनने योग्य ही सैनिक थे, जब उन्होंने पाकिस्तानी सेना के छक्के छुड़ा दिए थे।
132. उजाला करना–(कुल का नाम रोशन करना)
आई. ए. एस. परीक्षा में उत्तीर्ण होकर बृजलाल ने अपने कुल में उजाला कर दिया।
133. उल्लू बोलना–(उजाड़ होना)
पुराने शानदार महलों के खण्डहरों में आज उल्लू बोलते हैं।
134. उल्टी गंगा बहाना–(नियम के विरुद्ध कार्य करना)
भारत कला और दस्तकारी का सामान निर्यात करता है, फिर भी कुछ लोग विदेशों से कला व दस्तकारी का सामान मँगवाकर उल्टी गंगा बहाते हैं।
135. उल्टी खोपड़ी होना–(ऐसा व्यक्ति जो उचित ढंग के विपरीत आचरण करता हो)
“चौधरी साहब, आपका छोटा बेटा बिल्कुल उल्टी खोपड़ी का है, आज फिर वह गाँव में उपद्रव मचा आया।” वृद्ध ने चौधरी को बताया।
136. उल्टे छुरे से मूंडना–(किसी को मूर्ख बनाकर उससे धन ऐंठना या अपना काम निकालना)
यह पुरोहित यजमानों को उल्टे छुरे से मूंडने में सिद्धहस्त है।
137. उँगली पकड़ते ही पहुँचा पकड़ना–(अल्प सहारा पाकर सम्पूर्ण की
प्राप्ति हेतु उत्साहित होना) रामचन्द्र ने नौकर को एक कमरा मुफ़्त में रहने के लिए दे दिया; थोड़े समय बाद वह परिवार को साथ ले आया और चार कमरों को देने का आग्रह करने लगा। इस पर रामचन्द्र ने कहा, तुम तो उँगली पकड़ते ही पहुँचा पकड़ने की बात कर रहे हो।
138. उन्नीस बीस होना–(दो वस्तुओं में थोड़ा बहुत अन्तर होना)
दुकानदार ने बताया कि दोनों कपड़ों में उन्नीस बीस का अन्तर है।
139. उल्टी पट्टी पढ़ाना–(बहकाना)
तुम मैच खेल रहे थे और मुझे उल्टी पट्टी पढ़ा रहे हो कि स्कूल बन्द था और मैं स्कूल से दोस्त के घर चला गया था।
140. उड़न छू होना–(गायब हो जाना)
रीता अभी तो यहीं थी, मिनटों में कहाँ उड़न छू हो गई।
141. उबल पड़ना–(एकदम गुस्सा हो जाना)
सक्सेना साहब तो थोड़ी–सी बात पर ही उबल पड़ते हैं।
142. उल्टी माला फेरना–(अहित सोचना)
अपने दोस्त के नाम की उल्टी माला फेरना बुरी बात है।
143. उखाड़ पछाड़ करना–(त्रुटियाँ दिखाकर कटूक्तियाँ करना)
उखाड़ पछाड़ करने में ही तुम निपुण हो, लेकिन त्रुटियाँ दूर करना तुम्हारे वश की बात नहीं है।
144. उम्र का पैमाना भर जाना–(जीवन का अन्त नज़दीक आना)।
वह अब बूढ़ा हो गया है, उसकी उम्र का पैमाना भर गया।
145. उरद के आटे की तरह ऐंठना–(क्रोध करना)
आप बहल पर उरद के आटे की तरह ऐंठ रहे हो, उसका कोई दोष नहीं है।
146. ऊँचे नीचे पैर पड़ना–(बुरे काम में फँसना)
अनुज में बहुत–सी गन्दी आदतें आ गई हैं, उसके पैर ऊँचे–नीचे पड़ने लगे हैं।
147. ऊँट की चोरी झुके–झुके–(किसी निन्दित, किन्तु बड़े कार्य को गुप्त
ढंग से करने की चेष्टा करना) हमारे नेताओं ने घोटाला करने की चेष्टा करके उँट की चोरी झुके–झुके को सिद्ध कर दिया है।
148. ऊँट का सुई की नोंक से निकलना–(असम्भव होना)
पूँजीवादी व्यवस्था में आम जनता का जीवन सुधरना ऊँट का सुई की नोंक से निकलना है।
149. ऊधौ का लेना न माधौ का देना–(किसी से किसी प्रकार का सम्बन्ध न
रखना) वह बेचारा दीन–दुनिया से इतना तंग आ गया है कि अब वह सबके साथ ‘ऊधो का लेना, न माधौ का देना’ की तरह का व्यवहार करने लगा है।
(ए)
150. एक ही लकड़ी से हाँकना–(अच्छे–बुरे की पहचान न करना)
कुछ अधिकारी सभी कर्मचारियों को एक ही लकड़ी से हाँकते हैं।
