दस मिनट
डॉ. रामकुमार हिन्दी एकांकी के जनक माने जाते हैं। 'दस मिनट' डॉ वर्मा की लिखित हृदयस्पर्शी एकांकी है।
महादेव और बलदेव दोनों अच्छे मित्र हैं। वासंती, बलदेव की बहन है। बलदेव अपनी बहन से बहुत प्यार करता है। केशव वासंती को मैली दृष्टि से देखता है। इसलिए बलदेव केशव का खून कर देता है। जब वह महादेव को यह बात बताता है तो महादेव कहता है कि उस पापी केशव की आँखों में छुरी घुसेड देनी चाहिए थी। उसकी बात सुनकर बलदेव मृत केशव की आँखों में छुरी घुसेडने के लिए चला जाता है।
पुलिस बलदेव का पीछा करती हुई महादेव तक आ पहुँचती है। जब पुलिस महादेव से पूछताछ करती है तो वह बताता है कि दस मिनट के बाद आइए, खूनी आपको मिल जाएगा। पुलिस के बाहर जाते ही बलदेव वहाँ आता है। महादेव उसको नया कुरता पहनने को देता है। वह बलदेव के खून से रंगे कुरते और छुरी को ले लेता है और बलदेव को भेज देता है।
जब दस मिनट बाद पुलिस आती है तो खुद खून से रंगे कुरते को पहनकर और हाथ में छुरी लिये महादेव खुद को केशव का खूनी कहकर अपने आपको पुलिस के हवाले करता है।
इस तरह महादेव न केवल अपने मित्र को सजा से बचाता है बल्कि अपने घनिष्ठ मित्र के लिए खुद सजा भुगतने तैयार हो जाता है।
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