“सभ्यता का रहस्य” नामक यह पाठ का लेखक है उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद । हिन्दी कहानी साहित्य तथा गद्य साहित्य में प्रेमचंद अतुल तथा अमर है ।
सभ्यता का रहस्य नामक इस पाठ में यह बात समझाते हैं कि बुरे काम करने पर भी उसमें पर्दा डालने की आदत आपमें है तो आप सभ्य हैं अन्यथा असभ्य माने जायेंगे ।
राय रत्न किशोर बाहर से अत्यंत सभ्य दिखायी देनेवाले आदमी हैं । वे अपने आपको सभ्य दिखाने के लिए कभी रिश्वत खुल्लम खुल्ला नहीं लेतेथे। लेकिन वे अपना भत्ता बढाने के लिए बहुत दौरे पर जाया करते थे उनका व्यवहार ऐसा था कि सब उसे सभ्य मानव मानते थे ।
दमडी उसके घर का नौकर था । रात-दिन काम करता था। उसका घर थोडी दूर पर था । कल रात को वह किसी कारण आ नहीं सका । राय साहब उसे डाँटने लगे और रात के पैसे काट लिये । दो रुपये का जुरमाना लगा ।
शहर का एक रईस खून के मामले में फँस गया । उसकी पत्नी राय साहब की पत्नी से आकर मिली। दोनों में बातचीत होने लगी। उसकी पत्नी ने बीस हजार का एक बड़ा रकम दिया। पत्नी उसे ले आकर संदूक में रख दी। अपने पति को सारा हाल बता दिया ।
दमडी के बैल भूखे मर रहे थे । उनको देने के लिए चारा नहीं था । आधी रात को उसकी आँखें खुलीं । अपने सामने भूखे बैलों को देखकर उससे रहा नहीं गया । वह बलदेव महतो के खेत से रात भर के लिए चारा निकाला और पुलिस से पकडा गया । रायसाहब ने अपने नौकर को छ महीने की सजा सुनायी । रईस को जमानत दे दी ।
आप बुरे से बुरे काम करें लेकिन अगर आप उसपर पर्दा डाल सकते हैं तो आप सभ्य हैं, सज्जन हैं, जैंटिलमेन है। नहीं तो आप असभ्य है । यही सभ्यता का रहस्य है ।
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शुभकामना
राष्ट्रकवि श्री मैथिलीशरण गुप्त शुभकामना नामक इस कविता में भारतवासी के कल्याण की कामना करते हैं। उनकी भलाई के लिए ईश्वर से प्रार्थना करते हैं ।
कवि भगवान से कहते हैं इस देश को हे भगवान आप फिर से अपनाइए । भारत को फिर से पुण्य भूमि बनाइए । यहाँ का जीवन जड के समान है । आप भारतवासी को आश्रय देकर इनके विघ्न बाधा आदि दूर कर जीवन में नया रंग लाइए ।
यहाँ के सब जनता के नसों में हमारे पूर्वजों के पुण्य से भरा खून का प्रवाह हो । हर भारतवासी में गुण, साहस, बल के साथ हर कार्य करने का उत्साह सदा रहें । भारतवासी में आपसी प्रेम भाव हो । एक दूसरे को समझने तथा मदद करने की भावना भरी रहें।
भारतवासी में विद्या, कला तथा सारी क्षमता भरी रहें । उनमें आलस्य भावना के साथ पाप कभी नहीं हो । सुख और दुख में राष्ट्रीयता का ही राग हर भारतीय में हो ।
भारतवासी का लक्ष्य सदा ही पुण्य के पक्ष में रहें। कभी भी उपलक्ष्य के पीछे पडकर पुण्य पथ से वे कभी न हटें। हरेक व्यक्ति अपने कर्तव्य को सही तरह निभाने तैयार रहें। संपत्ति, विपत्ति याने सुख या दुख में वे सदा सत्य का साथ देना ही अपने हृदय में भरे रखें । कवि चाहते हैं कि भारतवासी सदा सुखी रहें ।
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