151. एक ही थैली के चट्टे–बट्टे होना–(सभी का एक जैसा होना)
आजकल के सभी नेता एक ही थैली के चट्टे–बट्टे हैं।
152. एड़ियाँ घिसना / रगड़ना–(सिफ़ारिश के लिए चक्कर लगाना)
इस दौर में अच्छे पढ़े–लिखे लोगों को भी नौकरी ढूँढने के लिए एड़ियाँ घिसनी पड़ती हैं।
153. एक म्यान में दो तलवारें–(एक वस्तु या पद पर दो शक्तिशाली
व्यक्तियों का अधिकार नहीं हो सकता) विद्यालय की प्रबन्ध–समिति ने दो–दो प्रधानाचार्यों की नियुक्ति करके एक म्यान में दो तलवारों वाली बात कर दी है।
154. एक ढेले से दो शिकार–(एक कार्य से दो उद्देश्यों की पूर्ति करना)
पुलिस दल ने बदमाशों को मारकर एक ढेले से दो शिकार किए। उन्हें पदोन्नति मिली और पुरस्कार भी मिला।
155. एक की चार लगाना–(छोटी बातों को बढ़ाकर कहना)
रमेश तुम तो अब हर बात में एक की चार लगाते हो।
156. एक आँख से देखना–(सबको बराबर समझना)
राजा का कर्तव्य है कि वह सभी नागरिकों को एक आँख से देखे।
157. एड़ी–चोटी का पसीना एक करना–(घोर परिश्रम करना)
रिक्शे वाले एड़ी–चोटी पसीना एक कर रोजी कमाते हैं।
158. एक–एक नस पहचानना–(सब कुछ समझना)
मालिक और नौकर एक–दूसरे की एक–एक नस पहचानते हैं।
159. एक घाट पानी पीना–(एकता और सहनशीलता होना)
राजा कृष्णदेवराय के समय शेर और बकरी एक घाट पानी पीते थे।
160. एक पंथ दो काज–(एक कार्य के साथ दूसरा कार्य भी पूरा करना)
आगरा में मेरी परीक्षा है, इस बहाने ताजमहल भी देख लेंगे। चलो मेरे तो एक पंथ दो काज हो जाएंगे।
161. एक और एक ग्यारह होते हैं–(संघ में बड़ी शक्ति है)
भाइयों को आपस में लड़ना नहीं चाहिए, क्योंकि एक और एक ग्यारह होते हैं।
162. ऐसी–तैसी करना–(दुर्दशा करना)
“भीमा मुझे बचा लो, वरना वह मेरी ऐसी–तैसी कर देगा।” लल्लूराम ने भीमा के पास जाकर गुहार की।
163. ऐबों पर परंदा डालना–(अवगुण छुपाना)
प्राय: लोग झूठ–सच बोलकर अपने ऐबों पर परदा डाल लेते हैं।
(ओ)
164. ओखली में सिर देना–(जानबूझकर अपने को जोखिम में डालना)
“अपने से चार गुना ताकतवर व्यक्ति से उलझने का मतलब है, ओखली में सिर देना, समझे प्यारे।” राजू ने रामू को समझाते हुए कहा।
165. ओस पड़ जाना–(लज्जित होना)
ऑस्ट्रेलिया से एक दिवसीय श्रृंखला बुरी तरह हारने से भारतीय टीम पर ओस पड़ गई।
166. ओले पड़ना–(विपत्ति आना)
देश में पहले भूकम्प आया फिर अनावृष्टि हुई; अब आवृष्टि हो रही है। सच में अब तो चारों ओर से सिर पर ओले ही पड़ रहे हैं।
(औ)
167. औने–पौने करना–(जो कुछ मिले उसे उसी मूल्य पर बेच देना)
रखे रखे यह कूलर अब खराब हो गया है, इसको तुरन्त ही औने–पौने में कबाड़ी के हाथ बेच दो।
168. औंधे मुँह गिरना–(पराजित होना)
आज अखाड़े में एक पहलवान ने दूसरे पहलवान को ऐसा दाँव मारा कि वह औंधे मुँह गिर गया।
169. औंधी खोपड़ी–(मूर्खता)
वह तो औंधी खोपड़ी है उसकी बात का क्या विश्वास।
170. औकात पहचानना–(यह जानना कि किसमें कितनी सामर्थ्य है)
“हमारे अधिकारी तुम जैसे नेताओं की औकात पहचानते हैं। चलिए, बाहर निकलिए।” चपरासी ने छोटे नेताओं को ऑफिस से भगाते हुए कहा।
171. और का और हो जाना–(पहले जैसा ना रहना, बिल्कुल बदल जाना)
विमाता के घर आते ही अनिल के पिताजी और के और हो गए।
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