शब्दों के रूप
शब्दों के रूप कई प्रकार के होते हैं । उनमें से कुछ निम्न हैं
1. पर्यायवाची शब्द
ऐसे दो या दो से अधिक शब्दों को जिनका अर्थ समान हो, 'पर्यायवाची' शब्द कहते हैं ।
सूर्य= रवि, दिनकर, भानु, दिवाकर, सविता ।
मेघ=बादल, अभ्र, जलधर, वारिद ।
जल=सलिल, पानी, नीर, श्रम्बु ।
रात्रि=रात. निशा, रजनी ।
चाँद =चन्द्र, शशि, निशाकर, इन्दु, विधु ।
घर=गृह, भवन, सदन, निकेतन, गेह ।
पहाड़= पर्वत, गिरि, शैल, अचल ।
राजा= नृप, भूपति, नृपति, पार्थिव ।
शेर=सिंह, केसरी, मृगपति, हरि, मृगराज।
आग=अग्नि, वह्नि, अनल, पावक ।
स्त्री =नारी, महिला, अंगना, रमणी।
4. अनेकार्थक शब्द
जो एक ही शब्द अनेक अर्थों में प्रयुक्त होते हैं, उन्हें 'अनेकार्थक' कहते हैं।
जैसे-
उत्तर-श्रुवतारा सदा उत्तर की ओर रहता है। (दिशा का नाम)
प्रश्न का उत्तर दो। (जवाब)
कर-सरकार ने जनता पर कर लगाया। (टैक्स)
आपके कर-कमलों का लिखा पत्र मिला। (हाथ)
कर के कारण हाथी को करी कहते हैं। (सूंड)
काम कर। (करना क्रिया)
सूर्य-कर-प्रकाशित दिशाएँ । (किरण)
इसी प्रकार
अर्थ-अभिप्राय, घन, प्रयोजन, हेतु
अम्बर-वस्त्र, आकाश
आलि-पंक्ति, सखी
गुरु- श्रेष्ठ, भारी, अध्यापक
गुण-विशेषता, रस्सी, सतोगुण आदि
ग्रहण-पकड़ना, (सूर्य) ग्रहण
घन-बादल, गाढा, दृढ़ तनु-शरीर, छोटा
द्विज-ब्राह्मण, पक्षी, दांत, चाँद
नाग-हाथी, साँप
तात-प्रिय, पिता, भाई
पक्ष--पंख, पन्द्रह, दिन
पत्र-चिट्ठी, पन्ना, पंख, पता
पतंग--सूर्य, पक्षी, गुड्डी
वर्ण-अक्षर, रंग, चार वर्ण
बर-वरदान, दूल्हा, उत्तम
विहार–बौद्ध-मन्दिर, विहरण करना
पंच-पंचायत के अधिकारी, पाँच
जड़-मूल, अचेतन, मूर्ख
गिरा-वाणी, 'गिरना' क्रिया का भूतकाल
काम-कार्य, वासना
मधु-शहद, मीठा, वसन्त, शराब, राक्षस का नाम
विधि-कानून, नियम, ब्रह्मा
मान-ब्रदर, रंग, प्रम
राग-गाना, रंग, प्रेम
5. पशु-पक्षियों की बोलियों के द्योतक शब्द
चिड़िया-चहचहाना
कोयल-कू-कू करना, कूकना
कौवा-काँव-काँव करना
मुर्गा-बांग देना, कुकडू कू करना
मोर -कूकना
कबूतर- गुटरगू करना
कुत्ता-भौंकना
गधा रेंकना
गाय-रंभाना
घोड़ा-हिनहिनाना
सिंह-गरजना
हाथी-चिंघाड़ना
बैल-उकारना, हुँकारना
बिल्ली-म्याऊँ-म्याऊँ करना
बकरी - मिमियाना
शेर-दहाड़ना
6. कुछ ध्वनियाँ
रुपया-खनखनाना
शस्त्र-झनझनाना
सूखे पत्ते-मरमराना
दरवाजा-खड़खड़ाना
बरतन-खड़खड़ाना
पख-फड़फड़ाना
दांत-कटकटाना
हृदय-घड़कना
मेघ-गरजना
पानी-सरसराना
बिजली - कड़कड़ाना
आग-चटचटाना
वायु-सांय-साय करना
गीत-गूँजना
7. अनेक शब्दों के स्थान में एक शब्द
जो व्याकरण भली भांति जानता हो- वैयाकरण
जो ईश्वर को न माने - नास्तिक
जो ईश्वर को मानता हो - आस्तिक
जो दूर की बातें सोचता हो - दूरदर्शी
जो अपनी हत्या आप करे-आत्मघाती
जो किसीका उपकार न माने- कृतघ्न
जो किसीका उपकार न भूले- कृतज्ञ
जो सब कुछ जानता हो - सर्वज्ञ
जो सब कुछ कर सकता हो- सर्वशक्तिमान्
जो धरती पर निवास करता हो- स्थलचर
जो जन्तू पानी में रहता हो - जलचर
जिसका रंग सोने जैसा हो- सुनहरा
जिसकी कोई शक्ल न हो - निराकार
जिसे आँखों से न देख सकते हों- परोक्ष ,अदृश्य
सप्ताह में एक बार होनेवाला- साप्ताहिक
जिसकी चार भुजाएं हों- चतुर्भुज
जो मांस न खाता हो - शाकाहारी
जिसकी बुद्धि मारी गई हो-हीनबुद्धि
8. समूहवाचक शब्द
यात्रियों का-समूह
लोगों की -भीड़
फूलों की- माला
पक्षियों की-डार
पशुओं का- रेवड, झुण्ड
सिपाहियों की सेना
अंगूरों का-गुच्छा
वस्तुओं का -भंडार
घन का-कोष
ध्वनियों का-कोलाहल
लकड़ी का-ढेर
अनाज का ढेर
विद्यार्थियों की श्रेणी
पर्वतों की श्रेणी
गायकों की-मंडली
राज्यों का-संघ
मेवों की माला
धन की-राशि
विरोधियों का-जत्था, दल
मकानों की-पंक्ति
राजनीतिज्ञों का-दल
तारों का-मण्डल
वृक्षों का - झुण्ड
लताओं का-कुंज
चाबियों का-गुच्छा
विचारकों की समिति
पंडितों की-सभा
बातों का - जाल
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