Thursday, April 1, 2021

आधुनिक काल/ आधुनिक काल के विभिन्न युगों का परिचय

 

                                  आधुनिक काल

                      आधुनिक काल के विभिन्न युगों का परिचय 


                आधुनिक काल का समय संवत् 1900 से लेकर अब तक माना जाता है। इस काल में हिन्दी साहित्य का विविध दृष्टियों से विकास हुआ है। अंग्रेजी शासन के विरुद्ध जन-भावना जापत करने का कार्य इस काल में प्रारम्भ हुआ। अनेक समाज सुधारकों ने धर्म तथा समाज में विभिन्न प्रकार के सुधार किए हैं। उनका प्रभाव भी इस काल को कविता पर दिखायी पड़ता है। आधुनिक चेतना से युक्त होने के कारण ही इसे आधुनिक काल कहते हैं।

      आधुनिक काल का परिचय

         (1) भारतेन्दु युग-

               भारतेन्दु युग का नामकरण भारतेन्दु हरिश्चन्द्र के नाम पर हुआ है। इस युग की कविताएँ राष्ट्रीय भावना, देश-भक्ति, समाज-सुधार, नवचेतना से ओत-प्रोत है। इस युग में पर्याप्त साहित्य रचना हुई। इस युग के प्रमुख कवि भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, बदरीनारायण चौधरी 'प्रेम्पन' आदि हैं।

     (2) द्विवेदी युग-

            भारतेन्दु युग के पश्चात् द्विवेदी युग का आगमन हुआ। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी इस युग के जनक हैं। इस युग की कविता में दहेज प्रथा, अछूतोद्धार आदि कुछ नवीन सामाजिक तत्त्वों का समावेश हुआ। देश-प्रेम, राष्ट्रीय चेतना, नारी के प्रति सहानुभूति, लोकमंगल की भावना, खड़ी बोली का परिमार्जन आदि इस युग की प्रमुख विशेषताएँ हैं। इस युग के प्रमुख कवि आयुष्य सिंह उपाध्याय 'हरिऔध', रामनरेश त्रिपाठी, मैथिलीशरण गुप्त आदि हैं।

       (3) छायावाद

            छायावाद का जन्म द्विवेदी युग की स्थूलता एवं बौद्धिकता के फलस्वरूप हुआ। इस काल की कविता में प्रेम-सौन्दर्य, कल्पना की अतिशयता, प्रकृति-चित्रण, देश-प्रेम, कोमलता, वेदना एवं निराशा की भावना, मानवतावादी दृष्टि, चित्रात्मकता, लाक्षणिकता, संगीतात्मकता आदि विशेषताएं पायी जाती हैं। इस युग के प्रमुख कवि जयशंकर प्रसाद, सूर्यकान्त त्रिपाठी 'निराला, सुमित्रानन्दन पंत, महादेवी वर्मा आदि हैं।

       (4) प्रगतिवाद

            प्रगतिवाद, छायावाद की कल्पना के विरुद्ध यथार्थवादी प्रवृत्ति है। प्रगतिवादी काव्य की परम्परागत रूढ़ियों का विरोध, शोषितों के प्रति सहानुभूति, शोषण के प्रति आक्रोश, मानवता की भावना, वेदना, निराशा आदि प्रमुख विशेषताएँ हैं। इसके प्रमुख कवि निराला, शिवमंगलसिंह 'सुमन रामधारी सिंह 'दिनकर आदि हैं।

       (5) प्रयोगवाद 

प्रयोगवादी काव्यधारा, प्रगतिवादी काव्यधारा के समानान्तर विकसित हुई है। प्रयोगवाद की प्रमुख विशेषताएँ–अतिवैयक्तिकता, यथार्थवाद, बौद्धिकता का आयह. विद्रोह का स्वर, यौन भावनाओं का मुक्त चित्रण, भावों और भाषा में अनगढ़ता. नवीन-उपमान-विधान, भाषा और शैली के नए प्रयोग आदि हैं । इस धारा के प्रमुख कवि 'अज्ञेय धर्मवीर भारती गजानन माधव मुक्तिबोध, भारत-भूषण, प्रभाकर माचवे आदि हैं 1


आधुनिक काल की सामान्य विशेषताएँ

       (1) देश-प्रेम की जागृति-

आधुनिक काल का प्रारम्भ विदेशी दासता का था । इस यस में भारतीय स्वतन्त्रता का आन्दोलन चला । इसलिए कवियों ने जनता की चेतना को जामत करने के लिए राष्ट्रीय चेतना की कविताएँ लिखीं। 

      (2) बौद्धिकता 

            आधुनिक काल में बुद्धि को प्रधानता अधिक है, मनुष्य के बौद्धिकता से परिपूर्ण होने के कारण साहित्य में प्राचीन रूदियों और परम्पराओं के प्रति विद्रोह की भावना व्यक्त हुई है।

       (3) लोक-कल्याण का भाव 

            आधुनिक काल की कविता में लोक कल्याण की भावना व्याप्त है। साहित्यकारों ने लोकमंगल की भावना से प्रेरित होकर लोक-बीवन की विसंगतियों, कुंडा, यातनाओं आदि को बाध्य में चित्रित किया है । इसमें साधारण मनुष्य का चित्रण हुआ है।

       (4) प्रेम एवं सौन्दर्य

            आधुनिक हिन्दी कविता में प्रेम और सौन्दर्य के विविध रूप दिखायी देते हैं। भारतेन्दुयुगीन सौन्दर्य पर रीतिकाल का प्रभाव रहा। द्विवेदी युग में सौन्दर्य का आदर्श रूप तथा छायावादी कविता में प्रेम एवं सौन्दर्य का सुक्ष्म रूप मिलता है।

        (5) प्रकृति चित्रण

             आधुनिक कविता में प्रकृति का सजीव चित्रण हुआ है। इस युग के कवियों ने प्रकृति को आलम्बन रूप में चित्रित किया है, जिसमें शोल एवं सात्विकता के दर्शन होते हैं। मुख्यतः कायावादी कवियों का मन प्रकृति-चित्रण में अधिक रमा है।

       (6) पाश्चात्य प्रभाव 

             आधुनिक हिन्दी कविता पर पाश्चात्य प्रभाव पड़ा है। द्विवेदीयुगीन कविता में भावना के स्थान पर बिकता तथा छायावाद को रोमांटिक कविताएँ पाश्चात्य से प्रभावित हैं। आधुनिक कविता में कार्ल मार्क्स, फ्रायड आदि का प्रभाव स्पष्ट दिखायी देता है।

       (7) नारी के प्रति उदार दृष्टिकोण-

            आधुनिक काल में नारी के प्रति सहानुभूतिपूर्ण दृष्टिकोण रहा है। उसे भोग की वस्तु न समझकर देवी,सहचरी आदि रूपों में मान्यता दी गई है। इस युग के कवियों ने उसे ममता प्रेम करुणा, श्रद्धा का साकार रूप घोषित किया है।

      (8) खड़ी बोली की प्रतिष्ठा 

            आधुनिक काल में खड़ी बोली का परिमार्जित तथा परिष्कृत रूप स्थापित हो गया है। इससे पूर्व बजभाषा तथा अवधी में ही काव्य रचनाएं की गयी थीं। आज समस्त साहित्य की भाषा खड़ी बोली है ।

      (9) कलात्मकता

             आधुनिक हिन्दी कविता में प्रसन्न और मुक्तक दोनों प्रकार की शैलियों का प्रयोग हुआ है। छन्दों की विविधता के दर्शन होते हैं । कुछ नवीन छन्दों का निर्माण भी हुआ। इस युग के कवियों ने अपने काव्य में अलंकारों का स्वाभाविक प्रयोग किया तथा अलंकारों के लिए नए-नए उपमान खोजे । प्रतीकों तथा बिम्बों का इस काल में पर्याप्त विकास हुआ।

      (10) निष्कर्ष-

              निष्कर्ष रूप में कह सकते हैं कि आधुनिक काल में कवियों का भाव तथा कला की दृष्टि से पूर्ण विकसित रूप मिलता है। साहित्य की मात्रा तथा स्तर की दृष्टि से भी यह काल श्रेष्ठ है।


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